राफेल फाइटर जेट
राफेल (Rafale) एक फ्रांसीसी फाइटर जेट है (French Fighter Jet). यह एक ट्विन इंजन, कैनार्ड डेल्टा विंग, मल्टीरोल लड़ाकू विमान है जिसे डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) ने डिजाइन और निर्माण किया है. राफेल वाइड रेंज विपन से लैस विमान है. राफेल का हाई स्पीड 1,912 किमी/घंटा और हाई रेंज: 3,700 किमी है. इस फाइटर जेट का वजन 9,979 किलो और लंबाई 15 मी है.
मैक्रों लंबे समय से यूरोप की रणनीतिक आत्मनिर्भरता की बात करते आए हैं. इस साल मार्च में भी उन्होंने कहा था कि हमें उन देशों के लिए यूरोपीय विकल्प देना चाहिए जो अमेरिकी हथियारों पर निर्भर हैं. इन हथियारों का उत्पादन बढ़ाने से लागत कम होगी और यूरोप में एक आत्मनिर्भर रक्षा नेटवर्क बनेगा.
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर की सहायक फर्म रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड (Reliance Aerostructures Ltd) ने भारत में फाल्कन 2000 बिजनेस एक्जीक्यूटिव जेट बनाने के लिए फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के साथ डील का ऐलान किया है. यह वही कंपनी है, जिसने राफेल बनाया है.
जानें फाइटर जेट्स की जेनरेशन का क्या मतलब होता है, 4th, 5th और 6th Generation की खासियतें क्या हैं और भारत के पास अभी कौन-सी टेक्नोलॉजी उपलब्ध है.
भारत के पास राफेल यानी की 4.5 जेनरेशन का विमान है. वहीं, चीन ने 6th जेनरेशन फाइटर जेट J-36 तैयार कर लिया है. इसी बीच खबर सामने आई है कि अमेरिकी कंपनी GE ने भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए स्लील्थ फाइटर का इंजन देने की पेशकश की है. इन खबरों के बीच लोगों के मन में सवाल है कि ये जेनरेशन का क्या मतलब है. आइए इसे समझते हैं.
इंटरव्यू में एरिक ट्रापियर ने राफेल विमान की क्षमताओं पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि राफेल दुनिया के सबसे बेहतरीन मल्टी-रोल फाइटर जेट्स में शामिल है, और यह F-35 और सभी चीनी विमानों से बेहतर है. उन्होंने कहा, 'किसी भी युद्ध में विमान का उद्देश्य 'शून्य नुकसान' (zero losses) नहीं बल्कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करना होता है. द्वितीय विश्व युद्ध में भी मित्र दशों ने सैनिक खोए थे, इसका मतलब यह नहीं कि वे हार गए थे.'
पहलगाम आतंकी हमले के प्रतिशोध में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया, जिसमें राफेल ने मुख्य भूमिका निभाई. इन विमानों ने सटीकता से लक्ष्यों को भेदकर आतंकी ठिकानों को तबाह किया, जिससे आतंकी नेटवर्क की कमर टूट गई. आजतक से बातचीत में पायलट ने राफेल की ताकत और उसे उड़ाने में आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया. देखें वंदे मातरम्.
राफेल के पायलटों को नैनोसेकंड में निर्णय लेने होते हैं. ये पायलट उड़ान के दौरान भारी गुरुत्वाकर्षण बल का सामना करते हैं. इसके लिए उन्हें शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण दिया जाता है. राफेल विमानों की हर परिस्थिति में तैनाती और उनकी मारक क्षमता को बनाए रखने में तकनीकी रख-रखाव दल की भूमिका भी होती है. देखें रिपोर्ट.
राफेल फाइटर जेट की मुख्य बॉडी का निर्माण अब फ्रांस के बाहर पहली बार भारत में होगा, जिसके लिए डसॉल्ट एविएशन ने टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ समझौता किया है. इस समझौते के तहत हैदराबाद में एक फैक्ट्री लगाई जाएगी, जहां राफेल विमान के फ्यूजलेज, यानी मुख्य ढांचे, का उत्पादन होगा और वर्ष 2028 में पहला फ्यूजलेज बनकर तैयार होगा.
हैदराबाद में टाटा-दसॉल्ट की साझेदारी से 2028 तक राफेल का फ्यूजलेज बनेगा. यह विमान का मुख्य ढांचा है, जो भारत को रक्षा में आत्मनिर्भर बनाएगा. फैक्ट्री से हजारों नौकरियां मिलेंगी. वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी. यह मेक इन इंडिया का बड़ा कदम है, जो रणनीतिक और आर्थिक ताकत देगा.
