पनडुब्बी
एक पनडुब्बी (Submarine) एक जलयान है जो पानी के भीतर स्वतंत्र संचालन में सक्षम है (Watercraft Capable of Independent Operation Underwater). यह सबमर्सिबल से अलग होता है, जिसकी पानी के भीतर सीमित क्षमता होती है. पनडुब्बियों को उनके आकार के बावजूद जहाज की जगह नाव के रूप में देखा जाता है.
हालांकि प्रायोगिक पनडुब्बियों का निर्माण पहले ही कर लिया गया था, लेकिन 19वीं शताब्दी के दौरान पनडुब्बी की डिजाइन को कई नौसेनाओं ने अपनाया. सबमरीन को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान व्यापक रूप से उपयोग में लाया गया. अब कई नौसेनाओं में इसका उपयोग किया जाता है (History of Submarine).
पनडुब्बियों का बहुमुखी सैन्य उपयोग है. यह दुश्मन की सतह के जहाजों या अन्य पनडुब्बियों पर हमला करने, विमान वाहक की सुरक्षा करने, नाकाबंदी करने, परमाणु हथियारों से हमला करने, टोही ऑपरेशन करने, भूमि पर पारंपरिक हमला करने में सक्षम है. नागरिक उपयोगों में समुद्री विज्ञान, बचाव, अन्वेषण और सुविधा निरीक्षण और रखरखाव शामिल हैं. पनडुब्बियों को विशेष कार्यों के लिए भी संशोधित किया जा सकता है जैसे खोज और बचाव मिशन और पानी के नीचे केबल की मरम्मत. उनका उपयोग पर्यटन और पानी के नीचे पुरातत्व में भी किया जाता है. आधुनिक डीप-डाइविंग में भी पनडुब्बियों का उपयोग होता है (Uses of Submarine).
ज्यादातर बड़ी पनडुब्बियों का एक बेलनाकार शरीर होता है जिसमें अर्धगोलाकार छोर होते हैं और एक वर्टिकल संरचना होती है, जो आमतौर पर इसके बीच में स्थित होती है, जिसमें कम्यूनिकेशन और सेंसिंग डिवाइस के साथ-साथ पेरिस्कोप भी होते हैं. इसके पिछले हिस्से में एक प्रोपेलर या पंप जेट होता है, और अलग-अलग तरह के हाइड्रोडायनामिक कंट्रोल पंख लगे होते हैं. पनडुब्बियां डाइविंग विमानों के माध्यम से गोता लगाती हैं और फिर से सतह पर आ जाती हैं (Shape and Technology of Submarine).
पनडुब्बियां कई तरह की होती हैं. जहां यह एक या दो लोगों के साथ कुछ घंटों तक काम कर सकती है वहीं कई लोगों के साथ छह महीने तक जलमग्न रह सकती है (Types of Submarines).
चीन पाकिस्तान को 8 हंगोर क्लास AIP पनडुब्बियां दे रहा है, जो 2028 तक शामिल होंगी. ये स्टील्थ और लंबे समय पानी के नीचे रहने वाली हैं. पाक की नौसेना छोटी है, जबकि भारत के पास 2 एयरक्राफ्ट कैरियर, 19 पनडुब्बियां (2 न्यूक्लियर), 13 डेस्ट्रॉयर हैं. भारत की नौसेना 4-5 गुना मजबूत और पूरी तरह तैयार है.
रूस का जंगी प्लान कुछ इस तरह का है वो यूक्रेन और नाटो के खिलाफ एसिमेट्रिक डिटरेंस का इस्तेमाल करना चाहता है. क्योंकि वो इनसे पारंपरिक युद्ध जीत नहीं पाएगा. इसलिए बुरेवेस्तनिक मिसाइल (अनलिमिटेड रेंज न्यूक्लियर), पोसाइडन अंडरवॉटर ड्रोन (100 मेगाटन सुनामी) और खबरोवस्क पनडुब्बी (पोसाइडन कैरियर) का लॉन्च किया. ताकि दुनिया में डर पैदा हो.
