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जिस ड्रैगन कैप्सूल से सुनीता विलियम्स की हुई थी धरती पर वापसी, उसी से शुभांशु जाएंगे स्पेस स्टेशन...

स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल, जो सुनीता विलियम्स को धरती पर लेकर आया, अब वही शुभांशु शुक्ला को 8 जून 2025 को ISS ले जाएगा. यह पुन: उपयोग योग्य, स्वचालित डॉकिंग और सुपरड्रैको इंजन वाला यान है. यह 7 यात्रियों या 6000 किग्रा सामान ले जा सकता है. लागत ₹550 करोड़ है. यह भारत के गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण है.

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इसी ड्रैगन कैप्सूल से सुनीता विलियम्स वापस धरती पर आई थीं. अब इसी से शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन जाएंगे. (सभी फोटोः Reuters/Axiom/NASA)
इसी ड्रैगन कैप्सूल से सुनीता विलियम्स वापस धरती पर आई थीं. अब इसी से शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन जाएंगे. (सभी फोटोः Reuters/Axiom/NASA)

स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल एक आधुनिक अंतरिक्ष यान है, जिसने अंतरिक्ष यात्रा को आसान और किफायती बनाया है. इसने नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को मार्च 2025 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से धरती पर सुरक्षित वापस लाया. अब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इसी कैप्सूल में 8 जून 2025 को ISS जाएंगे. 

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ड्रैगन कैप्सूल क्या है?

ड्रैगन कैप्सूल स्पेसएक्स कंपनी द्वारा बनाया गया एक पुन: उपयोग योग्य अंतरिक्ष यान है. यह दो प्रकार का होता है...

  • क्रू ड्रैगन: अंतरिक्ष यात्रियों को ISS तक ले जाता है.
  • कार्गो ड्रैगन: वैज्ञानिक उपकरण और सामान ले जाता है.

शुभांशु शुक्ला क्रू ड्रैगन में एक्सियॉम मिशन-4 (Ax-4) के तहत ISS जाएंगे. यह वही कैप्सूल है, जिसने सुनीता विलियम्स को धरती पर लाया.

यह भी पढ़ें: Ax-4 Mission की लॉन्चिंग 8 जून को... स्पेस स्टेशन पहुंचने वाले पहले भारतीय होंगे शुभांशु शुक्ला

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ड्रैगन कैप्सूल की खासियतें

  • पुन: उपयोग योग्य: क्रू ड्रैगन को कई बार इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे 15 मिशनों तक उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे लागत कम होती है.
  • स्वचालित डॉकिंग: यह ISS के साथ अपने आप जुड़ सकता है, जिससे मिशन सुरक्षित और आसान होता है.
  • सुपरड्रैको इंजन: इसमें 8 सुपरड्रैको इंजन हैं, जो आपात स्थिति में कैप्सूल को रॉकेट से अलग कर सकते हैं. यह पैराशूट के साथ समुद्र में उतरता है.
  • सौर पैनल: कैप्सूल के ट्रंक हिस्से में सौर पैनल लगे हैं, जो बिजली बनाते हैं.
  • क्षमता: क्रू ड्रैगन 7 यात्रियों को ले जा सकता है, लेकिन आमतौर पर 4 यात्रियों के साथ उड़ता है. यह 6000 किलोग्राम सामान ले जा सकता है.
  • सुरक्षा: इसमें उन्नत कूलिंग सिस्टम और विशेष स्पेस सूट हैं, जो कम दबाव में यात्रियों को बचाते हैं.
  • नियंत्रण पैनल: इसमें तीन टचस्क्रीन डिस्प्ले वाला नियंत्रण पैनल है, जो अंतरिक्ष यात्री को यान चलाने में मदद करता है.
  • आयाम: कैप्सूल की ऊंचाई 8.1 मीटर और व्यास 4 मीटर है.

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शुभांशु शुक्ला का मिशन

शुभांशु शुक्ला Ax-4 मिशन के पायलट होंगे. यह मिशन 8 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च होगा. वह ISS पर 14 दिन रहेंगे और 7-9 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें कृषि, भोजन और मानव जीवविज्ञान शामिल हैं. उनके साथ नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोस उज़्नान्स्की-विश्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु होंगे.

इसरो के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन के अनुसार, मिशन की लागत लगभग 550 करोड़ रुपये है. प्रत्येक क्रू ड्रैगन सीट की लागत 55-88 मिलियन डॉलर (450-720 करोड़ रुपये) है. शुभांशु ने नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, और जापान की अंतरिक्ष एजेंसी के साथ प्रशिक्षण लिया. उन्होंने स्पेसएक्स मुख्यालय में सूट फिटिंग और दबाव परीक्षण किए.

