झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड (JMM) में एक राजनीतिक दल है जिसकी स्थापना बिनोद बिहारी महतो (Binod Bihari Mahato) ने 15 नवंबर 1972 में की थी. 17वीं लोकसभा में इसकी एक सीट है. शिबू सोरेन (Shibu Soren) झामुमो के अध्यक्ष हैं. झामुमो ओडिशा राज्य और पड़ोसी राज्यों के कुछ हिस्सों में भी एक प्रभावशाली राजनीतिक दल है. झारखंड के लिए इसका चुनाव चिन्ह तीर-धनुष है.
पार्टी आधिकारिक तौर पर 19वीं सदी के झारखंड के आदिवासी योद्धा बिरसा मुंडा (Birsa Munda) के जन्मदिन पर बनाई गई थी, जिन्होंने वर्तमान झारखंड में ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. 2000 में बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर ही झारखंड राज्य भी अस्तित्व में आया था.
झारखंड की राजनीति में बड़ा उलटफेर होने की खबरें लगातार आ रही हैं. खबरें भाजपा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नजदीकियों को लेकर. कांग्रेस की ओर से इस तरह की खबरों पर विराम लगाने के लिए बयान भी आया. पर जेएमएम की ओर से केवल एक क्रिप्टिक पोस्ट ही आई. मतलब यहां अब भी बहुत कुछ उलझा हुआ है.
बिहार विधानसभा चुनाव में सीट न मिलने से झारखंड की सियासत में उबाल आ गया है. झामुमो (JMM) के मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार बालमुचू के बयानों से महागठबंधन में दरार साफ दिख रही है. सुदिव्य कुमार ने बिहार में हुए बर्ताव को लेकर गठबंधन की समीक्षा की बात कही, तो कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया। प्रदीप बालमुचू ने कहा, 'अगर वो समीक्षा करेगा तो कहीं ना कहीं तोड़ फोड़ करेगा और...उससे हम लोगों को बचके रखना चाहिए...हो सकता है कि इनको छोड़ के तीसरा से बाहर से समर्थन ले ले.'
बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम और महागठबंधन के सहयोगियों आरजेडी-कांग्रेस के बीच दरार गहरा गई है. इस तनातनी का असर तब और बढ़ गया जब झारखंड पुलिस ने बिहार के सासाराम में आरजेडी प्रत्याशी सत्येंद्र साह को नामांकन के तुरंत बाद एक पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया. इस घटनाक्रम से झारखंड सरकार के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है, और यह पूछा जा रहा है कि क्या हेमंत सोरेन कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं?
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर महागठबंधन में खलबली मचा दी है. JMM ने इस फैसले के लिए सीधे तौर पर अपने सहयोगी दलों, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस, को जिम्मेदार ठहराया है. JMM के अनुसार, 'गठबंधन के अगुवा राजनैतिक दल की राजनीतिक धूत्रता ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को यह नुकसान पहुंचाया.'
बिहार चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अपने सहयोगी दलों, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस, से बुरी तरह नाराज है. जेएमएम का साफ तौर से कहना है कि 'गठबंधन में शामिल कांग्रेस और आरजेडी दोनों के मंत्रियों के कार्यकाल की समीक्षा होगी'. पार्टी का आरोप है कि 2020 की तरह 2025 में भी उसे सीट देने का वादा करके आखिरी समय पर धोखा दिया गया, जिसे पार्टी ने 'राजनीतिक धूर्तता' करार दिया है.
बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच तकरार बढ़ गई है, जिसका सीधा असर झारखंड में हेमंत सोरेन की गठबंधन सरकार पर पड़ने के आसार हैं. JMM ने RJD पर 'राजनीतिक धूर्तता' का आरोप लगाया और कांग्रेस को भी गठबंधन धर्म न निभाने का दोषी ठहराया.
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का अंतिम निर्णय लिया है. पार्टी ने शुरू में छह उम्मीदवारों के नाम फाइनल किए थे, लेकिन नामांकन की अंतिम तारीख तक उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की गई. जिसके पीछे बिहार के गठबंधन की राजनीतिक रणनीति और गठबंधन के अन्य दलों के राजनीतिक चालबाज़ी को वजह बताया जा रहा है.
