सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र, बिहार के सहरसा जिले में स्थित है और यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र सिमरी बख्तियारपुर और सलखुआ प्रखंडों के साथ-साथ महिषी प्रखंड के सात ग्राम पंचायतों को सम्मिलित करता है. इस विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी और पहली बार चुनाव 1952 में संपन्न हुआ था. हालांकि, पहले परिसीमन आयोग की
सिफारिशों के अनुसार यह क्षेत्र समाप्त कर दिया गया था, लेकिन 1967 में दूसरे परिसीमन आयोग द्वारा इसे पुनः स्थापित किया गया और 1969 से नियमित रूप से चुनाव हो रहे हैं.
सिमरी बख्तियारपुर एक अनुमंडल स्तरीय कस्बा है, जो आसपास के गांवों को बड़े बाजारों से जोड़ने का मुख्य केंद्र है. यह सहरसा जिले का दूसरा सबसे बड़ा बाजार माना जाता है. क्षेत्र का भूभाग समतल और उपजाऊ है, जो व्यापक कृषि गतिविधियों को समर्थन देता है. कोसी नदी, जो सिमरी बख्तियारपुर से लगभग 22 किमी दूर है, सिंचाई और बाढ़ की स्थिति को काफी प्रभावित करती है.
यहां की कृषि मुख्यतः धान, गेहूं और मक्का पर आधारित है. इसके अलावा मखाना की खेती भी स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. देश और विदेशों में मखाना की बढ़ती मांग से लोगों की आय और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है. साथ ही, चावल मिल और ईंट भट्ठों जैसे लघु उद्योग भी आर्थिक सहारा प्रदान करते हैं.
यह क्षेत्र बिहार और देश के अन्य भागों से एक राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है, जो सिमरी बख्तियारपुर से होकर गुजरता है. साथ ही एक रेलवे स्टेशन भी है, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी और बेहतर होती है. सहरसा जिला मुख्यालय यहां से लगभग 20 किमी दूर है, जबकि खगड़िया 45 किमी, मधेपुरा 30 किमी, मुंगेर 83 किमी और बेगूसराय 106 किमी की दूरी पर स्थित हैं. राज्य की राजधानी पटना की दूरी लगभग 190 किमी है.
सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र ने अब तक कुल 16 विधानसभा चुनाव देखे हैं, जिनमें 2009 और 2019 में दो उपचुनाव भी शामिल हैं, जब इसके विधायक लोकसभा के लिए निर्वाचित हो गए थे. कांग्रेस पार्टी ने यहां आठ बार जीत दर्ज की है. जनता दल (यूनाइटेड) ने चार बार सफलता पाई, जबकि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2019 के उपचुनाव में जीत के साथ इस क्षेत्र में प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई और 2020 में भी विजय प्राप्त की. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार यह सीट जीती है.
2020 के चुनाव में राजद के युसुफ सलाउद्दीन ने वीआईपी के मुकेश सहनी को मात्र 1,769 वोटों से हराया. यह करीबी मुकाबला लोजपा की वजह से और रोचक बन गया, जिसने एनडीए से अलग होकर अपना उम्मीदवार उतारा था. लोजपा ने 6,962 वोट प्राप्त कर तीसरा स्थान हासिल किया, लेकिन एनडीए की सीट वापसी की कोशिशों को प्रभावित किया. 2015 में यह सीट जेडीयू के पास थी, जब दिनेश चंद्र यादव ने जीत दर्ज की थी. वे पहले 1990 में जनता दल के प्रत्याशी के रूप में और 2005 के दोनों चुनावों में जेडीयू के टिकट पर भी विजयी रह चुके हैं.
सिमरी बख्तियारपुर की मतदाता आबादी पूरी तरह ग्रामीण है, 2011 की जनगणना के अनुसार यहां कोई भी शहरी मतदाता नहीं है. 2020 में यहां कुल 3,38,615 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जातियों के मतदाता 67,373 थे, जो कुल मतदाताओं का लगभग 18.42 प्रतिशत हैं. मुस्लिम मतदाता 69,077 थे, जो लगभग 20.40 प्रतिशत बनते हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,51,506 हो गई. वर्ष 2020 में यहां 58.09 प्रतिशत की सर्वाधिक मतदान दर दर्ज की गई.
2024 के लोकसभा चुनावों में लोजपा के राजेश वर्मा ने खगड़िया सीट जीती और सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में 16,756 वोटों की बढ़त बनाई. यह परिणाम इस ओर संकेत करता है कि एनडीए अब इस सीट पर राजद की पकड़ को चुनौती देने की स्थिति में है, विशेष रूप से तब जब लोजपा फिर से एनडीए का हिस्सा बन चुकी है.
(अजय झा)