भारत अपनी नौसेना को और ताकतवर बनाने के लिए पहला परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत (Nuclear Powered Aircraft Carrier) विकसित करने जा रहा है. इसका नाम INS विशाल है. 6 अगस्त 2025 को रक्षा मंत्रालय ने 15 साल की योजना टेक्नोलॉजी पर्सपेक्टिव एंड कैपेबिलिटी रोडमैप 2025 (TPCR-2025) जारी की. यह योजना भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वियों का मुकाबला करने के लिए तैयार करेगी.
INS विशाल: भारत की नई ताकत
INS विशाल स्वदेशी विमानवाहक-3 (IAC-3) भी कहा जाता है. भारत का तीसरा विमानवाहक पोत होगा. यह कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में बनेगा और परमाणु ऊर्जा से चलेगा. इसका वजन 65 से 75 हजार टन होगा, लंबाई 300 मीटर और गति लगभग 55 किमी/घंटा होगी.
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यह 55 विमानों को ले जा सकेगा, जिसमें 40 फिक्स्ड-विंग (लड़ाकू विमान) और 15 रोटरी-विंग (हेलीकॉप्टर) होंगे. इसका नाम ‘विशाल’ संस्कृत में ‘विशालकाय’ का प्रतीक है. यह भारत को अमेरिका और फ्रांस के बाद तीसरा देश बनाएगा, जो परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत संचालित करता है.
परमाणु ऊर्जा के फायदे
परमाणु-संचालित पोत कई मायनों में खास है...

ये फायदे INS विशाल को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की ताकत बढ़ाने में मदद करेंगे, खासकर चीन और पाकिस्तान के खिलाफ.
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INS विशाल की खासियतें
TPCR-2025 के अनुसार, INS विशाल में ये आधुनिक तकनीकें होंगी...

विमानों का मिश्रण
INS विशाल का हवाई दस्ता विविध और आधुनिक होगा...
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भारत की मौजूदा ताकत
भारत के पास अभी दो विमानवाहक पोत हैं...
ये दोनों 2023 में डबल-कैरियर ड्रिल, मालाबार (अमेरिका के साथ) और वरुणा (फ्रांस के साथ) जैसे अभ्यासों में हिस्सा ले चुके हैं. लेकिन ये पारंपरिक ईंधन से चलते हैं, जिससे उनकी सीमा और शक्ति सीमित है.

क्यों जरूरी है INS विशाल?
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान की बढ़ती ताकत ने भारत को INS विशाल जैसा पोत बनाने के लिए प्रेरित किया है...
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चुनौतियां
INS विशाल का निर्माण आसान नहीं होगा...
परमाणु रिएक्टर: भारत के पास अरिहंत पनडुब्बी के लिए 83 MW का रिएक्टर है, लेकिन INS विशाल को 500-550 MW की जरूरत है. इसे विकसित करने में 15-20 साल और भारी खर्च लगेगा.
लागत: इसकी लागत 10-12 बिलियन डॉलर (लगभग 80,000-1,00,000 करोड़ रुपये) हो सकती है, जो भारत के रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा है.
समय: निर्माण और परीक्षण में 12-15 साल लग सकते हैं, यानी यह 2030 के दशक के अंत तक तैयार होगा.
वैकल्पिक योजना: अगर परमाणु रिएक्टर में देरी हुई, तो भारत गैस टरबाइन और इलेक्ट्रिक प्रणोदन प्रणाली का उपयोग कर सकता है, जैसा कि ब्रिटेन और अमेरिका के साथ सहयोग से हो रहा है.

स्वदेशीकरण पर जोर
TPCR-2025 में स्वदेशीकरण पर जोर है. भारत विदेशी आपूर्तिकर्ताओं (रूस, फ्रांस, अमेरिका) पर निर्भरता कम करना चाहता है. इसलिए...
सामरिक महत्व
INS विशाल भारत को हिंद-प्रशांत में एक मजबूत नौसैनिक शक्ति बनाएगा...