scorecardresearch
 

कोरोनाः ICMR ने टेस्टिंग नीति में किया ये बदलाव, जानें क्या हैं नए नियम

आईसीएमआर ने कहा है कि अगर कोई शख्स जो खुद का टेस्ट कराना चाहते हैं (टेस्टिंग ऑन डिमांड) उनके लिए राज्य सरकारों को नियम तय करने चाहिए. आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को यह नोटिफाई करना चाहिए कि लेबोरेट्री ट्रैकिंग और कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग मैकेनिज्म को सुनिश्चित करें.

Advertisement
X
आईसीएमआर ने कोरोना टेस्टिंग को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की
आईसीएमआर ने कोरोना टेस्टिंग को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ऑन डिमांड टेस्टिंग के लिए राज्य बनाए नियम
  • कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग मैकेनिज्म तैयार करें लेबोरेट्री
  • गैर कंटेनमेंट जोन की नियमित निगरानी हो

देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार हर रोज बढ़ती जा रही है. इस बीच, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोरोना टेस्टिंग को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं. नए दिशा-निर्देश के मुताबिक विदेश या देश के दूसरे राज्यों में यात्रा करने वालों के पास कोरोना टेस्ट का निगेटिव सर्टिफिकेट होना चाहिए.

आईसीएमआर ने यह भी कहा है कि अगर कोई शख्स जो खुद का टेस्ट कराना चाहते हैं (टेस्टिंग ऑन डिमांड) उनके लिए राज्य सरकारों को नियम तय करने चाहिए. आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को यह नोटिफाई करना चाहिए कि लेबोरेट्री ट्रैकिंग और कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग मैकेनिज्म को सुनिश्चित करें. राज्य सरकार को इसके लिए आसान तौर-तरीका अपनाना चाहिए. कोरोना टेस्ट को लेकर कोविड-19 पर गठित नेशनल टास्क फोर्स ने इन बदलावों की सिफारिश की है. 

चार वर्गों में कोरोना टेस्टिंग

आईसीएमआर की यह सामान्य गाइडलाइंस है और इसे राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार संशोधित किया जा सकता है. कोरोना टेस्टिंग को चार वर्गों में बांटा गया है. मसलन कंटेनमेंट जोन, गैर कंटेनमेंट एरिया में नियमित निगरानी, अस्पताल और ऑन डिमांड टेस्टिंग.

कंटेनमेंट इलाके में पहले रैपिड एंटीजन टेस्ट (RAT) फिर RT-PCR या TrueNat या CBNAAT टेस्ट होता है. गाइडलाइंस के मुताबिक कंटेनमेंट जोन में एंट्री प्वॉइंट्स पर लगातार नजर रखी जाए. इन जगहों पर लगातार स्क्रीनिंग होनी चाहिए. एंटीजन टेस्ट को किया जाना चाहिए. आरटी-पीसीआर टेस्ट उस वक्त ही किया जाए जब कोई शख्स एंटीजन टेस्ट में निगेटिव पाए जाने के बाद भी सांस लेने में तकलीफ या फिर कोई अन्य लक्षण दिखाए. कंटेनमेंट जोन में रहने वाले लोगों के लिए 100 फीसदी टेस्टिंग की जानी चाहिए. हेल्थ वर्कर और मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों का टेस्ट होना चाहिए. 

Advertisement

नियमित निगरानी की जरूरत

गैर कंटेनमेंट जोन के लिए कहा गया है कि ऐसे इलाके की नियमित निगरानी किए जाने की जरूरत है. पिछले 14 दिनों में अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने वालों का टेस्ट किया जाना चाहिए. नई गाइडलाइंस शहर लौटने वाले श्रमिकों, सभी स्वास्थ्यकर्मियों के टेस्ट की बात कही गई है. 

आईसीएमआर ने टेस्टिंग की नई गाइडलाइंस में कहा है कि टेस्ट की कमी के चलते किसी भी आपातकालीन प्रक्रिया जिसमें प्रसव यानी डिलिवरी भी शामिल है, उसमें देरी नहीं होनी चाहिए. हालांकि सैंपल को एक साथ टेस्ट के लिए भेजा जा सकता है. सरकार को इसके लिए सभी व्यवस्था तय करनी चाहिए. साथ ही कहा गया है कि सर्जिकल या गैर-सर्जिकल प्रक्रियाओं के तहत आने वाले सभी मरीजों का टेस्ट किया जा सकता है. मगर सप्ताह में एक बार से अधिक नहीं. स्ट्रोक, एंसेफलाइटिस, हेमोप्टाइसिस जैसे मरीजों का डॉक्टर की सलाह के अनुसार ज़रूरी लगने पर टेस्ट किया जा सकता है.

 

Advertisement
Advertisement