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चीन ने तैयार किया दुनिया का पहला 6G चिप, 5 हजार गुना तक बढ़ जाएगी इंटरनेट स्पीड

भारत के पड़ोसी देश चीन ने दुनिया का पहला 6G चिप डेवलप कर दिखाया है. इस चिपसेट की मदद से 5G की तुलना में कई गुना फास्ट इंटरनेट सर्विस मिलेगी. 6G चिपसेट की मदद से 50GB की HD 8K मूवी को एक सेकंड के अंदर डाउनलोड किया जा सकेगा. साथ ही इससे ग्रामीण इलाकों को भी फायदा होगा. इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.

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6G चिप से एक सेकंड में 100GB डेटा को ट्रांसफर कर सकेंगे. (File Photo: Unsplash)
6G चिप से एक सेकंड में 100GB डेटा को ट्रांसफर कर सकेंगे. (File Photo: Unsplash)

चीन ने दुनिया का पहला 6G चिप डेवलप किया है, जो रिमोट एरिया में भी हाई स्पीड इंटरनेट प्रोवाइड कराएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा इंटरनेट स्पीड की तुलना में  6G चिप से 5 हजार गुना फास्ट इंटरनेट स्पीड मिलेगी. इससे ग्रामीण इलाकों को भी फायदा होगा, जहां अभी तक हाई स्पीड इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है.

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीनी रिसर्चर ने इस चिपसेट को बीजिंग के पेकिंग यूनिवर्सिटी और हांगकांग की सिटी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर के साथ मिलकर तैयार किया है. इसको ऑल फ्रीक्वेंसी 6G सॉल्यूशन बताया गया है, जो मोबाइल स्पीड को कई गुना बढ़ सकता है.  

6G चिप का साइज 

चीनी रिसर्चर ने जिस 6G चिपसेट को डेलवल किया है, उसका साइज 11mm X 1.7mm का है. यह चिपसेट लो फ्रीक्वेंसी पर काम कर सकता है. इससे मोबाइल और अन्य डिवाइस को बेहतर स्पीड के साथ अच्छी कनेक्टिविटी भी मिलेगी. 6G चिपसेट की मदद से एक सेकंड में 100GB डेटा को ट्रांसफर कर सकते हैं. यह पूरी तरह से वायरलेस स्पेक्ट्रम पर काम करेगा.

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1 सेकंड में ट्रांसफर होगी 50GB की मूवी

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उदाहरण के रूप में समझें तो यह 6G चिपसेट की मदद से 50GB की HD 8K मूवी को एक सेकंड के अंदर डाउनलोड किया जा सकेगा. यह स्पीड अर्बन और रूरल एरिया दोनों इलाकों में मिलेगी. 

chipset

चिपसेट क्या होता है और यह कैसे काम करता है?  

चिपसेटकंप्यूटर, मोबाइल या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के लिए उतना ही जरूरी है, जितना इंसान के लिए ब्रेन जरूरी है. चिपसेट असल में मेमोरी, स्टोरेज, ग्राफिक्स और बाकी हार्डवेयर के बीच एक कम्युनिकेशन्स बनाता है. 

6G की स्पीड के साथ चिताएं भी बढ़ेंगी 

5G और 6G के बेनेफिट्स के बावजूद इन टेक्नोलॉजी को आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है. कई एक्सपर्ट का मानना है कि 6G में हाई फ्रीक्वेंसी बैंड्स का यूज करने की वजह से  इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन भी बढ़ सकता है. यह ह्यूमन हेल्थ को खतरे में डाल सकते हैं. 

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साइबर खतरे भी बढ़ सकते हैं 

साथ ही जैसे-जैसे कई डिवाइस एक साथ कनेक्ट होंगे, उसके साथ ही साइबर खतरे भी बढ़ सकते हैं. डेटा प्राइवेसी को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. 

कॉम्पैक्ट चिप पर कई खूबियां

जहां मौजूदा 5G वायरलेस टेक्नोलॉजी सीमित फ्रीक्वेंसी रेंज पर काम करती हैं. ये लेटेस्ट डेवलप 6G चिप पूरे स्पेक्ट्रम 0.5 GHz से लेकर 115 GHz तक को एक 11mm x 1.7mm के कॉम्पैक्ट चिप पर लेकर आता है. 

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