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अमेरिकी आइसब्रेकर रूस से पीछे क्यों है? ट्रंप भी इसे बताने लगे शर्मनाक स्थिति

ट्रंप ने खुलकर स्वीकार किया कि आइसब्रेकर जहाजों में अमेरिका रूस से बहुत पीछे है. उन्होंने कहा कि हमारे पास सिर्फ एक पुराना जहाज है, जबकि रूस के पास 43 हैं, जिनमें 8 परमाणु ऊर्जा से चलते हैं. यह स्थिति हास्यास्पद है. अमेरिका का एकमात्र भारी आइसब्रेकर पोलर स्टार 49 साल पुराना है.

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ये है रूस का न्यूक्लियर आइसब्रेकर जो उत्तरी ध्रुव की तरफ जा रहा है. (File Photo: Getty)
ये है रूस का न्यूक्लियर आइसब्रेकर जो उत्तरी ध्रुव की तरफ जा रहा है. (File Photo: Getty)

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलकर स्वीकार किया कि उत्तर ध्रुव (आर्कटिक) क्षेत्र में बर्फ तोड़ने वाले जहाज़ों के मामले में उनका देश रूस से काफी पीछे है. उन्होंने हैरानी और गुस्से के साथ कहा कि पूरे अमेरिका में सिर्फ़ एक आइसब्रेकर है. रूस के पास 48 हैं. यह तो हास्यास्पद और शर्मनाक स्थिति है.

अभी असल आंकड़े क्या हैं?

अमेरिका के पास वाकई सिर्फ एक पुराना भारी आइसब्रेकर है – उसका नाम है पोलर स्टार. यह जहाज 1976 में बना था. अब 49 साल पुराना हो चुका है. कई बार यह खराब भी हो जाता है. दूसरी तरफ रूस के पास 43 काम करने वाले आइसब्रेकर हैं, जिनमें से 8 जहाज परमाणु ऊर्जा (न्यूक्लियर) से चलते हैं. दुनिया में किसी भी देश के पास इतने न्यूक्लियर आइसब्रेकर नहीं हैं.

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रूस के सबसे ताकतवर जहाज़ कौन-कौन से हैं?

रूस की नौसेना में ये बड़े-बड़े नाम शामिल हैं... 

  • यमाल  
  • 50 लेत पोबेदी (50 साल की जीत)  
  • तैमीर और वैगाच  
  • नई सीरीज प्रोजेक्ट 22220 के जहाज़: आर्कटिका, सिबिर, उराल, याकूतिया

ये जहाज इतने शक्तिशाली हैं कि 3 मीटर मोटी बर्फ को भी तोड़कर आगे बढ़ सकते हैं. सालों तक बिना ईंधन भरे चल सकते हैं, क्योंकि इनमें परमाणु रिएक्टर लगा है.

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अमेरिका अब क्या कर रहा है?

ट्रंप ने बताया कि उन्होंने 11 नए आइसब्रेकर बनाने का ऑर्डर दे दिया है. इनमें से कुछ पोलर सिक्योरिटी कटर कहलाएंगे. लेकिन ये जहाज इतने बड़े और जटिल हैं कि पहला जहाज भी 2028-29 तक ही तैयार होगा. यानी अभी 4-5 साल और इंतजार करना पड़ेगा.

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आइसब्रेकर इतने जरूरी क्यों हैं?

आर्कटिक में ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बर्फ तेजी से पिघल रही है. नए समुद्री रास्ते खुल रहे हैं, जैसे नॉर्दर्न सी रूट. वहां अरबों टन तेल, गैस और दुर्लभ खनिज छुपे हैं. जो देश पहले पहुंचेगा, वही मालिक बनेगा. रूस पहले से ही वहां अपना झंडा लगा चुका है. नए-नए जहाज बना रहा है.

ट्रंप ने साफ कहा कि हम आर्कटिक में पीछे नहीं रह सकते. हमें जल्दी से जल्दी अपनी ताकत बढ़ानी होगी. फिलहाल रूस बहुत आगे है. अमेरिका अभी दौड़ में शामिल भी नहीं हो पाया है.

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