केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) एक हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव (God Shiva) को समर्पित है. यह मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य (Uttarakhand) में मंदाकिनी (Mandakini River) के पास गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला पर स्थित है. यह 3,583 मीटर की ऊंचाई पर, ऋषिकेश से 223 किमी दूर स्थित है.
मौसम और भौगोलिक स्थिति के कारण, मंदिर केवल अप्रैल (अक्षय तृतीया) और नवंबर (कार्तिक पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा) (April Akshaya Tritiya and November Kartik Purnima) के महीनों के बीच तीर्थ यात्रियों के लिए खुला रहता है. सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर से विग्रह (vigraha) को ऊखीमठ (Ukhimath) ले जाया जाता है जहां अगले छह महीनों तक उनकी पूजा की जाती है.
मंदिर तक सड़क मार्ग से सीधे पहुंचा नहीं जा सकता है. यहां पहुंचने के लिए गौरीकुंड ( Gaurikund) से 22 किलोमीटर की चढ़ाई को पैदल पार करना पड़ता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए पोनी और मनचन सेवा (Pony and Manchan Service) उपलब्ध है.
हिंदू किवदंतियों के अनुसार, मंदिर शुरू में पांडवों (Pandavas) द्वारा बनाया गया था. माना जाता है कि पांडवों ने केदारनाथ में तपस्या करके शिव को प्रसन्न किया था.
यह बारह ज्योतिर्लिंगों (Twelve Jyotirlingas) में से एक है, जो शिव के सबसे पवित्र मंदिरों में माना जाता है. यह मंदिर भारत चार धाम तीर्थ (Char Dham Pilgrimage Sites) में से एक है और पंच केदार तीर्थ स्थलों में से पहला है. यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा है.
मंदिर में भगवान केदारनाथ शिवलिंग (Lingam) के रूप में स्थापित हैं जिसकी परिधि 3.6 मीटर और ऊंचाई 3.6 मीटर है. मंदिर के सामने एक छोटा खंभा हॉल है, जिसमें पार्वती (Parvati) और पांच पांडव राजकुमारों के चित्र हैं. मंदिर में, एक रावल (मुख्य पुजारी) और तीन अन्य पुजारी होते हैं जिन्हें नायब रावल, आचार्य या धर्माधिकारी और वेदपति कहा जाता है.
उत्तराखंड में 16 जून 2013 को अचानक आई बाढ़ ( 16 June 2013 Floods in Uttarakhand) के दौरान सबसे अधिक केदारना का इलाका प्रभावित हुआ था. इस बाढ़ में मंदिर परिसर, आसपास के क्षेत्रों और केदारनाथ शहर को काफी नुकसान हुआ था, लेकिन मंदिर की संरचना को कोई नुकसान नहीं हुआ. इस त्रासदी में लगभग 6000 लोगों की जान चली गई और कई लापता हो गए (Kedarnath Disaster 2013).
मंदिर को उत्तर प्रदेश राज्य सरकार अधिनियम संख्या 30/1948 में अधिनियम संख्या 16,1939 के रूप में शामिल किया गया था. इसे श्री बदरीनाथ और श्री केदारनाथ मंदिर अधिनियम के नाम से जाना जाता है (Kedarnath Temple Administration).
बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चार धाम यात्रा का समापन हो गया है. इस बार 51 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने चार धाम की यात्रा की, जो अब तक का नया रिकॉर्ड है.
चार धाम यात्रा 2025 में 51 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे. केदारनाथ में सबसे ज्यादा दर्शन। बद्रीनाथ कपाट बंद होने के साथ यात्रा हुई संपन्न.
अडानी ग्रुप करीब 4 हजार करोड़ की लागत से रोपवे प्रोजेक्ट तैयार करने जा रहा है. बताया जा रहा है कि ये 12.9 किलोमीटर का रोपवे केदारनाथ की यात्रा को आसान बना देगा. जहां पहले केदारनाथ की यात्रा में करीब 9 घंटे का समय लग जाता है इस प्रोजेक्ट के तैयार होने के बाद 36 मिनट में यात्रा संभव होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
अक्टूबर में बर्फबारी से सर्दी की जल्दी शुरुआत। ला नीना के चलते तापमान गिरेगा, दिल्ली में 4-6°C तक ठंड, IMD ने अलर्ट जारी किया.
अक्टूबर 2025 में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में बर्फबारी हो गई. ला नीना प्रभाव से दिसंबर-फरवरी तक सर्दी सामान्य से ठंडी (0.5-1°C कम) रहेगी. उत्तर भारत में कोल्ड वेव, दिल्ली में न्यूनतम 4-6°C. फसलें प्रभावित होगीं. पर्यटन को फायदा, लेकिन यात्रा में सावधानी जरूरी है.
भारी बारिश, भूस्खलन और बर्फबारी के बावजूद इस साल 16.56 लाख से ज्यादा श्रद्धालु केदारनाथ धाम के दर्शन किए जो कि पिछले साल के मुकाबले कहीं ज्यादा है. वहीं, प्रशासन ने सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए विशेष इंतजाम किए हैं ताकि यात्रियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो.
उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर में सीजन की पहली Snowfall से ठंड ने दस्तक दे दी है. हेमकुंड साहिब, बद्रीनाथ और पांगी घाटी बर्फ की सफेद चादर में लिपटे, तापमान में आई 5 डिग्री की गिरावट.
केदारनाथ धाम में इस सीज़न की पहली बर्फबारी हुई है, जिससे ठंड का संकेत मिला है. दिवाली से पहले मौसम में बदलाव देखा जा रहा है. बाबा केदार के दर्शनों के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं ने बर्फबारी का आनंद लिया. 23 अक्टूबर को मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे, जिसके चलते बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. दूसरी ओर नेपाल में माउंट एवरेस्ट के पूर्वी हिस्से में आए बर्फीले तूफान में सैकड़ों ट्रैकर्स फंस गए थे, जिन्हें रेस्क्यू टीमों ने सुरक्षित निकाला.
कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल में सीजन की पहली बर्फबारी से पहाड़ बर्फ की चादर में लिपट गए. केदारनाथ धाम का दृश्य हुआ दिव्य.
पहाड़ों पर भारी बारिश और बर्फबारी के कारण ठंड की शुरुआत हो गई है. उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर के पहाड़ी इलाकों में सीजन की ताजा बर्फबारी देखने को मिली है, जिससे टूरिस्ट के चेहरों पर रौनक आ गई है. लोग बर्फबारी का आनंद उठा रहे हैं. वहीं, मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई इलाकों में अलर्ट जारी किया है.
मई-जून 2025 में हुए हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं के बाद, DGCA ने विशेष जांच और ऑडिट किया था. इसके तहत सभी हेलीपैड, हेलीकॉप्टर और ऑपरेटरों की तैयारियों की विस्तृत जांच की गई जिसके बाद यह कदम उठाया गया.
केदारनाथ धाम की हेलिकॉप्टर यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को इस बार भारी खर्च उठाना पड़ेगा क्योंकि उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) ने किराए में 49% तक की बढ़ोतरी कर दी है. नई दरों के तहत गुप्तकाशी से किराया बढ़कर 12,444 रुपये, फाटा से 8,900 रुपये और सिरसी से 8,500 रुपये हो जाएगा, जो पहले से चार से पांच हजार रुपये ज्यादा है.
केदारनाथ धाम हेलिकॉप्टर सेवा का किराया 49% बढ़ा. गुप्तकाशी से ₹12,444, फाटा से ₹8,900 और सिरसी से ₹8,500.
उत्तराखंड सरकार के नेतृत्व में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए चारधाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन आज से फिर से शुरू हो गया है।
भारी बारिश और लैंडस्लाइड के कारण देश की कई बड़ी धार्मिक यात्राएं जैसे वैष्णो देवी, चारधाम, अमरनाथ और आदि कैलाश फिलहाल स्थगित हैं. प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए रूट बंद कर दिए हैं.
केदारनाथ धाम में लगातार तीन दिनों से बारिश हो रही है. पहाड़ियों पर इस सीज़न की पहली बर्फबारी दर्ज की गई है. रुद्रप्रयाग में बारिश के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है. केदारनाथ हाईवे पर बांसवाड़ा में यातायात को 24 घंटे के लिए बंद कर दिया गया है, जिससे आवागमन बाधित हुआ है. धाम में बारिश लगातार जारी है.
उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण रुद्रप्रयाग में हाईवे बंद हो गया है. प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए केदारनाथ यात्रा, चारधाम और हेमकुंड साहिब यात्रा को 5 सितंबर 2025 तक रोक दिया है.
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर गौरीकुण्ड के पास पहाड़ी से गिरे बोल्डर यानी बडे पत्थर की चपेट में आने से महाराष्ट्र निवासी एक यात्री की मौत हो गई. हादसे के बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने शव को गौरीकुण्ड अस्पताल पहुंचाया. शख्स की पहचान औरंगाबाद के परमेश्वर भीम राव के रूप में हुई है.
उत्तराखंड के सोनप्रयाग में केदारनाथ धाम यात्रा को लेकर हंगामा हुआ. यात्रा तीन दिनों के लिए बंद है, लेकिन यात्री यात्रा शुरू करने की मांग पर अड़े हुए थे. लोगों ने बैरियर तोड़ दिए और आगे बढ़ने की कोशिश की. इसके बाद पुलिस को सख्ती दिखानी पड़ी. पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया.
उत्तराखंड में बारिश और भूस्खलन के कारण केदारनाथ यात्रा पर रोक, सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त.
Kedarnath Jyotirling: बारह ज्योतिर्लिंगों में सबसे विशिष्ट केदारनाथ धाम की कथा अत्यंत रोचक और श्रद्धा से भरी हुई है. कहा जाता है कि इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार "केदार" का अर्थ है महिष यानी भैंसे का पिछला भाग, और यही वह स्थान है जहां भगवान शिव धरती में लीन हो गए थे.