बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित ब्लॉक साहेबपुर कमाल इतिहास के पन्नों में कहीं खो गया है. इसके स्थानीय इतिहास या इसके नाम की उत्पत्ति के बारे में कोई प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है. हालांकि, ऐतिहासिक रूप से यह क्षेत्र कृषि आधारित अर्थव्यवस्था का केंद्र रहा है, जिसका कारण है इसके पास बहने वाली गंगा नदी. आज भी यहां चावल, गेहूं और मक्का की खेती
ही लोगों का प्रमुख पेशा है, जो पीढ़ियों से चला आ रहा है.
साहेबपुर कमाल सड़क और रेल मार्गों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है. जिला मुख्यालय बेगूसराय यहां से 30 किलोमीटर दूर है, जबकि खगड़िया 20 किलोमीटर और समस्तीपुर 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. राज्य की राजधानी पटना लगभग 120 किलोमीटर दूर है.
साहेबपुर कमाल बिहार की नवीनतम विधानसभा सीटों में से एक है, जिसे 2008 में परिसीमन की प्रक्रिया के बाद अस्तित्व में लाया गया. यह बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र के सात विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. 2010 के पहले चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) ने जीत हासिल की, लेकिन इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 2014 के उपचुनाव समेत तीन बार यह सीट अपने नाम की.
2014 का उपचुनाव तब हुआ जब विधायक परवीन अमानुल्लाह ने नीतीश कुमार सरकार से मंत्री पद और पार्टी दोनों से इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी का दामन थामा. उन्होंने पटना साहिब लोकसभा सीट से AAP के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन केवल 0.84 प्रतिशत वोट प्राप्त कर हार गईं. परवीन, पूर्व राजनयिक और सांसद सैयद शहाबुद्दीन की बेटी और वरिष्ठ IAS अधिकारी अफजल अमानुल्लाह की पत्नी हैं उन्होंने RJD के श्रीनारायण यादव को 11,111 वोटों से हराया था. बाद में यादव ने 2014 और 2015 में यह सीट जीत ली. 2020 में RJD के सत्यनंद सम्बुद्ध ने यह सीट “डिफॉल्ट” रूप में जीत ली.
2020 विधानसभा चुनावों से ठीक पहले LJP ने NDA से नाता तोड़ लिया और साहेबपुर कमाल से अपना उम्मीदवार उतारा. यह उन 25 सीटों में शामिल रही जहां JD(U) की हार के लिए LJP को जिम्मेदार ठहराया गया. RJD ने इस सीट पर 14,225 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की, जबकि LJP को 22,871 वोट मिले. अब जब JD(U) और LJP (रामविलास गुट) ने अपने मतभेद भुलाकर भाजपा-नीत NDA में फिर से एकता बना ली है, तो 2025 के आगामी चुनावों में साहेबपुर कमाल में एक नया चुनावी समीकरण देखने को मिल सकता है. तकनीकी रूप से देखें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस विधानसभा क्षेत्र में 1,453 वोटों की मामूली बढ़त मिली थी, जो इस क्षेत्र में NDA और महागठबंधन के बीच कड़ी टक्कर की ओर इशारा करता है.
साहेबपुर कमाल विधानसभा क्षेत्र की रचना बलिया विधानसभा सीट के समाप्त होने के बाद हुई, और इसमें अब साहेबपुर कमाल एवं बलिया विकास खंड शामिल हैं. 2020 में इस क्षेत्र में कुल 2,49,426 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 2,68,879 हो गए. 2020 के आंकड़ों के अनुसार, यहां लगभग 10 प्रतिशत मतदाता अनुसूचित जाति से थे और 16.5 प्रतिशत मुस्लिम समुदाय से. यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, जिसमें केवल 12.63 प्रतिशत मतदाता शहरी श्रेणी में आते हैं.
साहेबपुर कमाल का सबसे सकारात्मक पक्ष यहां का लगातार बढ़ता मतदान प्रतिशत है. 2015 के विधानसभा चुनाव में यह 58.57 प्रतिशत था, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 62.33 प्रतिशत हो गया. 2020 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा और बढ़कर 62.87 प्रतिशत तक पहुंच गया.
(अजय झा)