यूक्रेन संकट के बाद से भारत-अमेरिका के बीच में कई मामलों को लेकर मतभेद बढ़े हैं. दूसरी तरफ, चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स आए दिन ऐसी रिपोर्ट्स छाप रहा है जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के निष्पक्ष रुख की तारीफ की गई है और अमेरिका को लताड़ा गया है. अब एक बार फिर चीनी अखबार ने भारत का पक्ष लिया है और कहा है कि अमेरिका को 'उभरती हुई शक्तियों' से पेश आने का तरीका सीखना चाहिए.
ग्लोबल टाइम्स की ये टिप्पणी भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस बयान के संदर्भ में है, जिसमें उन्होंने अमेरिका को मानवाधिकारों के मामले पर दो टूक जवाब दिया था.
अमेरिका को भारतीय विदेश मंत्री के सख्त जवाब को लेकर ग्लोबल टाइम्स ने ट्वीट किया, 'आजाद भारत को मानवाधिकारों पर भाषण देने का अमेरिका को कोई अधिकार नहीं है. अभी सही वक्त है, अमेरिका भारत को अपना ग्राहक देश समझने का सपना देखना बंद करे. अमेरिका अपनी महान नैतिकता को अपने पास रखे और उभरती हुई शक्तियों से ठीक ढंग से पेश आना सीखे.'
दरअसल, अमेरिका-भारत टू-प्लस-टू वार्ता के बाद दोनों देशों के मंत्रियों की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत के मानवाधिकारों की स्थिति पर टिप्पणी की थी.
उन्होंने कहा था, 'भारत और अमेरिका मानवाधिकार के लोकतांत्रिक मुद्दों पर प्रतिबद्धता साझा करते हैं. हम भारत में मानवाधिकार उल्लंघन के कुछ घटनाओं पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं. भारत के कुछ सरकारों, पुलिस और जेल अधिकारियों की तरफ से मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है.'
अमेरिकी विदेश मंत्री की इस टिप्पणी का भारत की तरफ से तुरंत कोई जवाब नहीं दिया गया लेकिन बाद में एस जयशंकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत भी अमेरिका में मानवाधिकार उल्लंघनों के मामले पर नजर बनाए हुए है. विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि टू-प्लस-टू वार्ता में दोनों देशों के बीच मानवाधिकार के मुद्दे पर किसी तरह की बात नहीं हुई और अगर ऐसा आगे होता है तो भारत इस पर बात करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
उन्होंने कहा कि सभी लोगों को अधिकार है कि वो हमारे बारे में एक राय रखे लेकिन इसी तरह हमें भी दूसरों को लेकर राय रखने का अधिकार है. जयशंकर का कहना था कि एक तरह की लॉबी और वोट बैंक भारत के खिलाफ इस तरह के मुद्दों को हवा दे रही है.