गोपालपुर, बिहार के भागलपुर जिले के नौगछिया अनुमंडल में स्थित एक प्रखंड है. यह भागलपुर शहर से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो राज्य के प्रमुख आर्थिक केंद्रों में से एक है. गोपालपुर धीरे-धीरे एक स्थानीय व्यापारिक केंद्र के रूप में उभर रहा है, विशेष रूप से रेशम उत्पादन में, जिसे भागलपुरी सिल्क के नाम से जाना जाता है. इसके बावजूद, गंगा
नदी के निकट होने के कारण यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि-आधारित है, क्योंकि इस क्षेत्र की मिट्टी उपजाऊ एल्यूवियल (जलोढ़) मिट्टी है.
1957 में स्थापित गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र, भागलपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. इसमें गोपालपुर, नौगछिया, रंगराचौक और इस्माइलपुर प्रखंड शामिल हैं. गोपालपुर के आस-पास के अन्य प्रमुख कस्बों में साबौर (5 किमी), नौगछिया (16 किमी) और बांका (20 किमी) शामिल हैं.
2020 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र में 2,70,432 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 2,77,227 हो गए. 2020 में यहां अनुसूचित जाति के मतदाता 6.97%, अनुसूचित जनजाति के 1.1% और मुस्लिम मतदाता 7.3% थे. गोपालपुर क्षेत्र का केवल 12.81% हिस्सा शहरी है, जिससे यह स्पष्ट है कि यह एक ग्रामीण बहुल निर्वाचन क्षेत्र है.
पिछले 68 वर्षों में गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से कुल 16 बार विधायक चुने गए हैं. शुरुआती आठ चुनावों में कांग्रेस और सीपीआई का वर्चस्व रहा. कांग्रेस ने पांच बार और सीपीआई ने तीन बार जीत दर्ज की. इसके बाद भाजपा और जनता दल ने एक-एक बार जीत हासिल की, और फिर यह सीट जदयू और राजद के बीच का मुकाबला बन गई.
राजद ने 2000 और फरवरी 2005 में सीट जीती, लेकिन अक्टूबर 2005 से लेकर अब तक जदयू ने लगातार चार बार इस सीट पर जीत दर्ज की है. गोपाल मंडल उर्फ नरेंद्र कुमार नीरज, जो एक ओबीसी समुदाय से आते हैं, ने इस सीट को जदयू का गढ़ बना दिया है.
गोपाल मंडल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रबल समर्थक माने जाते हैं. यह कहना मुश्किल है कि उन्हें बार-बार टिकट उनकी वफादारी के कारण दिया जाता है या इसलिए कि पार्टी को लगता है कि उनके बिना यह सीट जीतना कठिन होगा. हालांकि, गोपाल मंडल के कई विवादों ने उनकी छवि एक विवादास्पद और असभ्य जनप्रतिनिधि की बना दी है.
2016 में एक वीडियो सामने आया जिसमें वे भोजपुर जिले में एक शादी समारोह के दौरान बार बालाओं के साथ नाचते दिखे. पहले उन्होंने वीडियो को फर्जी बताया, लेकिन बाद में स्वीकार किया कि वीडियो असली है और उन्होंने कहा कि वे जन्मजात कलाकार हैं.
2021 में एक और वीडियो में वे दिल्ली से पटना की ट्रेन यात्रा के दौरान एसी कोच में केवल अंडरवियर में घूमते नजर आए. उन्होंने इसका कारण पेट दर्द बताया और कहा कि बार-बार टॉयलेट जाने के कारण ऐसा करना पड़ा.
भले ही गोपाल मंडल लगातार जीतते रहे हों, जदयू की जीत में भाजपा की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. 2015 में जब जदयू और भाजपा अलग-अलग लड़े थे, तब जीत का अंतर घटकर केवल 5,169 वोट रह गया था. लेकिन 2020 में जब दोनों दल फिर से साथ आए, तो यह अंतर बढ़कर 24,461 वोट हो गया. यह दिखाता है कि 1990 में एकमात्र जीत के बावजूद, भाजपा का इस क्षेत्र में एक मजबूत जनाधार है.
2024 के लोकसभा चुनाव में गोपालपुर खंड में एनडीए को 39,432 वोटों की बढ़त मिली है. लेकिन गोपाल मंडल के लगातार विवादों के कारण, भाजपा जैसी छवि-सजग पार्टी पर दबाव बन सकता है कि या तो जदयू अपने उम्मीदवार को बदले या यह सीट भाजपा को सौंप दे. ऐसे में एनडीए के भीतर उम्मीदवार चयन को लेकर होने वाली अंदरूनी खींचतान खुद चुनावी मुकाबले से भी अधिक रोचक हो सकती है, खासकर जब राजद नीत विपक्ष की जीत की संभावनाएं बहुत कम दिखाई दे रही हों.
(अजय झा)