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जब नवजात धर्मेंद्र को देख उनकी मां को याद आया था अपना गुजरा हुआ बेटा, बोलीं 'ये तो उसका आधा भी सुंदर नहीं'

धर्मेंद्र की जब भी बात होती है, लोग उनकी खूबसूरती का जिम्र करते नहीं थकते. मगर जब धर्मेंद्र का जन्म हुआ तो उनकी मां को वो अपने पहले बेटे जितने सुंदर नहीं लगे थे. धर्मेंद्र के छोटे भाई के बारे में तो लोग जानते हैं. मगर उनके इस भाई, संतोष के बारे में लोगों को नहीं पता होता.

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धर्मेंद्र को अपने पहले बेटे से कम सुंदर मानती थीं उनकी मां (Photo: X/@priyankachopra)
धर्मेंद्र को अपने पहले बेटे से कम सुंदर मानती थीं उनकी मां (Photo: X/@priyankachopra)

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लेजेंड धर्मेंद्र के निधन से लोग उदास हैं. ना जाने कितने लोगों के लिए धर्मेंद्र इस इंडस्ट्री का वो नाम थे, जो हमेशा से मौजूद थे. 1960 में धर्मेंद्र ने डेब्यू किया था. उसके बाद से कोई ऐसा दशक नहीं बीता जब धर्मेंद्र ने किसी फिल्म में यादगार किरदार ना निभाया हो. आज जब लोग उन्हें मिस कर रहे हैं तो उनके सुपरस्टारडम, उनके किरदारों के अलावा एक चीज का जिक्र खूब हो रहा है— उनके लुक्स का. 

अपनी जवानी के दिनों में धर्मेंद्र ना जाने कितनी लड़कियों का क्रश हुआ करते थे. कितनी ही एक्ट्रेसेस उनकी खूबसूरती का जिक्र करती थीं. दिलीप कुमार ने कभी शिकायत की थी कि 'ऊपरवाले ने उन्हें धर्मेंद्र जितना खूबसूरत क्यों नहीं बनाया'. सलमान खान ने उन्हें 'सबसे खूबसूरत पुरुष' कहा था. और माधुरी दीक्षित को वो सबसे चार्मिंग पुरुष लगते थे.

मगर पुरुष सौन्दर्य के सिरमौर,इन्हीं धर्मेंद्र के बारे में कभी उनकी मां ने कहा था कि वो उनके पहले बेटे से आधे भी सुंदर नहीं हैं. ये बात खुद धर्मेंद्र ने बताई थी. धर्मेंद्र के एक छोटे भाई भी थे, अजित सिंह देओल. उनके बेटे अभय देओल भी जानेमाने एक्टर हैं. मगर धर्मेंद्र से पहले जन्मे उनके बड़े भाई की कहानी बहुत कम मिलती है.

धर्मेंद्र के पैदा होने से पहले ही चल बसे थे उनके एक भाई  
1966 में धर्मेंद्र फिल्मफेयर मैगजीन के कवर पर थे. अंदर उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी एक खूबसूरत स्टोरी भी शेयर की थी. इसका टाइटल था- द एक्टर एंड आई (एक्टर और मैं). इस स्टोरी में धर्मेंद्र ने बताया था कि वो खुद को एक 'सांत्वना पुरस्कार' मानते थे, जो ईश्वर ने उनकी मां को दिया है. उस संतान के बदले, जिसे उसने बहुत जल्दी उनकी मां से छीन लिया था. पर उन्हें ये भी लगता था कि उनकी मां उन्हें इस 'सांत्वना पुरस्कार' के रूप में भी स्वीकार नहीं कर सकी थीं. 

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धर्मेंद्र वैसे तो अपनी मां के बड़े बेटे थे. मगर उनसे पहले भी उनकी मां ने एक बेटे को जन्म दिया था, जिनका नाम था संतोष. मगर संतोष बचपन में ही चल बसे थे. इतनी जल्दी कि वो धर्मेंद्र को देख भी नहीं सके थे. धर्मेंद्र की जवानी तक उनकी मां मानती थीं कि उनके बच्चों में सबसे सुंदर संतोष ही थे. धर्मेंद्र ने बताया कि उनके जन्म के बाद उनके दादा, उनकी मां को संतोष के दुख की सांत्वना दे रहे थे. तब उनकी मां ने कहा था, 'ये उसका आधा भी सुंदर नहीं है, जितना संतोष था.' 

'ऐसा नहीं कहते', दादा ने उन्हें कहा. और आगे बोले, 'ये बहुत खूबसूरत निकलेगा और पूरी दुनिया इसे देखेगी.' दादा बच्चे को, प्रकृति से संतोष के बदले मिला हर्जाना मानने लगे थे. 

आगे धर्मेंद्र ने जो लिखा उसमें उनकी मां की बात का थोड़ा सा दुख भी झलका. थोड़ा सा इस बात का भी कि उन्हें संतोष की परछाईं में रहना पड़ा. और उनकी बातों में थोड़ा सा दर्शन भी था. उन्होंने आगे लिखा, 'क्या दादाजी को सच में लगा था कि मैं एक्टर बनूंगा और उनकी बात सच साबित होगी? या फिर क्या उस छोटे से संतोष ने कभी सोचा होगा कि मुझे उसकी गैरमौजूदगी की परछाईं में रहना होगा? ये साबित करते हुए कि मैं इतना भी बदसूरत नहीं हूं, जितना मुझे बीजी (धर्मेंद्र अपनी मां को बीजी बुलाते थे) ने उसकी तुलना में समझा था.' 

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धर्मेंद्र के लिए एक्टर होने का ये मतलब था
धर्मेंद्र ने आगे लिखा कि वो कभी-कभी ये भूल जाते हैं कि वो एक एक्टर हैं. 'बहुत लोगों के लिए एक आदमी और एक एक्टर दो अलग-अलग लोग होते हैं. मगर मेरे लिए एक्टर एक आदमी ही है जिसे खुद को एक्सप्रेस करने का मौका मिला. मैं सिर्फ पैसे के लिए एक्टर नहीं बना. मुझे बचपन से ही फिल्में पसंद थीं. मेरे लिए सिनेमा एक माध्यम है जिसके जरिए एक एक्टर आम लोगों तक पहुंच सकता है. जब मैं एक किरदार निभाता हूं, मैं उसे एक आम आदमी के जितना करीब हो सके ले जाने की कोशिश करता हूं. जब मैं कामयाब होता हूं तो मुझे लगता है कि मुझे एक और अवॉर्ड मिला है— शायद सबसे बड़ा अवॉर्ड', धर्मेंद्र ने लिखा. 

धर्मेंद्र की इन बातों में उनकी एक्टिंग का जो दर्शन नजर आता है, वो उनके किरदारों में भी दिखता था. 'मेरा गांव मेरा देश' और 'फूल और पत्थर' जैसी फिल्मों में उन्होंने एक आम आदमी का किरदार निभाया था. एक ऐसा आम आदमी जो बुराई के सामने खड़ा होने की हिम्मत दिखाता था. ऐसा आदमी जो लड़ने की हिम्मत दिखाता था. और इस हिम्मत को धर्मेंद्र ने सॉलिड एक्शन के साथ अपने मजबूत शरीर से एक्सप्रेस किया. धर्मेंद्र का ये 'गरम धरम' अवतार हिंदी फिल्मों का पहला कम्प्लीट एक्शन हीरो था. उनके इस अवतार ने इंसानियत को ताकत दी और इमोशन को एक्शन दिया. यही वो एक्शन हीरो था जिसकी नींव पर बाद में 'एंग्री यंग मैन' खड़ा हुआ.

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