पीरपैंती बिहार के भागलपुर जिले का एक ब्लॉक और अधिसूचित क्षेत्र है. सरकारी भाषा में, अधिसूचित क्षेत्र ऐसे बस्तियों को कहा जाता है जो ना तो पूरी तरह गांव होती हैं और ना ही नगर. जिला मुख्यालय भागलपुर से 53 किलोमीटर पूर्व में स्थित पीरपैंती गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है. इसके आसपास के प्रमुख शहरों में कहलगांव (25 किमी पश्चिम), मनिहारी (30 किमी
उत्तर-पूर्व), झारखंड का साहिबगंज (40 किमी पूर्व) और कटिहार (70 किमी उत्तर-पूर्व) शामिल हैं. राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 233 किलोमीटर दूर है.
गंगा नदी पीरपैंती की जीवनरेखा मानी जाती है. इसका धार्मिक महत्व भी है. गंगा तट पर स्थित एक पीर की मजार यहां के लोगों की श्रद्धा का केंद्र है. मध्यकाल में बिहार में कई सूफी संतों का आगमन हुआ था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह पीर कौन थे. दिलचस्प बात यह है कि इस पीर की मजार पर विभिन्न धर्मों के लोग श्रद्धा से आते हैं.
गंगा नदी न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह कृषि, मछली पालन, परिवहन और व्यापार की दृष्टि से भी अहम भूमिका निभाती है. पीरपैंती की मिश्रित अर्थव्यवस्था में कृषि और मछली पालन के साथ-साथ व्यापार और लघु उद्योग भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं.
पीरपैंती भागलपुर जिले का सबसे बड़ा प्रखंड है जिसमें 89 गांव और 29 पंचायतें शामिल हैं.
2020 विधानसभा चुनावों में पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में कुल 3,35,919 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,53,124 हो गए. मतदाता संरचना में अनुसूचित जातियों का हिस्सा 13.31 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों का 11.65 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय का 11.7 प्रतिशत है. पीरपैंती में मतदान प्रतिशत आमतौर पर काफी अच्छा रहता है. 2015 के विधानसभा चुनावों में यह 57.56 प्रतिशत रहा, जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में यह 59.67 प्रतिशत और 2020 के विधानसभा चुनावों में 59.03 प्रतिशत रहा.
1951 में स्थापित पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र, भागलपुर लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इस क्षेत्र में पीरपैंती प्रखंड के अलावा कहलगांव विकास खंड की 18 ग्राम पंचायतें भी आती हैं. प्रारंभ में यह सीट सामान्य श्रेणी की थी, लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया.
हालांकि, आरक्षण का चुनाव परिणामों पर सीधा असर नहीं पड़ा है. यहां भाजपा और राजद के बीच बराबरी की टक्कर होती रही है. अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में सीपीआई ने छह बार और कांग्रेस ने पांच बार यह सीट जीती है. राजद ने चार बार और भाजपा ने दो बार जीत हासिल की है. 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के ललन कुमार ने राजद उम्मीदवार को 27,019 वोटों से हराया था.
2015 में भाजपा को राजद से 5,144 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था, जबकि 2010 में भाजपा ने 5,752 वोटों से जीत दर्ज की थी. हालांकि, ये आंकड़े किसी एकतरफा रुझान की ओर संकेत नहीं करते. 2024 के लोकसभा चुनावों में जब जदयू ने भागलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, तो पीरपैंती क्षेत्र में राजद को बढ़त मिली.
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पीरपैंती की सीट को कोई भी पार्टी हल्के में नहीं ले सकती. 2025 के विधानसभा चुनावों में यहां कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
(अजय झा)