वह मूंग और मेथी के अंकुरण जैसे भारत-केंद्रित प्रयोग करेंगे. वह भारतीय सांस्कृतिक वस्तुएं ले जाएंगे और अंतरिक्ष में योग करेंगे. यह मिशन भारत के गगनयान मिशन के लिए अनुभव देगा. शुभांशु ISS पर रहने और काम करने वाले पहले भारतीय होंगे.

यह भी पढ़ें: स्पेस स्टेशन तक कैसे पूरा होगा शुभांशु शुक्ला का AX-4 Mission, कौन साथ जा रहा? जानिए पूरी कहानी

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ड्रैगन कैप्सूल का इतिहास और उपलब्धियां

पहली उड़ान: ड्रैगन 1 ने 2010 में पहली उड़ान भरी और 2012 में ISS के साथ जुड़ा. यह कार्गो मिशनों के लिए था.

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क्रू ड्रैगन की शुरुआत: 2020 में डेमो-2 मिशन में क्रू ड्रैगन ने दो अंतरिक्ष यात्रियों को ISS पहुंचाया. यह नासा के लिए पहला निजी मानव मिशन था.

सुनीता विलियम्स का मिशन: मार्च 2025 में, क्रू ड्रैगन ने सुनीता विलियम्स और अन्य को ISS से वापस लाया. यह मिशन बोइंग स्टारलाइनर की विफलता के बाद था.

मिशन की संख्या: 2020 से 2025 तक, क्रू ड्रैगन ने 10+ मानव मिशन और कई कार्गो मिशन पूरे किए. यह बोइंग स्टारलाइनर से अधिक भरोसेमंद है.

लॉन्च वाहन: ड्रैगन को फाल्कन 9 रॉकेट लॉन्च करता है, जो 27 मर्लिन इंजनों से 7.6 मिलियन पाउंड का जोर पैदा करता है.

यह भी पढ़ें: Ax-4 Mission: क्वारनटीन में भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला, स्पेस स्टेशन में जाने से पहले क्या होता है पूरा प्रोसेस?

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तथ्य और आंकड़े

  • लॉन्च की तारीख: Ax-4 मिशन 8 जून 2025 को लॉन्च होगा.
  • मिशन लागत: 550 करोड़ रुपये (कुल), प्रति सीट 450-720 करोड़ रुपये.
  • यात्रियों की संख्या: 4 (Ax-4 मिशन में).
  • ISS पर समय: 14 दिन.
  • प्रयोगों की संख्या: 7-9, जिनमें भारत-केंद्रित प्रयोग शामिल हैं.
  • कैप्सूल का वजन: लगभग 12 टन (ट्रंक सहित.
  • सौर पैनल: 2 सौर पैनल, जो 4 किलोवाट बिजली पैदा करते हैं.
  • सुरक्षा रिकॉर्ड: 2020 से कोई बड़ा हादसा नहीं.

यह भी पढ़ें: SpaceX Dragon: क्या है ड्रैगन कैप्सूल जो सुनीता विलियम्स को धरती पर वापस ला रहा?

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ड्रैगन की तकनीकी विशेषताएं

हीट शील्ड: कैप्सूल में PICA-X हीट शील्ड है, जो पृथ्वी पर वापसी के दौरान 1,900 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहता है.

पैराशूट सिस्टम: चार मार्क 3 पैराशूट कैप्सूल को समुद्र में सुरक्षित उतारते हैं.

आपातकालीन प्रणाली: सुपरड्रैको इंजन 0.2 सेकंड में सक्रिय हो सकते हैं, जो लॉन्च के दौरान सुरक्षा देता है.

जीवन रक्षक प्रणाली: कैप्सूल में 48 घंटे तक ऑक्सीजन और जीवन रक्षक उपकरण हैं.

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भारत के लिए महत्व

  • शुभांशु का मिशन: यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक है. शुभांशु ISS पर रहने वाले पहले भारतीय होंगे.
  • गगनयान की तैयारी: यह मिशन 2026 के गगनयान मिशन के लिए अनुभव देगा, जिसमें भारत अपने अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष यात्री भेजेगा.
  • वैज्ञानिक योगदान: भारत-केंद्रित प्रयोग, जैसे मूंग का अंकुरण, अंतरिक्ष में कृषि की संभावनाओं को बढ़ाएंगे.

स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल अपनी पुन: उपयोगिता, स्वचालित डॉकिंग और उन्नत सुरक्षा के कारण अंतरिक्ष यात्रा में क्रांति ला रहा है. सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी के बाद, यह शुभांशु शुक्ला को ISS ले जाएगा. 550 करोड़ रुपये की लागत वाला यह मिशन भारत के अंतरिक्ष सपनों को नई उड़ान देगा. ड्रैगन कैप्सूल न केवल तकनीकी चमत्कार है, बल्कि भारत के लिए गर्व का क्षण भी है.

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