पीएमसी बैंक के खिलाफ लगाई गई अवमानना अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करने जा रहा है. इस अर्जी में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद पीएमसी बैंक के खाताधारकों द्वारा पैसे न निकाल पाने की दिक्कत को लेकर लिखे गए पत्रों पर कोई राहत देने की बजाय उसको खारिज कर दिया गया.
28 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने पीएमसी बैंक को आदेश दिया था कि वह खाताधारकों की आर्थिक परेशानियों के मद्देनजर 5 लाख रुपये तक निकालने की इजाजत दे. दिल्ली हाई कोर्ट ने यह फैसला उस जनहित याचिका पर सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि पीएमसी बैंक के खाताधारक सीनियर सिटीजंस को तुरंत 5 लाख रुपये निकालने की सुविधा मिलनी चाहिए.
याचिका में कहा गया था कि कोरोना काल मे सीनियर सिटीजन के लिए उनकी सेविंग्स ही उनका आर्थिक सहारा है. पैसे की तंगी के चलते सीनियर सिटीजन को रोज अपनी जिंदगी जद्दोजहद के साथ जीनी पड़ रही है. पीएमसी बैंक से पैसे न निकाल पाने के कारण मेडिकल सुविधाओं के लिए भी सीनियर सिटीजन परेशान घूम रहे हैं.
शुक्रवार को होने वाली सुनवाई के लिए जिस अर्जी को लगाया गया है, उसने कहा गया है कि बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट के सेक्शन 35A के तहत आरबीआई ने पीएमसी बैंक से बिना किसी ठोस आधार के पैसे निकालने पर दिसंबर 2020 तक के लिए रोक लगा दी. इसके चलते खाताधारकों की आर्थिक परेशानियां और बढ़ गई हैं.
पूरे देश में पीएमसी बैंक के 9 लाख खाताधारक हैं, जिनमें से साढ़े तीन लाख सीनियर सिटीजन हैं. कई सीनियर सिटीजन की समय पर पैसा न मिलने के चलते मौत तक हो चुकी है. इससे पहले आरबीआई ने एक सर्कुलर निकालकर पीएमसी बैंक पर नियामक प्रतिबंध 23 मार्च 2020 से 22 जून 2020 तक तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया था.पीएमसी बैंक में लोगों के 11000 करोड़ रुपये जमा हैं.
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यह सहकारी बैंक है और इसमें ज्यादातर उन लोगों के खाते हैं, जो बेहद गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार से हैं. ऑटो चालक से लेकर टैक्सी ड्राइवर, छोटे कारोबारी और पेंशनर्स के खाते इस बैंक में हैं. ऐसे में आरबीआई के प्रतिबंध के बाद सबसे ज्यादा नुकसान खाताधारकों का हुआ है.
खाताधारकों में भी सीनियर सिटीजन के लिए यह दोहरी मार वाला रहा है, क्योंकि ज्यादातर सीनियर सिटीजन के पास आय का कोई और जरिया नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट में पीएमसी बैंक के खिलाफ ये अर्जी सामाजिक कार्यकर्ता बिजौन मिश्र की तरफ से वकील शशांक देव सुधी ने लगाई है.
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