भारत से पाकिस्तान तक चार बांधों और उनकी संबंधित नहरों के माध्यम से सिंधु नदी का पानी पहुंचाने वाले सभी चार स्लुइस गेट बंद कर दिए गए हैं. नदी के पानी के रुकने से पाकिस्तान की कृषि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, विशेष रूप से पंजाब और सिंध में. कृषि पाकिस्तान के जीडीपी में 21% का योगदान करती है.
कृषि पाकिस्तान के 45% कार्यबल को रोजगार देती है. जलविद्युत उत्पादन में कमी के कारण बिजली कटौती होगी. अधिकांश नदियां भारतीय क्षेत्र से बहती हैं, जिसमें भारतीय कश्मीर भी शामिल है। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गंभीर संघर्ष की ओर बढ़ रहा है, जिसमें आतंकवाद और जल विवाद दोनों पक्षों के लिए दांव पर हैं.
पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलुज)
1. कुल वार्षिक प्रवाह: 33 एमएएफ (~40.7 बीसीएम)
2. बांध बुनियादी ढांचे की क्षमता: ~21.19 बीसीएम का भंडारण
3. भारत पहले से ही अपने हिस्से का 95% उपयोग कर रहा है
पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चेनाब)
1. कुल वार्षिक प्रवाह: 135 एमएएफ (~166.5 बीसीएम)
2. भारत की वर्तमान भंडारण क्षमता: 3.6 एमएएफ (~4.4 बीसीएम) जलविद्युत के लिए
कौन सी नदी पाकिस्तान के किन इलाकों से गुजरती है
सिंधु नदी... कराची, अटोक, गिलगिट, थट्टा, पेशावर, जमशोरो, रावलपिंडी, कोट मिथन.
झेलम नदी... मुजफ्फराबाद, न्यू मिरपुर सिटी, झांग.
रावी नदी... लाहौर, पठानकोट, कमालिया.
सतलज नदी... पंजाब, बहावलपुर.
चेनाब नदी... सियालकोट, कोट मिथन.
सिंधु जल संधि और पाकिस्तान की चिंताएं
1960 की सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता है. हाल ही में भारत के संभावित संधि से हटने की अटकलों ने पाकिस्तान के लिए, विशेष रूप से पंजाब प्रांत के लिए, इसके प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया है. भारत पूर्वी नदियों को तुरंत नियंत्रित कर सकता है. पश्चिमी नदियों के नियमन के लिए नए बांधों और परियोजनाओं की आवश्यकता होगी.
पाकिस्तानी पंजाब की निर्भरता
पाकिस्तानी पंजाब की अर्थव्यवस्था चेनाब और झेलम नदियों पर बहुत अधिक निर्भर करती है, जो सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण हैं. इन नदियों के प्रवाह में किसी भी तरह की बाधा से कृषि उत्पादन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है.
संभावित परिणाम
1. कृषि का नुकसान: पाकिस्तानी पंजाब में गेहूं, चावल और गन्ने का उत्पादन काफी प्रभावित हो सकता है, जिससे खाद्य असुरक्षा बढ़ सकती है.
2. जल स्तर में गिरावट: सतही जल में कमी से भूजल के अत्यधिक दोहन में वृद्धि हो सकती है, जिससे सिंचाई अस्थिर हो सकती है.
3. आर्थिक और सामाजिक संकट: कृषि क्षेत्र पर प्रभाव से आर्थिक संकट, ग्रामीण बेरोजगारी और सामाजिक अशांति हो सकती है.
भारत की रणनीतिक लाभ
भारत का चेनाब और झेलम नदियों के ऊपरी हिस्सों पर नियंत्रण उसे रणनीतिक लाभ प्रदान करता है. भारत इन नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करके पाकिस्तान पर दबाव डाल सकता है, जिससे तनाव बढ़ सकता है.