बिहार के बेगूसराय जिले का एक प्रमुख विधानसभा क्षेत्र बछवाड़ा अपनी दिलचस्प राजनीतिक इतिहास के लिए जाना जाता है. यह इलाका अब तक किसी एक राजनीतिक विचारधारा या दल के प्रति वफादार नहीं रहा है. पिछले छह विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो यहां किसी भी पार्टी को लगातार दो बार जनादेश नहीं मिला है. इससे यह स्पष्ट होता है कि बछवाड़ा के मतदाता अभी भी उस नेता
या पार्टी की तलाश में हैं जो उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सके.
बछवाड़ा ने आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव से ही अपने विधायकों का चुनाव करना शुरू कर दिया था. यह विधानसभा क्षेत्र बेगूसराय लोकसभा सीट के तहत आने वाले सात क्षेत्रों में से एक है. अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सात बार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने पांच बार इस सीट पर जीत दर्ज की है. इसके अलावा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, एक निर्दलीय उम्मीदवार, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी इस सीट पर एक-एक बार जीत हासिल की है.
2020 के चुनाव में भाजपा ने अपने तत्कालीन बेगूसराय विधायक सुरेंद्र मेहता को पास के बछवाड़ा क्षेत्र में उतारा. यह रणनीति कामयाब रही और भाजपा ने इस सीट पर पहली बार जीत दर्ज की, वह भी महज 484 वोटों के बेहद करीबी मुकाबले में. यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि सीपीआई उम्मीदवार अवधेश राय तीन बार बछवाड़ा से विधायक रह चुके थे और वे यादव समुदाय से आते हैं, जो यहां की आबादी का 25 प्रतिशत से अधिक है. इससे पहले के 12 में से 11 चुनावों में यादव समुदाय के उम्मीदवार ही विजयी रहे थे.
मार्च 2024 से सुरेंद्र मेहता बिहार सरकार में खेल मंत्री के रूप में कार्यरत हैं. यह भाजपा की ओर से बछवाड़ा के मतदाताओं को लुभाने की एक और रणनीति मानी जा रही है, क्योंकि हाल के वर्षों में यहां से चुने गए किसी भी विधायक को मंत्री पद नहीं मिला था. भाजपा अब यह दावा कर सकती है कि उसने बछवाड़ा का मान बढ़ाया है. अगर मेहता दोबारा जीतते हैं तो वे स्थानीय जनता की कई अधूरी अपेक्षाओं को पूरा कर सकते हैं.
हालांकि, भाजपा के लिए जीत की राह आसान नहीं है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बछवाड़ा का रुझान सीपीआई के पक्ष में दिखा. भले ही भाजपा के कद्दावर नेता गिरिराज सिंह ने बेगूसराय लोकसभा सीट से जीत दर्ज की, लेकिन बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में उन्हें सीपीआई के प्रतिद्वंद्वी से 4,516 वोटों से पीछे रहना पड़ा. यह भाजपा के लिए एक चेतावनी हो सकती है.
बछवाड़ा मिथिला क्षेत्र का हिस्सा है और पास से बहती गंगा नदी इसकी संस्कृति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है. स्थानीय अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. यहां की उपजाऊ भूमि पर धान, गेहूं, मक्का आदि की खेती होती है. यह क्षेत्र बेगूसराय और समस्तीपुर जिलों की सीमा पर स्थित है. बेगूसराय जिला मुख्यालय जहां 35 किलोमीटर दूर है, वहीं समस्तीपुर महज 12 किलोमीटर की दूरी पर है. निकटवर्ती शहरों में दलसिंहसराय और मोकामा शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनाव में बछवाड़ा में 2,97,646 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें से 61 प्रतिशत ने मतदान किया. अनुसूचित जाति के मतदाता 17.31 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता 9 प्रतिशत थे. यहां शहरी मतदाताओं की संख्या सिर्फ 1.20 प्रतिशत है, जिससे यह स्पष्ट है कि बछवाड़ा एक ग्रामीण बहुल क्षेत्र है. 2024 के लोकसभा चुनाव तक यहां पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,13,772 हो गई थी.
बछवाड़ा की राजनीतिक पृष्ठभूमि और हालिया घटनाक्रमों को देखते हुए, आने वाला विधानसभा चुनाव बेहद रोमांचक और कांटे की टक्कर वाला हो सकता है. भाजपा को यहां अपनी लोकप्रियता को बरकरार रखने के लिए न केवल जातिगत समीकरणों को समझदारी से साधना होगा, बल्कि मतदाताओं की वास्तविक अपेक्षाओं पर भी खरा उतरना होगा. अब देखना यह है कि क्या भाजपा इस सीट को दोबारा जीतकर इतिहास रच पाएगी या फिर बछवाड़ा की जनता एक बार फिर किसी नए विकल्प को आजमाएगी.
(अजय झा)