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17 साल बाद जेल से बाहर आया 'दगड़ी का डॉन' अरुण गवली, शिवसेना नेता हत्याकांड में मिली थी उम्रकैद

मुंबई में अपराध और राजनीति, दोनों में बराबर दखल रखने वाले डॉन अरुण गवली उम्रकैद की सजा काट रहे थे. 17 साल बाद सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत ने इस नाम को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है. उनकी रिहाई के बाद मुंबई और नागपुर दोनों जगह सुरक्षा बढ़ा दी गई.

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उम्रकैद भुगत रहे अरुण गवली को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत. (File Photo: ITG)
उम्रकैद भुगत रहे अरुण गवली को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत. (File Photo: ITG)

'दगड़ी चॉल का डॉन' कहलाने वाला अरुण गवली 17 साल बाद जेल से बाहर आ गया है. बुधवार को नागपुर सेंट्रल जेल से उनकी रिहाई ने पूरे माहौल को बदल दिया. दोपहर करीब 12:30 बजे जैसे ही जेल के दरवाजे खुले, बाहर खड़े परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, वकील और समर्थकों की भीड़ नारेबाजी करते हुए उनके स्वागत में जुट गई.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते 76 वर्षीय गवली को साल 2007 के चर्चित कमलाकर जामसांडेकर हत्या मामले में जमानत दी थी. इस केस में अगस्त 2012 में मुंबई की एक सत्र अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी और 17 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिसंबर 2019 में इस सजा को बरकरार रखा था.

28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने कहा था कि अरुण गवली 17 साल से जेल में हैं. उनकी अपील अब भी लंबित है. ऐसे में कोर्ट ने निचली अदालत की शर्तों के तहत उन्हें जमानत देने का आदेश दिया. उनकी रिहाई के वक्त जेल में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात था.

चिंचपोकली से विधायक रहे गवली

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जेल से बाहर निकलते ही अरुण गवली को सुरक्षा घेरे में सीधे नागपुर एयरपोर्ट ले जाया गया, जहां से वे मुंबई रवाना हुए. उनका नाम दगड़ी चॉल से शुरू होकर पूरे मुंबई अंडरवर्ल्ड तक गूंजा. बाद में उन्होंने 'अखिल भारतीय सेना' की नींव रखी थी. वो साल 2004 से 2009 तक महाराष्ट्र के चिंचपोकली विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रहे थे.

इसी बीच शिवसेना कॉर्पोरेटर कमलाकर जामसांडेकर की हत्या में उनका नाम सामने आया और इस केस की सुनवाई के बाद उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई. अब 17 साल बाद उनकी वापसी पर बड़ा सवाल यही है कि क्या वे केवल अपने परिवार और करीबी समर्थकों तक सीमित रहेंगे या फिर राजनीति में उनका नाम एक बार फिर गूंजेगा.

अंडरवर्ल्ड डॉन कैसे बने गवली?

मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद जब सभी बड़े अंडरवर्ल्ड डॉन शहर छोड़ चुके थे, तब मैदान लगभग खाली हो गया था. उस समय दो ही खिलाड़ी अरुण गवली और अमर नाइक बचे थे. वर्चस्व को लेकर दोनों के बीच गैंगवार शुरू हो गई. गवली के शार्पशूटर रवींद्र सावंत ने 18 अप्रैल 1994 को नाइक के भाई अश्विन पर जानलेवा हमला किया, लेकिन वो बच गया. 

मुंबई पुलिस ने 10 अगस्त 1996 को एक मुठभेड़ में अमर नाइक को ढेर कर दिया. इसके बाद अश्विन नाइक भी गिरफ्तार हो गया. बस यहीं से मुंबई पर गवली का दबदबा कायम हो गया. हमेशा सफेद टोपी और कुर्ता पहनने वाला अरुण गवली सेंट्रल मुंबई की दगड़ी चॉल में रहता था. वहां उसकी सुरक्षा के इतने कड़े इंतजाम थे कि पुलिस भी बिना इजाजत के अंदर नहीं जाती थी. 

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