भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए स्वदेशी और उन्नत तकनीकों पर तेजी से काम कर रहा है. हाल के वर्षों में भारतीय सशस्त्र बलों ने कई महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों को शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. इनमें तेजस Mk1A फाइटर जेट, प्रोजेक्ट 17 ब्रावो युद्धपोत, INS वागशीर हंटर-किलर पनडुब्बी और राफेल-एम जैसे अत्याधुनिक हथियार शामिल हैं.
ये प्रणालियां न केवल भारत की युद्ध क्षमता को बढ़ाएंगी, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देंगी. हालांकि, तेजस Mk1A जैसे प्रोजेक्ट्स में देरी और आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियां कुछ चिंताएं पैदा करती हैं, लेकिन सरकार और रक्षा उद्योग इन मुद्दों को हल करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं.
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हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और क्षेत्रीय चुनौतियों के बीच ये हथियार भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति के रूप में स्थापित करेंगे. आने वाले वर्षों में ये प्रणालियां भारतीय सेना को न केवल रक्षात्मक बल्कि आक्रामक रणनीतियों में भी सक्षम बनाएंगी.
1. तेजस Mk1A फाइटर जेट: स्वदेशी लड़ाकू विमान की नई ताकत
तेजस Mk1A भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित एक स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान (LCA) है. यह तेजस Mk1 का उन्नत संस्करण है, जिसमें कई आधुनिक तकनीकों और सुधारों को शामिल किया गया है. यह 4.5 पीढ़ी का मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जो हवा से हवा और हवा से जमीन दोनों तरह के मिशनों में सक्षम है.
प्रमुख विशेषताएं
AESA रडार: एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार, जो दुश्मन के विमानों और लक्ष्यों को लंबी दूरी पर ट्रैक करने में सक्षम है.
इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम: उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, जो दुश्मन के रडार और मिसाइलों को जाम कर सकती है.
हथियार क्षमता: तेजस Mk1A में स्वदेशी Astra Mk1 बीवीआर (Beyond Visual Range) मिसाइल, डर्बी, पायथन मिसाइलें, प्रेसिजन-गाइडेड बम और रॉकेट्स ले जाने की क्षमता है.
मिड-एयर रिफ्यूलिंग: हवा में ईंधन भरने की क्षमता जो इसकी रेंज और मिशन अवधि को बढ़ाती है.
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प्रगति और चुनौतियां
आर्डर और डिलीवरी: भारतीय वायुसेना ने 83 तेजस Mk1A विमानों के लिए 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया है, जिसकी डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू होने वाली थी, लेकिन GE इंजनों की आपूर्ति में देरी के कारण यह 2025-26 तक टल गई.
HAL ने बेंगलुरु और नासिक में उत्पादन क्षमता बढ़ाकर प्रति वर्ष 24 विमान बनाने की योजना बनाई है. हाल ही में, निजी क्षेत्र की कंपनी अल्फा टोकोल इंजीनियरिंग सर्विसेज ने तेजस Mk1A के लिए पहला रियर फ्यूजलेज HAL को सौंपा, जो स्वदेशी रक्षा उत्पादन में एक महत्वपूर्ण कदम है.
भविष्य की योजना
HAL को 97 और तेजस Mk1A विमानों का ऑर्डर मिलने की उम्मीद है, जिससे कुल संख्या 180 हो जाएगी. तेजस Mk2 के लिए GE-414 इंजनों के साथ 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर समझौता किया गया है, जो भविष्य में AMCA (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) के लिए भी उपयोगी होगा.
2. प्रोजेक्ट 17 ब्रावो युद्धपोत: नौसेना की नई ताकत
प्रोजेक्ट 17 ब्रावो भारतीय नौसेना के लिए अगली पीढ़ी के स्टेल्थ फ्रिगेट्स का एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है. यह प्रोजेक्ट 17A (नीलगिरी-क्लास) फ्रिगेट्स का उन्नत संस्करण है. जिसमें और अधिक उन्नत हथियार प्रणालियां और स्टेल्थ तकनीक शामिल होंगी. ये युद्धपोत मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित किए जा रहे हैं.
प्रमुख विशेषताएं
स्टेल्थ डिजाइन: रडार क्रॉस-सेक्शन को कम करने के लिए उन्नत डिजाइन, जो इसे दुश्मन के रडार से बचाने में मदद करता है.
