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'...और कितने लोग मरेंगे', 17 साल में मैनपुरी के इस परिवार के 10 लोगों ने की आत्महत्या! 21 दिन पहले चाचा, 4 महीने पहले बहन, अब फंदे पर झूला युवक

Mainpuri Family Suicide Case: इस बार परिवार के 18 साल के युवक जितेंद्र ने पेड़ से फंदा लगाकर अपनी जान दे दी. जितेंद्र घर से बहन का दुपट्टा लेकर जामुन खाने की बात कहकर निकला था. जब देर शाम तक वापस नहीं लौटा तो पिता ने उसकी खोजबीन शुरू की. इस बीच गांव के पास ही एक पेड़ पर जितेंद्र का शव बहन के दुपट्टे से गले में फंदा लगाए लटकता मिला. 

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मैनपुरी में बेटे की मौत के बाद रोते-बिलखते परिजन
मैनपुरी में बेटे की मौत के बाद रोते-बिलखते परिजन

यूपी के मैनपुरी जिले में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक ही परिवार में पिछले 17 वर्षों में 10 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. इस बार परिवार के 18 साल के युवक जितेंद्र ने पेड़ से फंदा लगाकर अपनी जान दे दी. जितेंद्र घर से बहन का दुपट्टा लेकर जामुन खाने की बात कहकर निकला था. जब देर शाम तक वापस नहीं लौटा तो पिता ने उसकी खोजबीन शुरू की. इस बीच गांव के पास ही एक पेड़ पर जितेंद्र का शव बहन के दुपट्टे से गले में फंदा लगाए लटकता मिला. 

घटना की जानकारी होने पर परिवार में चीख पुकार मच गई. बेटे की लाश देखकर मां दहाड़े मारकर रोने लगी. पूरे गांव में गम का माहौल है. क्योंकि, पिछले 5 महीने में इस परिवार में ये आत्महत्या का चौथा मामला है. 21 दिन पहले युवक के चाचा ने भी आत्महत्या कर ली थी. पूरा मामला बेवर थाना क्षेत्र के गांव का है. 

पेड़ से लटकती मिली डेड बॉडी

आपको बता दें कि मैनपुरी जिले के बेवर थाना क्षेत्र के गांव सकत बेवर के निवासी हीरालाल के पोते जितेंद्र ने बीते शुक्रवार को गले मे फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. ये हीरालाल के घर में सातवीं ऐसी मौत थी जिसने आत्महत्या कर अपनी ज़िंदगी खत्म कर ली. हीरालाल ने बताया कि मेरा पोता जितेंद्र सुबह 10 बजे घर से खाना खाकर खेतों की तरफ गया था. उसने कहा था कि जामुन खाने जा रहा हूं, थोड़ी देर में लौट आऊंगा. धूप ज्यादा है इसलिए बहन का दुपट्टा लेकर जा रहा हूं. लेकिन वो काफी देर तक जब नहीं लौटा तो बेटा रामबरन खेतों की तरफ उसे देखने गया. दोपहर 2 बजे सूचना मिली कि पास के गांव दहेड़ के बाहर ही सतेंद्र के खेत में बेटे का शव कंज के पेड़ पर फंदे के सहारे लटक रहा है. ये सुनते ही घर में चीख पुकार मच गई. 

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 '...और कितने लोग मरेंगे'

जितेंद्र जो दुपट्टा घर से लेकर आया था, उसी के सहारे उसने फंदा लगाया था. अपने बेटे की मौत की खबर सुनते ही मां रोते बिलखते मौके पर पहुंच गई. वो कहने लगी- 'हे भगवान मेरे लाल को क्यों उठा लिया. थोड़े दिन पहले ही बिटिया भी चली गई. मेरा देवर भी चला गया और कितने लोग मरेंगे.' ये कहते कहते वो बेसुध हो गई. लोगों ने किसी तरह उसे संभाला. 

घटनास्थल पहुंची पुलिस

मालूम हो कि जितेंद्र की मौत से ठीक 21 दिन पहले उसके चाचा बलवंत ने फंदे पर लटककर आत्महत्या कर ली थी. जितेंद्र की सगी बहन सौम्या ने 4 महीने पहले घर में ही फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली थी. वहीं, जितेंद्र के चचेरे बाबा शेर सिंह ने भी साढ़े चार महीने पहले फांसी लगाकर जान दे दी थी.  

5 साल पहले वर्ष 2020 में चाचा मनीष ने फांसी लगाकर जान दी थी. 8 साल पहले वर्ष 2017 में जितेंद्र के दूसरे चाचा पिंटू ने आग लगाकर खुदकुशी कर ली थी. 10 साल पहले वर्ष 2015 में जितेंद्र के चाचा संजू ने जहर खाकर जान दे दी थी. 

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

इससे पहले परिवार में सूरजपाल, महिपाल और रामसिंह भी सुसाइड कर चुके हैं. ये मौतें 2008 से 2015 के बीच हुई हैं. गांव के लोग कह रहे हैं कि इस परिवार को पता नहीं क्या हो गया, जो बार-बार अनहोनी हो रही है. बीते 10 साल में 7 लोग अपनी जान दे चुके हैं. जबकि, 2008 से लेकर 2025 तक यानी 17 साल में 10 लोग आत्महत्या कर अपनी जान गंवा चुके हैं.  

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ग्रामीणों में दहशत

एक ही परिवार में इतने लोगों के द्वारा आत्महत्या करने से गांव के लोग भयभीत भी  हैं. कुछ ग्रामीणों का मानना है कि हीरालाल के घर में भूत-प्रेत का साया है जिसकी वजह से ये लोग आत्महत्या कर रहे हैं.

फिलहाल, आत्महत्या के ताजा मामले में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को फंदे से उतरवाकर उसे पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा था. पुलिस के मुताबिक, जमीन से करीब 7 फीट ऊपर डेडबॉडी लटक रही थी. प्राथमिक जांच में मामला सुसाइड का ही लग रहा है. मृतक के भाई गजेंद्र ने थाने में घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई है, जिसकी जांच की जा रही है. 

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