ज्वालामुखी
एक ज्वालामुखी (Volcano) का निर्माण एक प्लैनेटरी-मास ऑबजेक्ट की परत में टूटने से होता है. ज्वालामुखीय प्रक्रिया में गर्म लावा, ज्वालामुखीय राख और गैसें सतह के नीचे स्थित मैग्मा कक्ष से पृथ्वी की सतह से बाहर निलकती है (Volcano Composition).
पृथ्वी पर, जहां टेक्टोनिक प्लेट्स विचलन या अभिसरण करते हैं, ज्वालामुखी सबसे ज्यादा पाए जाते हैं. अधिकांश ज्वालामुखी पानी के नीचे पाए जाते हैं. किसी मध्य-महासागर रिज, जैसे कि मिड-अटलांटिक रिज, में अलग-अलग टेक्टोनिक प्लेटों के कारण कई ज्वालामुखी हैं जबकि पैसिफिक रिंग ऑफ फायर में अभिसरण टेक्टोनिक प्लेटों के कारण बड़ी संख्या में ज्वालामुखी हैं (Divergent Plate Boundaries). क्रस्ट की प्लेटों में खिंचाव और पतलापन होने की वजह से भी कई ज्वालामुखियों का निर्माण होता है, पूर्वी अफ्रीकी दरार और वेल्स ग्रे-क्लियरवाटर ज्वालामुखी क्षेत्र और उत्तरी अमेरिका में रियो ग्रांड दरार इसके सबूत हैं (Convergent Plate Boundaries). ज्वालामुखी प्लेट की सीमाओं से दूर पृथ्वी में 3,000 किलोमीटर की गहराई में कोर-मेंटल सीमा से जुड़ा होता है. इसे हॉटस्पॉट ज्वालामुखी कहते हैं, इसका एक उदाहरण हवाई हॉटस्पॉट है (Hotspot Volcano). आमतौर पर दो टेक्टोनिक प्लेटों के एक दूसरे से टकराने पर ज्वालामुखी का निर्माण नहीं होता है.
बड़े ज्वालामुखी विस्फोट वायुमंडलीय तापमान को प्रभावित कर सकते हैं. विस्फोट से निकलने वाली राख और सल्फ्यूरिक एसिड की बूंदें सूर्य की किरणों को वातावरण से दूर रखती हैं, जिससे पृथ्वी का क्षोभमंडल ठंडा हो जाता है. ऐतिहासिक रूप से, बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों के बाद ज्वालामुखीय सर्दियां आती हैं, जो भयावह अकालों का कारण बनी हैं (Volcano Hazards).
इथियोपिया के हायली गुब्बी ज्वालामुखी विस्फोट से जोड़कर वायरल हो रहा सड़क पर बहते लावा वाला वीडियो असली नहीं, बल्कि AI से बनाया गया है. गूगल लेंस और Hive Moderation जांच में इसकी 99% AI जनरेटेड होने की पुष्टि हुई.
दुनिया का मौसम इस समय पूरी तरह बेकाबू हो चुका है. जमीन से 20-30 km ऊपर बहने वाली हवा यानी QBO नवंबर में ही पलट गई, जो आमतौर पर जनवरी-फरवरी में बदलती है. भारत समेत पूरी दुनिया पर 2025-26 में इसका भयंकर असर पड़ेगा. यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब भी बाढ़, ठंड और सूखे की दोहरी मार झेल रहे हैं. यह कोई स्थानीय मौसम नहीं, पूरा ग्लोबल सिस्टम टूटने की शुरुआत है.
Baba Venga Predictions 2025: 12000 साल बाद फटे इथियोपिया के ज्वालामुखी ने दुनिया को चौंका दिया है, लेकिन इसके साथ बाबा वेंगा की भविष्यवाणियों ने भी जोर पकड़ रखा है. सोशल मीडिया पर हजारों लोग मान रहे हैं कि 2025 वाली उनकी भविष्यवाणी सच हो रही है, जबकि वैज्ञानिक इसे सिर्फ एक प्राकृतिक घटना बता रहे हैं. क्या यह संयोग है या सच में भविष्यवाणी है. चलिए जानते हैं.