हथियार प्रणाली: ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, बराक-8 सतह-से-हवा मिसाइल, एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर और टॉरपीडो सिस्टम.
उन्नत सेंसर: मल्टी-फंक्शन रडार और सोनार सिस्टम, जो समुद्री और हवाई खतरों को ट्रैक करने में सक्षम हैं.
स्वदेशी तकनीक: प्रोजेक्ट 17 ब्रावो में 70% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग होगा, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को बढ़ावा देगा.
प्रोजेक्ट 17A के तहत सात नीलगिरी-क्लास फ्रिगेट्स का निर्माण चल रहा है, जिनमें से INS नीलगिरी को जनवरी 2025 में कमीशन किया गया. प्रोजेक्ट 17 ब्रावो को और अधिक उन्नत माना जा रहा है. इसके लिए डिजाइन और विकास कार्य शुरू हो चुके हैं. ये युद्धपोत हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती चीनी नौसैनिक गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे.
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3. INS वागशीर: हंटर-किलर पनडुब्बी
INS वागशीर भारतीय नौसेना की कलवारी-क्लास (स्कॉर्पीन-क्लास) पनडुब्बियों की छठी और अंतिम पनडुब्बी है, जिसे मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने फ्रांस की नेवल ग्रुप के सहयोग से बनाया है. इसे 15 जनवरी 2025 को नौसेना में कमीशन किया गया. यह एक डीजल-इलेक्ट्रिक हंटर-किलर पनडुब्बी है, जो स्टेल्थ और हमले की क्षमताओं के लिए जानी जाती है.
प्रमुख विशेषताएं
स्टेल्थ टेक्नोलॉजी: कम शोर स्तर और रडार-रोधी डिजाइन जो इसे दुश्मन के सोनार से बचाने में मदद करता है.
हथियार: टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइल (जैसे SM-39 एक्सोसेट) और माइंस ले जाने की क्षमता.
एडवांस्ड सेंसर: उन्नत सोनार और पेरिस्कोप सिस्टम, जो गहरे समुद्र में लक्ष्यों को ट्रैक करने में सक्षम हैं.
ऑपरेशनल रेंज: लंबी दूरी के मिशनों के लिए उपयुक्त, जो हिंद महासागर में गश्त के लिए आदर्श है.
INS वागशीर का कमीशन कलवारी-क्लास प्रोजेक्ट को पूरा करता है, जो भारत की पनडुब्बी बेड़े को मजबूत करता है. यह पनडुब्बी चीनी नौसेना की बढ़ती उपस्थिति और अन्य समुद्री खतरों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. भारत प्रोजेक्ट 75I के तहत और अधिक उन्नत पनडुब्बियों का निर्माण करेगा, जिसमें एयर-इंडिपेंडेंट प्रपल्शन (AIP) तकनीक शामिल होगी.
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4. राफेल-एम: नौसेना के लिए गेम-चेंजर
राफेल-एम (मरीन) फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित एक मल्टी-रोल फाइटर जेट है, जिसे भारतीय नौसेना अपने विमानवाहक पोत INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य के लिए बना है. यह राफेल जेट का नौसैनिक संस्करण है, जो विशेष रूप से विमानवाहक पोतों से संचालन के लिए डिजाइन किया गया है.
प्रमुख विशेषताएं
मल्टी-रोल क्षमता: हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से समुद्र मिशनों में सक्षम.
हथियार: मेटियोर बीवीआर मिसाइल, SCALP क्रूज मिसाइल, एंटी-शिप मिसाइल और प्रेसिजन-गाइडेड बम.
उन्नत सेंसर: AESA रडार, इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट.
विमानवाहक संचालन: मजबूत लैंडिंग गियर और टेल हुक जो इसे कैरियर डेक से टेकऑफ और लैंडिंग के लिए उपयुक्त बनाता है.
भारतीय नौसेना ने राफेल-एम और अमेरिकी F/A-18 सुपर हॉर्नेट के बीच प्रतिस्पर्धा के बाद राफेल-एम को प्राथमिकता दी है. 26 राफेल-एम जेट्स के लिए भारत में M-88 इंजनों के निर्माण का प्रस्ताव भी शामिल है. ये जेट नौसेना की हवाई ताकत को बढ़ाएंगे, खासकर पुराने मिग-29K की जगह लेने के लिए.