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आईएनएस विक्रमादित्य

आईएनएस विक्रमादित्य

आईएनएस विक्रमादित्य

आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) भारतीय नौसेना का एक प्रमुख और शक्तिशाली विमानवाहक पोत है, जो भारत की समुद्री शक्ति और रणनीतिक क्षमता का प्रतीक है. इसका नाम भारतीय इतिहास के एक महान सम्राट "विक्रमादित्य" के नाम पर रखा गया है, जो अपने पराक्रम और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध थे.

आईएनएस विक्रमादित्य मूल रूप से सोवियत संघ का एक विमानवाहक पोत था, जिसका नाम था एडमिरल गोर्शकोव. इसे रूस में निर्मित किया गया था और 1987 में सेवा में लाया गया. भारत ने इसे 2004 में रूस से अधिग्रहीत किया और इसके बाद इसे अत्याधुनिक तकनीकों से अपग्रेड किया गया. यह 16 नवंबर 2013 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया.

इसका वजन लगभग 44,500 टन और लंबाई लगभग 284 मीटर है. इसकी अधिकतम गति 30 समुद्री मील (लगभग 56 किमी/घंटा) है. विमान में मिग-29K लड़ाकू विमानों और कई हेलिकॉप्टरों को ले जाने और संचालित करने की क्षमता है. इसमें एक शक्तिशाली डीजल और गैस टरबाइन इंजन है जो इसे लंबी दूरी तक संचालन की क्षमता देता है.

आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना की ब्लू वॉटर नेवी की अवधारणा को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह पोत भारत को दूरदराज के समुद्री क्षेत्रों में प्रभावी उपस्थिति बनाए रखने की क्षमता प्रदान करता है. यह न केवल एक विमानवाहक पोत है, बल्कि यह एक चलते-फिरते एयरबेस की तरह काम करता है.

आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात नौसैनिकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे इसकी जटिल प्रणालियों को संचालित कर सकें. इसमें विमान संचालन, युद्ध प्रबंधन, संचार प्रणाली, और आपातकालीन प्रबंधन जैसी क्षमताएं शामिल हैं.

 

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