ड्रैगन कैप्सूल
ड्रैगन कैप्सूल (Dragon Capsule), जिसे ड्रैगन 1 (Dragon 1) या कार्गो ड्रैगन (Cargo Dragon) के रूप में भी जाना जाता है, एक अमेरिकी निजी अंतरिक्ष परिवहन कंपनी स्पेसएक्स द्वारा विकसित कार्गो अंतरिक्ष यान का एक वर्ग था (Reusable Cargo Spacecraft Developed by SpaceX). अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) को फिर से आपूर्ति करने के लिए कंपनी के फाल्कन 9 लॉन्च व्हीकल से ड्रैगन को कक्षा में लॉन्च किया गया था (Dragon Launched by Falcon 9 Launch Vehicle).
दिसंबर 2010 में अपनी पहली उड़ान के दौरान, ड्रैगन कक्षा से सफलतापूर्वक रिकवर होने वाला पहला व्यावसायिक रूप से निर्मित और संचालित अंतरिक्ष यान बन गया. 25 मई 2012 को, ड्रैगन का एक कार्गो संस्करण आईएसएस के साथ सफलतापूर्वक मिलने और जुड़ने वाला पहला वाणिज्यिक अंतरिक्ष यान बन गया. स्पेसएक्स को नासा के वाणिज्यिक आपूर्ति सेवा कार्यक्रम के तहत आईएसएस को कार्गो पहुंचाने के लिए अनुबंधित किया गया है. ड्रैगन ने अक्टूबर 2012 में नियमित कार्गो उड़ानें शुरू की (Dragon Capsule 1 History).
3 जून 2017 को, सी106 कैप्सूल, सितंबर 2014 में सीआरएस-4 मिशन से पहले से उड़ाए गए कंपोनेंट्स से एसेंबल किया गया था (Reuse of Previously-Flown Capsules). इसे दोबारा सीआरएस -11 पर लॉन्च किया गया था, जिसमें रॉकेट के कई तत्वों को रियूज किया गया था (Dragon Capsule Commercial Resupply Services Phase 1).
स्पेसएक्स ने ड्रैगन 2 नामक दूसरा संस्करण विकसित किया है, जो इंसानों को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है. अप्रैल 2019 में टेस्ट पैड में आई खराबी के कारण हुई देरी के बाद, 2019 में उड़ान परीक्षण पूरा किया गया, लेकिन इससे ड्रैगन 2 कैप्सूल को नुकसान उठाना पड़ा. ड्रैगन 2 पर अंतरिक्ष यात्रियों की पहली उड़ान मई 2020 में क्रू ड्रैगन डेमो-2 मिशन पर हुई (Dragon Capsule Commercial Resupply Services Phase 2).
ड्रैगन अंतरिक्ष यान (ड्रैगन 1) के पहले संस्करण की अंतिम उड़ान 7 मार्च 2020 (यूटीसी) को लॉन्च किया गया. यह अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए एक कार्गो रिसप्लाई मिशन (CRS-20) था. यह मिशन पहले वाणिज्यिक रिसप्लाई सर्विसेज (CRS-1) कार्यक्रम के स्पेसएक्स का अंतिम मिशन था. इसके बाद ड्रैगन 1 फ्लीट को रिटायर कर दिया गया (Dragon 1 Fleet Retirement). दूसरे वाणिज्यिक आपूर्ति सेवाओं (CRS-2) कार्यक्रम के तहत आईएसएस के लिए स्पेसएक्स ड्रैगन 2 अंतरिक्ष यान के कार्गो-वाहक संस्करण का उपयोग करती है.
भारतीय एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में कहा कि स्पेस में तिरंगा फहराना सबसे बड़ा अचीवमेंट था. मिग-21 से ड्रैगन तक की उड़ान का अनुभव साझा किया. हार से सीख मिलती है. प्रयोगों से स्टेम सेल और फूड सिक्योरिटी को फायदा. गगनयान 2027 में, चांद पर 2040 में पहुंचेंगे.
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14 जुलाई 2025 की शाम 4:35 बजे के आसपास ड्रैगन कैप्सूल के ISS से अलग होने के साथ शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम पृथ्वी पर वापस आएगी. यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय होगा. उनकी वापसी न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा भी है कि मेहनत और शिक्षा से सपने पूरे किए जा सकते हैं.
शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 क्रू की धरती पर वापसी 14 जुलाई से पहले संभव नहीं है. फ्लोरिडा तट पर खराब मौसम, ISS में प्रेशर लीक की जांच और तकनीकी तैयारियों से 3-4 दिन की देरी हो सकती है. वापसी में ड्रैगन कैप्सूल अनडॉकिंग, री-एंट्री और अटलांटिक महासागर में स्प्लैशडाउन होगा.
शुभांशु शुक्ला और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री 10 जुलाई 2025 के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर लौट सकते हैं, बशर्ते फ्लोरिडा तट पर मौसम ठीक हो. नासा ने अभी इस मिशन के ISS से अलग होने की तारीख की घोषणा नहीं की है. यह मिशन 14 दिन तक ISS पर रह सकता है.
शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 टीम का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गर्मजोशी से स्वागत हुआ. गले मिलकर और वेलकम ड्रिंक के साथ उनका स्वागत किया गया. वे 14 दिन माइक्रोग्रैविटी में रहेंगे, वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे. भारतीय स्वाद का आनंद लेंगे. यह भारत के लिए गर्व का पल है.
शुभांशु शुक्ला स्पेस स्टेशन पहुंच गए हैं. चारों एस्ट्रोनॉट का स्टेशन पर मौजूद अंतरिक्षयात्रियों ने स्वागत किया. इसके बाद चारों मेहमानों को वेलकम ड्रिंक दी गई. इसी के साथ भारत का स्पेस स्टेशन पहुंचने का सपना पूरा हो गया. पहला भारतीय स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है.
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ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं, जो ऐक्सिओम मिशन-4 के तहत 25 जून 2025 में ISS जाएंगे. वह 14 दिन तक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, योग करेंगे और भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे. यह मिशन गगनयान की तैयारी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक है. 10 प्वाइंट्स में समझिए पूरा मिशन...
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भारत के शुभांशु शुक्ला तीन विदेशी अंतरिक्षयात्रियों के साथ बुधवार शाम को फ्लोरिडा, अमेरिका से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होंगे. लेकिन अंतरिक्ष में वे क्या करेंगे?
शुभांशु शुक्ला का एक्स-4 मिशन 11 जून 2025 को लॉन्च होगा. भारत को इससे कई तरह के फायदे मिलेंगे. गगनयान की तैयारी, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, शिक्षा, प्रौद्योगिकी विकास और आर्थिक लाभ मिलेंगे. 2030 में नया स्पेस स्टेशन बनेगा. भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ेगी.
सुनीता विलियम्स हाल ही में Crew Dragon से धरती पर सफलतापूर्वक लौटीं, अब उसी यान से भारतीय astronaut और पायलट शुभांशु शुक्ला, 11 जून को Axiom Mission-4 के तहत अंतरिक्ष की ओर प्रस्थान करेंगे. जानिए क्या होता है Dragon capsule?
भारत के लिए एक नया गौरवशाली पल आने वाला है. ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (#Shux) 10 जून की शाम भारतीय समयानुसार शाम 5:52 बजे स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होंगे. 11 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से जुड़ेंगे. यह मिशन एक्स-4 (Ax-4) का हिस्सा है.
शुभांशु शुक्ला 10 जून को स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होंगे. Ax-4 मिशन स्पेसएक्स का 53वां ड्रैगन मिशन है. भारत ने 548 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. शुभांशु 7 भारतीय और 5 नासा के प्रयोग करेंगे. यह मिशन गगनयान की तैयारी में मदद करेगा. यह पल हमें पहले भारतीय एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा की याद दिलाता है.
स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल, जो सुनीता विलियम्स को धरती पर लेकर आया, अब वही शुभांशु शुक्ला को 8 जून 2025 को ISS ले जाएगा. यह पुन: उपयोग योग्य, स्वचालित डॉकिंग और सुपरड्रैको इंजन वाला यान है. यह 7 यात्रियों या 6000 किग्रा सामान ले जा सकता है. लागत ₹550 करोड़ है. यह भारत के गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण है.
Sunita Williams के साथ स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से तीन एस्ट्रोनॉट लौटे हैं. अमेरिकी बुच विल्मोर और निक हेग. साथ में रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्जेंडर गोर्बुनोव भी थे. जानिए इन तीनों के बारे में...