बिहार के खगड़िया जिले का एक ब्लॉक, बेलदौर, न केवल भौगोलिक रूप से समतल है बल्कि इसका राजनीतिक इतिहास भी कुछ वैसा ही सपाट है. वर्ष 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद यह विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया. तब से अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, और हर बार जनता दल (यूनाइटेड) को जनता ने खुलकर समर्थन दिया है.
मैदानों में स्थित बेलदौर क्षेत्र के पास से कोसी नदी बहती है, जो यहां की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालती है. गोड़गाई जमालपुर, जो कि बेलदौर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है, इस क्षेत्र का प्रमुख आर्थिक केंद्र है. जिला मुख्यालय खगड़िया 50 किमी, बेगूसराय 70 किमी, सहरसा 55 किमी और भागलपुर 85 किमी की दूरी पर स्थित हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से 180 किमी दूर है.
बेलदौर विधानसभा क्षेत्र में बेलदौर और चौथम प्रखंडों के साथ-साथ गोगरी ब्लॉक की 10 ग्राम पंचायतें शामिल हैं. 2008 से पहले ये क्षेत्र विभिन्न अन्य विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा हुआ करते थे.
यह सामान्य निर्वाचन क्षेत्र है लेकिन आरक्षित नहीं है. यह खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा खंडों में से एक है. वर्ष 2008 से लेकर अब तक हुए तीनों विधानसभा चुनावों में जेडीयू ने जीत दर्ज की है. यह कहना मुश्किल है कि यह जीत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति मतदाताओं के प्रेम की वजह से है या फिर पन्ना लाल सिंह पटेल के कारण, जो बेलदौर में एक लोकप्रिय चेहरा रहे हैं. पटेल वर्ष 2000 में तत्कालीन चौथम विधानसभा से विधायक बने और 2010, 2015 व 2020 में बेलदौर से लगातार जीत दर्ज की. हालांकि उनकी जीत का अंतर घटता गया है. 2010 में 15,738 वोटों से, 2015 में 13,525 और 2020 में महज 5,108 वोट मिले. इससे उनके जनाधार में गिरावट का संकेत मिलता है.
कुछ लोग मानते हैं कि 2020 में कम अंतर की वजह लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का प्रभाव था, जिसने जेडीयू के वोट बैंक में सेंध लगाई. लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है, क्योंकि एलजेपी पहले भी 2010 और 2015 में यहां दूसरा स्थान प्राप्त कर चुकी है. अब जबकि चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (रामविलास) एनडीए का हिस्सा है, जेडीयू को इस फैक्टर की चिंता करने की जरूरत नहीं है. यह समेकन 2024 के लोकसभा चुनावों में दिखा, जब खगड़िया लोकसभा सीट जीतने वाली एलजेपी (RV) ने बेलदौर विधानसभा क्षेत्र में 47,288 वोटों की बढ़त हासिल की.
2020 विधानसभा चुनावों में बेलदौर में 3,06,644 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 में बढ़कर 3,20,807 हो गए. 2020 में अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या 14.57% थी, जबकि मुस्लिम मतदाता 10.3% थे. यह पूरी तरह से ग्रामीण क्षेत्र है. यहां एक भी शहरी मतदाता नहीं है.
बेलदौर के मतदाताओं की एक खास बात यह है कि वे चुनाव प्रक्रिया में खास उत्साह नहीं दिखाते. 2010 में मतदान प्रतिशत 56.61% था, जो 2015 में बढ़कर 59.29% हुआ, लेकिन 2020 में यह फिर घटकर 57.76% रह गया. इसके पीछे व्यापक गरीबी, 40% से भी कम साक्षरता दर और विकास की कमी को मुख्य कारण माना जा सकता है.
2025 के विधानसभा चुनाव में जहां एनडीए पहले से कहीं अधिक संगठित नजर आ रहा है, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाला विपक्ष अगर बेलदौर में जीत हासिल करना चाहता है, तो उसे कोई बड़ा उलटफेर करना होगा.
(अजय झा)