scorecardresearch
 

Badrinath Yatra 2025: जब शिव-पार्वती ने खोया अपना घर, पढ़ें बद्रीनाथ धाम से जुड़ी ये पौराणिक कथा

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने बद्रीनाथ धाम से जुड़ी एक कथा के बारे में बताया कि कैसे भगवान विष्णु ने छल से शिवजी और माता पार्वती को उनके घर से बाहर निकाल दिया था और बद्रीनाथ धाम को अपना निवास स्थान बनाया था. आइए जानते हैं बद्रीनाथ धाम से जुड़ी ये अनोखी कहानी.

Advertisement
X
बद्रीनाथ धाम यात्रा 2025
बद्रीनाथ धाम यात्रा 2025

Badrinath Yatra 2025: उत्तराखंड स्थित बाबा बद्रीनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल चुके हैं. बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा बद्रीनाथ के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं. ज्यादातर लोगों को यह बात पता है कि बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु का निवास है. लेकिन एक पौराणिक कथा के अनुसार, बद्रीनाथ पहले भगवान शिव और माता पार्वती का घर हुआ करता था. आइए आज आपको बताते हैं कि आखिर कैसे शिव-पार्वती का बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का हो गया.

Advertisement

कभी शिवजी का घर था बद्रीनाथ धाम 

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद मुनि भगवान विष्णु के पास गए और बोले कि आप मानवता के लिए एक गलत उदाहरण पेश कर रहे हैं, आप हर समय आदिशेष पर लेटे रहते हैं और आपकी पत्नी लक्ष्मी लगातार आपकी सेवा में रहती हैं. आप धरती पर मौजूद दूसरे जीवों के लिए अच्छा उदाहरण पेश नहीं कर रहे हैं. सृष्टि के बाकी सभी जीवों के लिए आपको कुछ उद्देश्यपूर्ण काम करना चाहिए. 

तब सृष्टि के तमाम जीवों के उत्थान के लिए भगवान विष्णु साधना करने हिमालय की तरफ निकल पड़े. वहां उन्हें बद्रीनाथ में एक छोटा सुंदर सा घर मिला, जो साधना के लिए एक आदर्श स्थान था. भगवान विष्णु जब उस घर में पहुंचे तो उन्हें पता चला कि यह शिवजी और पार्वती जी का निवास स्थान है. भगवान विष्णु को लगा अगर वे अपने असली स्वरूप में इस घर में रहेंगे तो उन्हें शिवजी का प्रकोप झेलना पड़ सकता है. इसलिए भगवान नारायण ने एक छोटे से बच्चे का रूप धारण कर लिया और उसी घर के सामने बैठ गए. 

Advertisement

जब भगवान शिव और माता पार्वती घर लौटे तो उन्होंने देखा कि एक छोटा बच्चा उनके घर के बाहर रो रहा है. यह देखकर माता पार्वती की ममता जाग गई और उन्होंने उस बच्चे को गोद में उठा लिया. इस पर शिवजी ने पार्वती जी को रोका और कहा कि यह बच्चा नहीं है बल्कि कोई और है, क्योंकि अगर ये बच्चा होता तो आस-पास कहीं तो इसके मां-बाप होते, लेकिन दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा है. 

लेकिन माता पार्वती ने शिवजी की बात नहीं मानी और वह बच्चे को लेकर घर के अंदर चली गई. शिवजी को इसका परिणाम पता था. लेकिन वह माता पार्वती की ममता के आगे खामोश हो गए. वो बच्चा भी प्रसन्नता से शिवजी को और माता पार्वती को देख रहा था. माता पार्वती ने बच्चे को सांत्वना दी और उसे खाना खिलाया. इसके बाद शिव-पार्वती बच्चे को घर में छोड़ वन में भ्रमण करने निकल गए.

इस तरह विष्णु जी को मिल गया बद्रीनाथ

जब शिवजी और माता पार्वती घर लौटे तो उन्होंने देखा कि घर का दरवाजा अंदर से बंद था. यह देखकर पार्वती जी हैरान रह गई. लेकिन भगवान शिव सब समझ चुके थे. माता पार्वती ने उनसे कहा कि अब हमें क्या करना चाहिए. इस पर शिवजी बोले अब हमारे पास दो ही विकल्प हैं. एक तो यह कि वह अपने सामने मौजूद हर चीज को जला दें. दूसरा यह कि वो इस स्थान को छोड़कर कहीं और चले जाएं.

Advertisement

शिवजी ने दूसरा विकल्प चुना, क्योंकि माता पार्वती ने उस छोटे बालक को अपना बच्चा माना था. यही कारण है कि शिवजी और माता पार्वती बद्रीनाथ धाम छोड़कर केदारनाथ चले गए. इस तरह भगवान शिव और माता पार्वती का घर भगवान विष्णु का हो गया, जिसे आज दुनिया बद्रीनाथ के नाम से जानती है.

Live TV

Advertisement
Advertisement