रफाल लड़ाकू विमान की मेन बॉडी अब भारत में ही बनेगी, जिसके लिए टाटा एडवांस्ड सिस्टम और फ्रांस की एविएशन ने एक बड़ा समझौता किया है. फाइनेंशियल ईयर 2028 में इस प्लांट से उत्पादन शुरू हो जाएगा, तथा कंपनी का लक्ष्य हर महीने दो पूरी मेन बॉडी बनाना है. इस साझेदारी का उद्देश्य भारत को वैश्विक एरोस्पेस सप्लाई चैन में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में मजबूत करना बताया गया है.
राफेल का फ्यूजलेज यानी विमान का मुख्य शरीर, अब भारत में बनेगा. टाटा और दसॉल्ट ने हैदराबाद में फैक्ट्री के लिए समझौता किया. यह स्टील्थ, हथियार और सेंसर रखता है. 2028 तक पहला फ्यूजलेज तैयार होगा. इससे नौकरियां बढ़ेंगी, भारत आत्मनिर्भर बनेगा और वैश्विक एयरोस्पेस में ताकत बढ़ेगी.
राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी डसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने भारत में राफेल लड़ाकू विमान के बॉडी पार्ट के निर्माण के लिए 4 प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं. ये समझौता देश की एयरोस्पेस विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने और ग्लोबल सप्लाई चेन को मजूबत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
ये है 5th जेनरेशन फाइटर जेट AMCA, जानिए ये मौजूदा फाइटर जेट से कितना पावरफुल होगा
कावेरी प्रोजेक्ट में देरी तकनीकी दिक्कतें, फंड की कमी और पश्चिमी देशों की दोहरी नीति का परिणाम है. ये वो देश हैं जो भारत को सिर्फ हथियार मार्केट के रूप में देखते हैं लेकिन भारत के साथ तकनीक साझा करने से आना-कानी करते हैं. क्योंकि इन देशों को डर है कि भारत लड़ाकू विमानों का इंजर अगर खुद बनाने लगेगा तो इनके हाथों से अरबों डॉलर का मार्केट चला जाएगा.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का रडार सिस्टम 23 मिनट तक डिजिटल डार्कनेस में रहा. यानी कि उसे कुछ पता नहीं था कि हो क्या रहा है. इस दौरान उसका डिफेंस सिस्टम गुमराह हो गया और फर्जी टारगेट ट्रैक करने लगा. ये संभव हुआ भारत की ओर से किए गए रडार जैमिंग की वजह से. रडार को को जाम करने का मतलब है इसके इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल को दबाना या धोखा देकर किसी वस्तु को डिटैक्ट, ट्रैक करने या निशाना बनाने की इसकी क्षमता को बाधित करना.
जैश के इस सबसे बड़े टेरर कैंप की पूरी जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसी को पहले से थी. पहलगाम हमले के बाद जब नापाक ट्रेनिंग कैंपों की लिस्ट बनाई गई, तो उस लिस्ट में मरकज सुभानअल्लाह का नाम लश्कर के मुरीदके कैंप के बाद दूसरे नंबर पर था. ऑपरेशन सिंदूर के तहत सबसे मुश्किल टारगेट जैश का बहावलपुर में मौजूद यही कैंप था.
डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) राजीव घई ने बताया कि भारतीय सेना का मकसद सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था और हमने पाकिस्तान में 4, पीओके में पांच ठिकानों को टारगेट किया है. इस सैन्य कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं.
वाराणसी के चेतगंज थाने में अजय राय के खिलाफ 'राष्ट्रीय एकता' को नुकसान पहुंचाने और 'अफवाह' फैलाने जैसे आरोपों के तहत FIR दर्ज हुई है.
2014 में सरकार बनाने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने का काम किया है. विदेश रक्षा सौदों में ही इस सरकार में तेजी नहीं आई बल्कि रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण में व्यापक बदलाव आया है.
ऑपरेशन सिंदूर पार्ट-2 जारी है. यह भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति का एक और मजबूत कदम है. मेटियोर, स्काईस्ट्राइकर, स्पाइस 2000 और एक्सकैलिबर जैसे हथियारों का उपयोग भारतीय सेना को दुश्मन के क्षेत्र में गहराई तक सटीक हमले करने की अभूतपूर्व क्षमता प्रदान करेंगे.
ऑपरेशन सिंदूर ने राफेल लड़ाकू विमानों की ताकत को दुनिया के सामने ला दिया. राफेल की उन्नत तकनीक, स्टील्थ क्षमताएं और लंबी दूरी की सटीक हथियार प्रणालियों ने आतंकी ठिकानों को बिना किसी नुकसान के नष्ट कर दिया. राफेल ने न केवल पाकिस्तान में तांडव मचाया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत अब किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए तैयार है.