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लाल सागर से दिल्ली तक... इथियोपिया के ज्वालामुखी की राख की पूरी कहानी

इथियोपिया का हायली गुबी ज्वालामुखी 12000 साल बाद 23 नवंबर को फटा. राख जेट स्ट्रीम से 4500 किमी दूर दिल्ली-जयपुर तक पहुंची. राख 8-15 किमी ऊंचाई पर है, इसलिए AQI पर कोई असर नहीं. विमानों को खतरा है, कई फ्लाइट्स रद्द. 27-28 नवंबर तक सब साफ, बारिश भी हो सकती है.

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ज्वालामुखी का विस्फोट बेहद भयावह था. (Photo: AP)
ज्वालामुखी का विस्फोट बेहद भयावह था. (Photo: AP)

12000 साल बाद इथियोपिया के अफार इलाके में हायली गुबी ज्वालामुखी 23 नवंबर 2025 की शाम को फट गया. यह इतिहास का पहला दर्ज किया गया विस्फोट था. ज्वालामुखी ने इतनी राख और गैस आसमान में उछाली कि वह लाल सागर पार करके यमन, ओमान, पाकिस्तान होते हुए भारत तक पहुंच गई. नासा और मौसम विभाग की सैटेलाइट तस्वीरों में यह साफ दिख रहा है.

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राख का तेज सफर

राख का सफर बहुत तेज था. विस्फोट के कुछ घंटों में ही बादल 14 किलोमीटर (लगभग 45,000 फीट) ऊंचा चला गया. तेज ऊपरी हवाएं (जेट स्ट्रीम) इसे पूर्व की ओर ले गईं. 24 नवंबर को यह राजस्थान में घुसी और 25 नवंबर तक दिल्ली, जयपुर, जैसलमेर, पंजाब और हरियाणा के ऊपर पहुंच गई. कुल फैलाव अब तक 54 लाख वर्ग किलोमीटर हो चुका है – यानी पूरे ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप जितना बड़ा इलाका.

Ethiopia Volcano Plume
इंडिया टुडे ने यूरोपीय सेंटिनल-5P सैटेलाइट के डेटा से वायुमंडल में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा का विश्लेषण किया. यह सैटेलाइट पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण पर नजर रखती है. इसमें लगा उपकरण TROPOMI (ट्रोपोस्फेरिक मॉनिटरिंग इंस्ट्रूमेंट) बहुत सटीक तरीके से सल्फर डाइऑक्साइड, ओजोन जैसी गैसों को मापता है.

दिल्ली की हवा पर कोई असर नहीं

सबसे बड़ा सवाल – क्या दिल्ली की हवा खराब हो जाएगी? जवाब है – बिल्कुल नहीं. मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि राख ऊपरी वायुमंडल में है, यानी 8.5 से 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर. हम जिस हवा सांस लेते हैं, वह जमीन से सिर्फ 10-20 मीटर ऊपर तक मापी जाती है. इतनी ऊंचाई वाली राख नीचे नहीं आएगी, इसलिए AQI पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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Ethiopia Volcano Plume
नासा के सुओमी नेशनल पोलर-ऑर्बिटिंग पार्टनरशिप (सुओमी NPP) सैटेलाइट ने धूल और राख को ट्रैक किया. इस सैटेलाइट में लगा OMPS (ओजोन मैपिंग एंड प्रोफाइलर सूट) सेंसर ज्वालामुखी की राख, एयरोसॉल और वायुमंडलीय गैसों पर नजर रखता है.

विमानों को ही खतरा

फिर खतरा किसे है? सिर्फ हवाई जहाज को. राख कांच जैसी बारीक धूल होती है. अगर विमान इसमें से गुजरेगा तो यह इंजन में घुसकर पिघल जाएगी और कांच बनकर चिपक जाएगी. इससे इंजन बंद हो सकता है. इसीलिए एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइसजेट ने कई उड़ानें रद्द कीं या रास्ता बदल दिया. पायलट अब ऊपर या नीचे की हाइट लेकर उड़ रहे हैं ताकि राख वाली परत से बच सकें.

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कब तक रहेगा असर?

अच्छी खबर यह भी है कि राख के साथ आई सल्फर डाइऑक्साइड गैस बादल बनाकर 27-28 नवंबर को हल्की बारिश ला सकती है. अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली का स्मॉग भी धुल जाएगा. कुल मिलाकर 27 नवंबर तक राख कम हो जाएगी और 28 नवंबर से सब पूरी तरह सामान्य हो जाएगा.

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Ethiopia Volcano Plume

घबराने की कोई बात नहीं है. यह प्रकृति का एक दुर्लभ नजारा है – 12,000 साल पुराना ज्वालामुखी जागा और उसकी राख दुनिया घूम आई. बस थोड़ा सब्र रखिए, 2-3 दिन में आसमान फिर बिल्कुल साफ हो जाएगा.     (रिपोर्टः खुशी सोनकर )

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