नाथनगर, बिहार के भागलपुर जिले में स्थित एक प्रखंड है, जिसकी ऐतिहासिक विरासत लगभग 2800 वर्ष पुरानी मानी जाती है. यह क्षेत्र प्राचीन अंग महाजनपद का हिस्सा था, जो प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था.
नाथनगर का चंपानगर इलाका कभी अंग साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था. कहा जाता है कि इस पर महाभारत काल के महान योद्धा कर्ण का शासन था.
पुरातात्विक सर्वेक्षणों में यहां बड़े टीलों के नीचे प्राचीन किलों और महलों के अवशेष पाए गए हैं. हालांकि, निधियों की कमी के कारण खुदाई का कार्य अधूरा रह गया. सीमित खुदाई में प्राप्त ईंटें, मृदभांड और अन्य अवशेष इस बात का प्रमाण हैं कि यह क्षेत्र कभी एक समृद्ध सभ्यता का केंद्र रहा होगा. महाभारत काल से जुड़ा माना जाने वाला मनीनाथ मंदिर आज भी यहां स्थित है.
वर्तमान में नाथनगर पवित्र गंगा नदी के पास बसा है. यहां की जमीन समतल और उपजाऊ है, जो खेती के लिए उपयुक्त है. हालांकि कुछ छोटे पैमाने के उद्योग भी उभरे हैं, परंतु स्थानीय अर्थव्यवस्था अब भी मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है.
नाथनगर, भागलपुर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर है. इसके निकटवर्ती कस्बों में सुल्तानगंज (25 किमी) और कहलगांव (30 किमी) शामिल हैं.
नाथनगर विधानसभा क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी. यह भागलपुर लोकसभा सीट के छह विधानसभा खंडों में से एक है. यह नाथनगर और सबौर प्रखंडों के साथ-साथ जगदीशपुर प्रखंड के 15 ग्राम और नगर पंचायतों को शामिल करता है.
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 3,26,124 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,40,735 हो गए. इनमें से अनुमानतः 10.9% मतदाता अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, जबकि मुस्लिम मतदाताओं की हिस्सेदारी लगभग 22.3% है. यह क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है, जिसमें केवल 13.94% मतदाता शहरी हैं.
पिछले 48 वर्षों में नाथनगर में 15 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें एक उपचुनाव 2019 में हुआ. 2000 से शुरू होकर लगातार छह बार (एक बार समता पार्टी के नाम से) जनता दल (यूनाइटेड) ने यहां जीत दर्ज की है. यह सीट इस बात का उदाहरण है कि आंतरिक कलह कैसे बाहरी दलों को फायदा पहुंचाती है. 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मतभेद के चलते लोजपा ने एनडीए से अलग होकर 134 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, और सिर्फ एक सीट जीतकर भी जदयू को 25 सीटों पर नुकसान पहुंचाया, जिनमें नाथनगर भी शामिल था.
इसका परिणाम यह हुआ कि 2020 के चुनावों में जदयू की जीत की सीरीज टूट गई, और पहली बार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अली अशरफ सिद्दीकी ने जदयू के मौजूदा विधायक लक्ष्मीकांत मंडल को 7,756 वोटों से हराकर सीट अपने नाम की. लोजपा ने उस चुनाव में 14,715 वोट हासिल किए.
चार साल बाद, जब लोजपा फिर से एनडीए में शामिल हुई, तो 2024 के लोकसभा चुनावों में नाथनगर खंड में जदयू ने 10,798 वोटों की बढ़त दर्ज की.
नाथनगर विधानसभा सीट पर जदयू ने छह बार, राजद ने एक बार, कांग्रेस ने तीन बार (आखिरी बार 1980 में), जनता दल ने दो बार, और भारतीय जनसंघ व लोक दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
नाथनगर में मतदाताओं की भागीदारी हमेशा स्थिर रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 60.12% था, जो 2020 के विधानसभा चुनाव में थोड़ा घटकर 59.82% रहा.
2025 के विधानसभा चुनावों में राजद को अगर इस सीट को बरकरार रखना है, तो केवल एनडीए में दरार की उम्मीद करना शायद काफी नहीं होगा. इसे जीतने के लिए जमीनी रणनीति और मजबूत संगठनात्मक ताकत की आवश्यकता होगी.
(अजय झा)