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धर्मांतरण

धर्मांतरण

धर्मांतरण

धर्मांतरण (Conversion) यानी किसी व्यक्ति का एक धर्म छोड़कर किसी अन्य धर्म को स्वीकार करना एक संवेदनशील और बहुपक्षीय विषय है. भारत जैसे बहुधार्मिक देश में यह मुद्दा सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी चर्चाओं का केंद्र बना रहता है. धर्मांतरण न केवल व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा होता है, बल्कि इससे समुदायों के बीच आपसी संबंधों और सामाजिक संतुलन पर भी असर पड़ता है.

धर्मांतरण के कई कारण सकते हैं. जैसे कई लोग मानसिक शांति, आध्यात्मिक अनुभव या आस्था के कारण धर्म बदलते हैं. तो कई बार अंतर्धार्मिक विवाह के मामलों में अक्सर एक साथी दूसरे का धर्म स्वीकार करता है. भारत में दलित और वंचित वर्गों के कुछ लोग, जातिगत भेदभाव से बचने के लिए बौद्ध या ईसाई धर्म अपनाते हैं. कभी-कभी मिशनरी संस्थाएं शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से गरीब तबकों को आकर्षित करती हैं, जिससे धर्मांतरण होता है.

कुछ धर्मांतरण वैचारिक प्रेरणा या किसी आंदोलन का हिस्सा होते हैं, जैसे डॉ. भीमराव अंबेडकर का बौद्ध धर्म ग्रहण करना.

भारत में धर्मांतरण से संबंधित कोई केंद्रीय कानून नहीं है, लेकिन कुछ राज्यों ने "धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम" लागू किया है, जिनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, गुजरात, और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं. इन कानूनों का उद्देश्य जबरन, धोखे या लालच देकर कराए गए धर्मांतरण को रोकना है.

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