बिहार के सुपौल जिले में स्थित त्रिवेणीगंज विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है. यह सीट त्रिवेणीगंज और प्रतापगंज प्रखंडों को मिलाकर बनाई गई है. त्रिवेणीगंज को नोटिफाइड एरिया माना जाता है, जिसका मतलब है कि यह बस्ती गांव से बड़ी है लेकिन कस्बे से छोटी. इस सीट को पहली बार 1957 में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित किया गया था. 1962
से 2009 तक यह सामान्य श्रेणी की सीट रही, और 2010 से दोबारा आरक्षित घोषित कर दी गई.
अब तक त्रिवेणीगंज विधानसभा क्षेत्र में 17 चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2009 का उपचुनाव भी शामिल है. जदयू (JD-U) ने इस सीट पर पांच बार जीत दर्ज की है और 2009 उपचुनाव से लगातार जीत रही है. कांग्रेस ने चार बार जीत हासिल की. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने 1967 से 1972 तक लगातार तीन बार सफलता पाई. जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल, राजद और लोजपा ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
इस क्षेत्र के सबसे बड़े नेता अनूप लाल यादव रहे हैं, जिन्होंने कुल सात बार यहां से जीत हासिल की. 1967 से 1977 तक उन्होंने चार बार लगातार जीत दर्ज की (पहली तीन बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से और चौथी बार जनता पार्टी से). इसके बाद उन्होंने 1985 में लोकदल, 1990 में जनता दल और 2000 में राजद से भी जीत हासिल की. हालांकि उन्हें तीन बार मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा.
2020 विधानसभा चुनाव में जदयू की उम्मीदवार वीणा भारती ने राजद प्रत्याशी संतोष कुमार को 3,031 वोटों से हराया. जबकि 2015 में उन्होंने 52,400 वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. 2024 लोकसभा चुनाव में जदयू को त्रिवेणीगंज खंड में 14,796 वोटों की बढ़त मिली, जो 2019 के 31,802 से काफी कम रही.
2020 विधानसभा चुनाव में यहां 2,86,147 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें अनुसूचित जाति के 53,023 (18.53%), मुस्लिम मतदाता 42,635 (14.90%), यादव समुदाय 62,093 (21.70%), यह पूरी तरह ग्रामीण सीट है और यहां 2020 में 61.99% मतदान हुआ था. 2024 तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,09,402 हो गई.
त्रिवेणीगंज उत्तर बिहार के निचले इलाके में बसा है, जो हर साल बाढ़ और जलजमाव की समस्या से जूझता है. यहां की कृषि मुख्य रूप से धान, मक्का और जूट पर आधारित है. कोसी नदी यहां खेती का आधार तो है, लेकिन बाढ़ की मुख्य वजह भी.
रोज़गार के अन्य साधनों और कृषि आधारित उद्योगों की कमी के कारण क्षेत्र की आर्थिक स्थिति कमजोर है और युवा वर्ग का लगातार पलायन हो रहा है. सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं अब भी अपर्याप्त हैं.
त्रिवेणीगंज, सुपौल मुख्यालय से लगभग 35 किमी पूर्व स्थित है. पास के शहरों में पूर्णिया (60 किमी), मधेपुरा (45 किमी), सहरसा (55 किमी), कटिहार और बनमनखी शामिल हैं. पटना की दूरी लगभग 250 किमी है। निकटतम रेलवे स्टेशन सुपौल है, जबकि बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सहरसा जंक्शन प्रमुख केंद्र है.
(अजय झा)