बिहार की राजनीति में उस वक्त भूचाल आ गया, जब सासाराम से RJD उम्मीदवार सत्येंद्र साह को झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. यह कार्रवाई उनके नामांकन दाखिल करने के ठीक बाद हुई, जो 2004 के एक पुराने डकैती मामले से जुड़ी है. इस घटनाक्रम पर सवाल उठाए जा रहे है कि क्या ये संयोग है, प्रयोग है या साजिश है? इस गिरफ्तारी ने एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है, क्योंकि यह JMM द्वारा बिहार चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा और सीट-बंटवारे को लेकर RJD पर हमला बोलने के तुरंत बाद हुई है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला है, जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. यह निर्णय महागठबंधन के लिए एक बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वह राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ सहयोगी है.
बिहार से बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा ने महागठबंधन से अलग होकर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में बिहार की 6 महत्वपूर्ण सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है. इससे महागठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है क्योंकि सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं बन पाई है.
बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्षी महागठबंधन में बड़ी फूट पड़ गई है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेतृत्व वाले गठबंधन से खुद को अलग करते हुए 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया है. JMM के इस कदम को लेकर संवाददाता सत्यजीत कुमार ने कहा, 'एक मैसेज लाउड एंड क्लियर ज़रूर जा रहा है कि गठबंधन के अंदर सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है.'
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार में महागठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. पार्टी छह सीटों चकाई, धमदाहा, कटोरिया, पिरपैंती, मनीहारी, जमुई में अपने उम्मीदवार उतारेगी.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार विधानसभा चुनाव में INDIA गठबंधन के सहयोगी के रूप में कम से कम 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. JMM के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि सीटों के बंटवारे का अंतिम फैसला गठबंधन की बैठक के बाद होगा.
आदिवासी नेता शिबू सोरेन का 4 अगस्त को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. उनके बेटे हेमंत सोरेन इस समय झारखंड के मुख्यमंत्री हैं. JMM के प्रवक्ता कुनाल सारंगी ने कहा कि जेएससीए (JSCA) अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम को शिबू सोरेन के नाम से जोड़ा जाना चाहिए.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन की खबर से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई. प्रधानमंत्री ने गंगाराम अस्पताल पहुंचकर उनके अंतिम दर्शन किए. प्रधानमंत्री के साथ-साथ रक्षा मंत्री और गृह मंत्री ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया.
शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को निधन हो गया था. वह 81 साल के थे और किडनी की समस्या से जूझ रहे थे. उन्होंने दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली थी.
झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन की 81 साल की उम्र में सोमवार को निधन हो गया. वे लंबे समय से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे.
झामुमो नेता शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार मंगलवार को रांची में किया जाएगा. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी रांची जाएंगे.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को जून में किडनी से जुड़ी समस्या की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबियत नाजुक होने की वजह से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था.
शिबू सोरेन खालिस बागी आदिवासी थे. तब सूदखोरी, महाजनी प्रथा से आदिवासी त्रस्त थे. ऐसी घड़ी में शिबू सोरेन ने उलगुलान की आवाज बुलंद की और आदिवासियों के नायक बन गए. फिर धनकटनी प्रथा से शुरू हुआ गुरुजी का आंदोलन झारखंड के अलग राजनीतिक वजूद के सवाल पर आ गया. 81 साल की जिंदगी में शिबू सोरेन ने अपनी जिंदगी में क्रांति की कई कहानियां दर्ज की हैं.
झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन का 4 अगस्त को निधन हो गया है शिबू सोरेन को झारखंड और देश के लोग सम्मान देते हुए दिशोम गुरु कहते थे इसका अर्थ होता है राह दिखाने वाला या पथ प्रदर्शक उनके जीवन में एक घटना हुई जिसने शिबू सोरेन का राजनीतिक भाग्य तय कर दिया था