रूस ने खबरोवस्क नाम की नई न्यूक्लियर पनडुब्बी लॉन्च की, जो पोसाइडन न्यूक्लियर ड्रोन दागेगी. सेवमाश शिपयार्ड्स में डिफेंस मिनिस्टर आंद्रेई बेलौसोव की मौजूदगी में हुआ इस पनडुब्बी का लॉन्च हुआ. ये ड्रोन तटीय देशों को मिटाने में सक्षम है. तेज रफ्तार वाला न्यूक्लियर हथियार है. ये पनडुब्बी रूस की समुद्री सीमाओं और हितों की रक्षा मजबूत करेगी.
भारत की 'एक्सरसाइज त्रिशूल' पश्चिमी सीमा पर हो रही है, जहां सेना, नौसेना और वायुसेना एकजुट होकर अभ्यास कर रही हैं. 20,000 जवान, ब्रह्मोस मिसाइल और राफेल जेट भी इसमें शामिल हैं. पाकिस्तान ने हवाई क्षेत्र बंद कर नोटैम जारी किया. समुद्री फायरिंग वार्निंग भी दी है. यह उसका डर दिखा रही है या सतर्कता.
भारतीय नौसेना 6 अक्टूबर 2025 को विशाखापत्तनम में अंड्रोथ जहाज कमीशन करेगी. यह पनडुब्बी रोधी जहाजों की सीरीज का दूसरा है, जो कोलकाता की जीआरएसई ने 80% स्वदेशी हिस्सों से बनाया. लक्षद्वीप के द्वीप से नाम लिया. आधुनिक हथियारों से लैस, समुद्री सुरक्षा मजबूत करेगा.
बार्क ने 200 मेगावॉट का न्यूक्लियर रिएक्टर बनाया, जो S5 क्लास सबमरीन और प्रोजेक्ट 77 अटैक सबमरीन में लगेगा. यह INS अरिहंत के 83 MWe रिएक्टर से दोगुना शक्तिशाली है. इससे सबमरीन ज्यादा समय डूबकर रह सकेगी. यह चीन की समुद्री ताकत का जवाब है. बार्क SMR और हाइड्रोजन रिएक्टर भी बना रहा.
जर्मनी की TKMS और MDL ने Project-75(I) के लिए बातचीत शुरू की है, जो भारत का सबसे बड़ा रक्षा सौदा है. छह एडवांस AIP पनडुब्बियां MDL में बनेंगी. लागत 70,000 करोड़ रुपये. यह 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देगा. नौसेना को मजबूत करेगा. TKMS तकनीक देगा. पहली पनडुब्बी 2032 में तैयार होगी.
भारत अगले साल तक दो बड़ी पनडुब्बी डील फाइनल करेगा, जिनकी लागत 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियां फ्रांस की नेवल ग्रुप और MDL बनाएंगे. छह स्टील्थ पनडुब्बियां जर्मनी की TKMS और MDL बनाएंगे. ये डील चीन की बढ़ती समुद्री ताकत के खिलाफ नौसेना को मजबूत करेंगी.
ट्रंप का अल्टीमेटम सुनकर मेदवदेव बिफर गए. मेदवेदेव ने X पर लिखा, "ट्रंप रूस के साथ अल्टीमेटम का गेम खेल रहे हैं: 50 दिन या 10 दिन. उनको 2 चीजें याद रखनी चाहिए. 1.रूस इजरायल नहीं है, यहां तक कि ईरान भी नहीं है. 2.हर नया अल्टीमेटम एक धमकी है और युद्ध की ओर एक कदम है. ये रूस और यूक्रेन के बीच का युद्ध नहीं है. बल्कि उनके देश के साथ. उन्हें स्लीपी जो के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए.
ट्रंप ने दो न्यूक्लियर पनडुब्बियों को 'उचित जगह' पर तैनात होने आदेश दिया, क्योंकि रूस के मेदवेदेव ने यूक्रेन पर टैरिफ की धमकी के बाद जवाब दिया. अमेरिका का कहना है कि यह लोगों की सुरक्षा के लिए है, लेकिन रूस मानने को तैयार नहीं. यह तनाव बढ़ा सकता है. कुछ लोग इसे न्यूक्लियर वॉर की शुरुआत कह रहे हैं. लेकिन यह आसान नहीं होगा.