हवाई का किलुआ, इथियोपिया का हयाली गुबी, इंडोनेशिया के मेरापी-सुमेरू और आइसलैंड के ज्वालामुखी एक साथ फट रहे हैं. क्या धरती के नीचे कुछ बड़ी हलचल हो रही है. आइए वैज्ञानिकों की स्टडी और रिपोर्ट्स के मुताबिक समझे कि ये सब क्या हो रहा है.
इथियोपिया का हायली गुबी ज्वालामुखी 12000 साल बाद 23 नवंबर को फटा. राख जेट स्ट्रीम से 4500 किमी दूर दिल्ली-जयपुर तक पहुंची. राख 8-15 किमी ऊंचाई पर है, इसलिए AQI पर कोई असर नहीं. विमानों को खतरा है, कई फ्लाइट्स रद्द. 27-28 नवंबर तक सब साफ, बारिश भी हो सकती है.
इथियोपिया के ज्वालामुखी से उठी राख 25 से 45 हजार फीट की ऊंचाई पर दिल्ली, राजस्थान और उत्तर भारत तक फैल गई है. इस राख के कारण दिल्ली में आनंद विहार और एम्स-सफदरजंग इलाके में तेज जहरीला स्मॉग छाया हुआ है, जिसके कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से ऊपर पहुंच गया है.
सूर्योदय सुबह 6 बजे नहीं, बल्कि दोपहर के 12 बजे, साल में 12 नहीं बल्कि 13 महीने और ये वर्ष 2025 नहीं है बल्कि 2018 है. ये पृथ्वी से इतर किसी दूसरे ग्रह की बात नहीं हो रही है. ये बात हो रही है अफ्रीकी महादेश में बसे इथियोपिया की. समय से जुड़ी कई बातें इस देश को खास बनाती हैं. इसी इथियोपिया में 12 हजार साल बाद एक ज्वालामुखी सक्रिय हुआ है. जिसकी राख दिल्ली तक आ पहुंची है.
इथियोपिया में 12 हजार साल पुराने ज्वालामुखी के फटने से निकलने वाली राख दिल्ली-एनसीआर तक पहुंच गई है. यह राख सल्फर डाइऑक्साइड गैस और सूक्ष्म खनिज कणों से बनी है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है.
Ethiopia Volcano Ash Cloud Live News: इथियोपिया के ज्वालामुखी से उठी 25–45 हजार फीट ऊंची राख दिल्ली, राजस्थान और उत्तर भारत तक पहुंच गई है. कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द या डायवर्ट हुई हैं. दिल्ली में आनंद विहार, एम्स-सफदरजंग के पास जहरीला स्मॉग छाया है और AQI 400 के पार पहुंच गया है. DGCA ने एयरलाइंस को राख वाले क्षेत्रों से बचने की सलाह दी है.
इथियोपिया के हायली गुबी ज्वालामुखी ने 12000 साल बाद 23 नवंबर 2025 को विस्फोट किया. 14 किमी ऊंची राख जेट स्ट्रीम हवाओं से 4500 किमी दूर दिल्ली तक पहुंच रही है. उड़ानें प्रभावित हुईं है लेकिन दिल्ली में प्रदूषण पर बहुत कम असर पड़ेगा क्योंकि राख ऊपरी वायुमंडल में है. SO₂ गैस से हल्की धुंध संभव पर बारिश प्रदूषण धो सकती है.
इथियोपिया में हायली गुब्बी ज्वालामुखी के फटने का असर भारत तक दिख रहा है. आसमान धूल और राख के गुबार से भर चुका, जिसकी वजह से कई इंटरनेशनल उड़ानें रद्द हो गईं. अगर वॉल्केनिक इरप्शन लगातार होता रहा तो धरती और आसमान के बीच धूल की मोटी परत आ जाएगी, जिससे तापमान काफी नीचे भी गिर सकता है.
इथियोपिया में करीब 10,000 साल बाद ज्वालामुखी विस्फोट के कारण बड़े विमानन अलर्ट के चलते सोमवार को कन्नूर से अबू धाबी जा रही इंडिगो की फ्लाइट 6E 1433 को अहमदाबाद की ओर मोड़ दिया गया. वैज्ञानिकों ने इस घटना को रिकॉर्ड किए गए इतिहास में क्षेत्र की सबसे असाधारण घटनाओं में से एक बताया. एयरबस विमान अहमदाबाद में सुरक्षित रूप से उतरा.
इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर माउंट सेमेरू ज्वालामुखी जोरदार तरीके से फटा. खतरे के अलर्ट को सबसे ऊंचे स्तर-4 पर कर दिया गया. खतरे का दायरा 8 किमी और दक्षिण-पूर्व में 20 किमी तक बढ़ाया. गर्म लावा के बहाव से कई गांव प्रभावित हैं. 900 से ज्यादा लोग सुरक्षित जगह ले जाए गए हैं. 170 पर्वतारोही बचाए गए हैं.
जापान के क्युषू द्वीप पर साकुराजिमा ज्वालामुखी ने रविवार को तीन बार जोरदार विस्फोट किया. राख और धुएं का गुबार 4.4 किलोमीटर ऊंचा उठा, जो 13 महीनों में सबसे ऊंचा है. कागोशिमा हवाई अड्डे से 30 उड़ानें रद्द कर दी गई. जेएमए ने चेतावनी दी कि राख कागोशिमा और मियाजाकी में गिरेगी
भारतीय टेक्टॉनिक प्लेट तिब्बत के नीचे दो हिस्सों में टूट रही है. इससे हिमालय में बड़े भूकंप (8-9 तीव्रता), ज्वालामुखी फटने और बाढ़ का खतरा है. प्लेट का निचला हिस्सा पिघल रहा है. फटाव 200-300 किमी लंबा है. भारत-नेपाल-चीन प्रभावित होंगे. लाखों जीवन जोखिम में आ रहे हैं.
हवाई के किलाउआ ज्वालामुखी ने दिसंबर से अब तक 34 बार फट चुका है. इसबार वो शैतान के दो सींग की तरह फट रहा है. 1300-1500 फीट ऊंचे लावा का फव्वारा उगला रहा है. लावा ज्वालामुखी के नीचे मौजूद मैग्मा कक्षों से निकल रहा है. 200 साल में चौथी बार ऐसा पैटर्न देखने को मिला है.
यूक्रेन की राजधानी कीव एक बार फिर रूसी हमलों से दहल उठा है. इस बमबारी में यूक्रेन को भारी नुकसान पहुंचा है. 24 घंटो में दो बार कीव के उपर भी।ण हमले हुए जिसमें रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया गया. वहीं फिलीपींस की राजधानी मनिला के ताल ज्वालामुखी में जबरदस्त फिस्फोट हुआ जिसके बाद दो किलोमीटर तक उंचा गुब्बार देखनें को मिला.
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी बैरन द्वीप अंडमान सागर में फटा. 13 और 20 सितंबर को दो हल्के विस्फोट हुए. धुआं-लावा-राख निकला. पोर्ट ब्लेयर से 140 किमी दूर निर्जन द्वीप है. नौसेना ने वीडियो रिकॉर्ड किया. कोई खतरा नहीं, निगरानी जारी है. वैज्ञानिकों के लिए विस्फोट की स्टडी कर रहे हैं.
नासा और इसरो के संयुक्त मिशन #NISAR ने बड़ा कीर्तिमान हासिल किया. इसका 12 मीटर का रडार एंटीना अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुल गया, जो धरती के बदलाव मापेगा. 30 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ यह उपग्रह ग्लेशियर, भूकंप और जंगलों पर नजर रखेगा. यह मिशन इस साल के अंत में डेटा देगा, जो आपदाओं और खाद्य सुरक्षा में मदद करेगा.
माउंट लेवोटोबी लकी-लकी का लगातार फटना इंडोनेशिया के लिए चिंता का विषय है. 1 अगस्त को 10 किलोमीटर ऊंची राख और जुलाई में 18 किलोमीटर की राख ने साफ कर दिया कि यह ज्वालामुखी अभी शांत होने वाला नहीं है. इससे उड़ानें रद्द हो रही हैं. गांवों में राख गिर रही है. जान-माल का खतरा बना हुआ है.
NISAR Satellite हुआ Launch… ये सैटेलाइट भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से चेतावनी देगा.