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मुर्शिदाबाद हिंसा: पिता-पुत्र हत्या मामले में बंगाल पुलिस ने 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट किया दायर

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हुई हिंसा में पिता-पुत्र की हत्या के मामले में पुलिस ने 13 लोगों पर चार्जशीट दाखिल की है. 74 वर्षीय हरगोबिंद दास और उनके पुत्र चंदन दास की पीठ में कुल्हाड़ी से वार कर हत्या की गई थी.

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मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में बंगाल पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया (फोटो क्रेडिट-पीटीआई)
मुर्शिदाबाद हिंसा मामले में बंगाल पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया (फोटो क्रेडिट-पीटीआई)

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ. इस दौरान हिंसक घटनाएं भी हुईं. इस हिंसा में पिता-पुत्र की मौत हो गई थी. अब पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल की है. चार्जशीट में 13 लोगों का नाम है और गंभीर आरोप लगाए गए. 

पुलिस की कार्रवाई

शमशेरगंज थाने की ओर से 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. हिंसा होने के 60 दिनों के भीतर पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है. 

चार्जशीट में लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराएं लगाई गई हैं, साथ ही आर्म्स एक्ट की धाराएं 25/27 भी जोड़ी गई हैं. 

पुलिस ने हिंसा के मामले में अब तक 300 से ज्यादा लोगों को 60 से अधिक दर्ज हुए एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया है. 

कैसे हुई थी हत्या?

हिंसा में हरगोबिंद दास (74) और उनके बेटे चंदन दास (40) की हत्या की गई थी. रिपोर्ट के अनुसार, हमलावरों ने पहले बुजुर्ग हरगोबिंद के गेट का दरवाजा खटखटाया और जब वह बाहर आए तो उन्हें घसीटकर बाहर निकाला. जब बेटे ने इसका विरोध किया तो उसे भी बाहर घसीटकर लेकर आए और दोनों की पीठ में कुल्हाड़ी मारकर निर्मम हत्या कर दी गई. 

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इतना ही नहीं हमलावार वहीं रुक कर ये सुनिश्चित कर रहे थे कि उनके वार से कहीं वो दोनों जिंदा तो नहीं बचे. उनके मरने के बाद ही हमलावर वहां से गए.  हमलावरों ने तो कुछ स्थानों पर पानी की आपूर्ति काट दी थी, ताकि आग को बुझाने से रोका जा सके. 

यह भी पढ़ें: 'मुर्शिदाबाद में जो हुआ बेहद शर्मनाक, TMC के लोग घरों को जलाते हैं', बंगाल में ममता सरकार पर PM मोदी का वार

हाईकोर्ट की जांच समिति ने क्या टिप्पणी की?

कोलकाता हाईकोर्ट की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि इस हमले का मास्टरमाइंड स्थानीय टीएमसी नेता महबूब आलम (पूर्व चेयरमैन, धुलियन नगरपालिका) हैं. 

समिति ने पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े किए. समिति ने स्थानीय लोगों की कॉल पर पुलिस द्वारा कोई जवाब न देने की भी आलोचना की. 

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि बेतबोना गांव के 113 घर बुरी तरह प्रभावित हुए, ज्यादातर घरों को आग के हवाले कर दिए गए थे. 

यह मामला राज्य की कानून व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़ा करता है. अब न्याय प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है ताकि हिंसा के सभी दोषियों को सख्त सजा मिल सके.

इनपुट: राजेश

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