कामचटका प्रायद्वीप में 8.8 तीव्रता का भूकंप और उसके बाद का ज्वालामुखी विस्फोट इस क्षेत्र की नाजुक स्थिति को दिखाता है. अवाचा बेस पर परमाणु पनडुब्बियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई पक्का नुकसान साबित नहीं हुआ. रूस का दावा है कि सब ठीक है, लेकिन विशेषज्ञ सतर्क हैं. आफ्टरशॉक्स का खतरा बना हुआ है, इसलिए दुनिया की नजर इस इलाके पर टिकी है.
केवल कुछ चुनिंदा देशों के पास एडवांस हाइपरसोनिक और MIRV-इक्विप्ड मिसाइल सिस्टम हैं या वे इन्हें विकसित कर रहे हैं. ये देश हैं संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम और भारत K-6 मिसाइल के सफल समुद्री परीक्षण के साथ उनमें से एक होने जा रहा है.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत तेजी से अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए स्वदेशी और उन्नत तकनीकों पर काम कर रहा है. इनमें तेजस Mk1A फाइटर जेट, प्रोजेक्ट 17 ब्रावो युद्धपोत, INS वागशीर हंटर-किलर पनडुब्बी और राफेल-एम जैसे अत्याधुनिक हथियार शामिल हैं.
पिछले साल भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम के पास समंदर में 1971 के भारत-पाक युद्ध में डूबे पाकिस्तानी पनडुब्बी Ghazi को खोज निकाला है. अब पाकिस्तान उसे नया अवतार देने की तैयारी में है. चीन के साथ मिलकर 8 पनडुब्बियां बनवा रहा है, जिसमें से एक गाजी भी है.
भारत की नई अरिहंत-क्लास परमाणु पनडुब्बी S-4 में ताकतवर K-5 SLBM मिसाइल लगाई जाएगी. इसकी रेंज 8000 किमी हो सकती है. इससे भारतीय महासागर के मध्य से ही पूरे चीन को भारतीय नौसेना की पहुंच में लाया जा सकता है. आइए जानते हैं इसकी ताकत...
भारत की हंटर-किलर सबमरीन INS Vaghsheer अगले साल जनवरी में भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली है. इसे भारत के प्रोजेक्ट 75 के तहत बनाया जा रहा है. पिछले साल 18 मई से इसके समुद्री ट्रायल्स चल रहे थे. आईएनएस तुशिल युद्धपोत के बाद वाघशीर के आने से भारत की समुद्री ताकत बढ़ जाएगी.
Indian Navy ने हाल ही में समंदर से लॉन्च होने वाली परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग की थी. इसकी रेंज में पूरा पाकिस्तान और चीन का लगभग हर शहर है. इस सीक्रेट मिसाइल टेस्टिंग की अब तो नौसेना चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी भी पुष्टि कर चुके हैं. हमारे पड़ोसी मुल्क इस मिसाइल के खौफ में हैं.
चीन की मदद से PAK कितना भी हथियार जमा कर ले. युद्धपोत और पनडुब्बियां हासिल कर ले लेकिन भारत उससे आगे ही रहेगा. पाकिस्तान और चीन की हर हरकत पर भारतीय नौसेना की नजर है. नौसेना 62 नौसैनिक शिप्स के निर्माण के साथ इन चीजों पर कर रही है फोकस...
Second World War में डूबी ब्रिटिश पनडुब्बी आखिरकार 81 साल बाद समंदर में 770 फीट नीचे मिल गई है. इस पनडुब्बी के साथ तीन जासूस और 64 सैनिक डूब गए थे. इन जासूसों को कालामोस द्वीप छोड़ने जा रही पनडुब्बी जर्मनी द्वारा बिछाए गए बारूदी सुरंगों का शिकार बनी थी.
कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने भारतीय नौसेना के लिए 40 हजार करोड़ रुपए की लागत से 2 परमाणु पनडुब्बी बनाने की अनुमति दे दी है. ये पनडुब्बियां विशाखापट्टनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में बनाई जा सकती है. इसमें लार्सेन एंड टुब्रो जैसी निजी कंपनियां भी शामिल हो सकती हैं.
अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि प्रशिक्षण मानकों और उपकरणों की गुणवत्ता पर उठने वाले सवालों के अलावा, यह घटना पीएलए की आंतरिक जवाबदेही और चीन के रक्षा उद्योग की निगरानी के बारे में गहरे सवाल उठाती है- जो लंबे समय से भ्रष्टाचार से ग्रस्त है.