आलमनगर बिहार के मधेपुरा जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी की विधानसभा सीट है, जो मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र आलमनगर, पुरैनी और चौसा प्रखंडों के साथ-साथ उदाकिशुनगंज प्रखंड के रहटा फनहन, नयनगर, सजहदपुर, लश्करी, मंझोरा, जोतैली, खारा, बुधमा और गोपालपुर पंचायतों को भी सम्मिलित करता है.
क्षेत्र अब तक 17 बार चुनाव देख चुका है. इस क्षेत्र की विशेषता यह है कि मतदाताओं ने कुछ चुनिंदा नेताओं पर लगातार भरोसा जताया है. 1952 में पहले चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के तनुक लाल यादव विजयी हुए. इसके बाद 1957 से 1972 तक कांग्रेस के यदुनंदन झा और विद्याकर कवि ने पांच बार इस सीट पर कब्जा किया, जिसमें यदुनंदन झा ने दो बार और विद्याकर कवि ने तीन बार जीत हासिल की.
इसके बाद जनता पार्टी के टिकट पर 1977 और 1980, लोक दल से 1985 और जनता दल से 1990 में बीरेन्द्र कुमार सिंह ने जीत दर्ज की. 1995 से नरेंद्र नारायण यादव इस सीट पर लगातार सात बार विजयी रहे हैं. शुरू में उन्होंने जनता दल से चुनाव लड़ा और 2000 से जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार रहे. वे बिहार विधानसभा के पूर्व मंत्री और वर्तमान में उपाध्यक्ष हैं. उनकी लोकप्रियता समय के साथ बढ़ती गई है. 2020 में उन्होंने राजद के नवीन कुमार को 28,680 वोटों से हराया. यह उनके पिछले तीन चुनावों में सबसे कम जीत का अंतर रहा. उन्हें 1,02,517 (48.17%) वोट मिले जबकि नवीन कुमार को 73,837 (34.69%) वोट मिले। मतदान प्रतिशत 59.3% रहा.
2020 के विधानसभा चुनावों में आलमनगर में कुल 3,44,616 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें लगभग 60,214 अनुसूचित जाति (17.47%) और 43,421 मुस्लिम मतदाता (12.60%) शामिल थे. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह संख्या बढ़कर 3,72,591 हो गई, हालांकि 2020 की सूची से 3,914 मतदाता अन्यत्र स्थानांतरित हो चुके थे.
यहां यादव समुदाय के मतदाताओं की संख्या लगभग 1,03,200 है, जो कुल मतदाताओं का लगभग 29.9% है. यह उन्हें क्षेत्र का सबसे बड़ा जातीय समूह बनाता है.
2024 के लोकसभा चुनाव में जदयू के दिनेश चंद्र यादव ने आलमनगर विधानसभा क्षेत्र में राजद के कुमार चरणदीप पर 73,275 मतों की बढ़त बनाई, जो 2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में कहीं अधिक थी. इससे क्षेत्र में जदयू की पकड़ और मजबूत हुई है.
आलमनगर का नाम संभवतः मुगल सम्राट आलमगीर द्वितीय के नाम पर पड़ा है, जिनका शासनकाल 1754 से 1759 तक रहा. यह मधेपुरा जिला मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. यह क्षेत्र मुरलीगंज (28 किमी उत्तर-पूर्व), नौगछिया (42 किमी दक्षिण-पूर्व) और सहरसा (55 किमी पश्चिम) से भी जुड़ा हुआ है. पटना से इसकी दूरी लगभग 145 किमी है. नजदीकी रेलवे स्टेशन बिहारगंज और दौराम मधेपुरा हैं, जो एक घंटे की दूरी पर स्थित हैं.
हालांकि यह क्षेत्र कई कस्बों से जुड़ा है, फिर भी आलमनगर मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है और सार्वजनिक परिवहन तथा आधारभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है.
आलमनगर की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है. यहां धान, मक्का और गेहूं प्रमुख फसलें हैं. कोसी नदी के कारण आने वाली मौसमी बाढ़ और खराब सड़क संपर्क लंबे समय से समस्याएं बनी हुई हैं. यहां एक डिग्री कॉलेज की अनुपस्थिति और सीमित स्वास्थ्य सेवाएं चुनावी मुद्दों में प्रमुख रहती हैं.
2025 के विधानसभा चुनावों में जदयू एक बार फिर नरेंद्र नारायण यादव को मैदान में उतार सकता है. पार्टी की रणनीति स्पष्ट रूप से स्थिरता और निरंतरता पर केंद्रित है. वहीं राजद, जिसने अब तक इस सीट पर जीत दर्ज नहीं की है, के लिए मतदाता रुझान में बड़ा बदलाव लाना एक कठिन चुनौती होगी.
(अजय झा)