Somnath Mandir: दक्ष प्रजापति नाम के राजा के श्राप से मुक्त होते ही चंद्रमा ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर भगवान शिव से यह प्रार्थना की कि वो माता पार्वती के साथ हमेशा के लिए यहां स्थापित हो जाएं. उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार करते हुए भगवान शिव ज्योतर्लिंग के रूप में माता पार्वती के साथ यहां विराजमान हो गए.
अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई से हो चुकी है. बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच इस यात्रा की शुरुआत की गई. आज तक संवाददाता जितेंद्र बहादुर सिंह ने भी पहले जत्थे के साथ पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन किए. लेकिन इस बार का एक्सपीरियंस बीते सालों की अपेक्षा में काफी अलग था इससे पहले दो बार पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा आजतक की टीम ने की.
भगवती स्तुति ने तो स्पष्ट कहा है कि व्यक्ति को श्रद्धापूर्वक दान देना चाहिए, श्रद्धा न भी हो तो भी दान कर देना चाहिए, आर्थिक स्थिति के अनुसार दान देना सबसे सुयोग्य है, लज्जा, भय, सहानुभूति और जब विवेक जगे तब भी विवेकपूर्वक दान देना चाहिए. कहने का आशय यह है कि दान की स्थिति कैसी भी हो, यदि आपके द्वारा वह दिया गया है तो कुछ न कुछ फलीभूत जरूर होता है.
Guru Purnima 2025: इस बार गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई यानी कल मनाई जाएगी. पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ की पूर्णिमा पर करोड़ों लोग गुरु पूर्णिमा मनाते हैं. गुरु पूर्णिमा अंधभक्ति का दिन नहीं बल्कि उस गुरु के प्रति गहन कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर है, जिन्होंने जीवन को और अधिक स्पष्ट रूप से देखने में मदद की.
भगवान जगन्नाथ के चार भुजा वाले स्वरूप के प्रमुख मंदिरों में से एक है उदयपुर का प्रसिद्ध जगदीश मंदिर. झीलों की नगरी के मध्य में मौजूद यह मंदिर अपने आप में 400 सालों का इतिहास समेटे हुए है. साथ ही शहर की समृद्ध विरासत और स्थापत्य भव्यता का एक शानदार प्रमाण है.
Balarama and Revati Vivah: रैवती का जन्म सतयुग में हुआ था, जिस कारण वे कहीं ज्यादा लंबी चौड़ी थीं. इसके विपरीथ बलदेव द्वापरयुग में जन्म थे और इस युग के लोगों की लंबाई कम होती थी.
फिल्म में विवेक ओबेरॉय एक छोटा लेकिन अहम किरदार निभाने वाले हैं. उन्हें नितेश तिवारी के इस ग्रैंड प्रोजेक्ट में विद्युज्जिह्व (या विद्युतजिव्ह) का किरदार मिला है. सवाल उठता है कि कौन था विद्युज्जिह्व और रामायण में ये पात्र कैसे इतना खास बन जाता है? असल विद्युज्जिह्व का किरदार रामकथा में बहुत छोटा ही है.
अमरनाथ गुफा के बूटा मलिक द्वारा खोजे जाने की बात को पहली चोट तो खुद सोलहवीं सदी में लिखी गई और मुगल इतिहास के बड़े रेफरेंस के तौर पर मानी जानी वाली किताब आइन-ए-अकबरी से ही मिल जाती है. इसके लेखक अबुल फजल ने अपनी इस किताब में कश्मीर का जिक्र किया है और वहां के तीर्थ स्थानों को भी पूरी तवज्जो दी है.
बाबा बर्फानी... महादेव शिव को तमाम नामों के साथ ये नाम कैसे मिला होगा? इस सवाल का जवाब उतना ही सरल है, जितने शिव खुद. बर्फ की आकृति में लिंग स्वरूप में प्रगट होने के कारण शिव बाबा बर्फानी कहलाते हैं. बेशक महादेव को यह नाम उनके भक्तों ने अपनी लोकभाषा की सहज बोली में दिया है और इस नाम का कोई पौराणिक आधार भी नहीं मिलता है.
रथ किसी भी काल का हो, लेकिन अध्यात्म में रथ को सिर्फ परिवहन के एक साधन के तौर पर नहीं बल्कि 'जीवन की एक सीख' के तौर पर देखा गया है. रथ को निरंतरता का प्रतीक माना गया है. इसके पहिए इस बात का भी प्रतीक हैं कि समय या कालचक्र किसी के लिए नहीं रुकते और हमेशा से आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं.
वैदिक युग का सबसे चर्चित आशीर्वाद आयुष्मान भव, चिरायु भव और चिरंजीवी भव है, जो आज भी हमारी आशीर्वाद परंपरा में शामिल है. पुराणों में कथा मिलती है कि ब्रह्ना ने जब पहले युगल मनु-शतरूपा को बनाया तो उन्होंने शतरूपा को वरदान दिया कि वह कभी बूढ़ी नहीं होगी और युवा रहेगी. हमेशा ही कौमार्य का अनुभव करेगी.
क्या बिल्ली का रास्ता काटना वाकई अशुभ होता है? वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने इस अंधविश्वास को खारिज किया और बताया भगवान का स्मरण ही असली शुभता है.
सुंदर कांड के सुंदर नाम पड़ने के अनेक कारण हैं. पहला तो यह कि इसका पूरा प्रसंग मनभावन है. जैसे 'जामवंत के वचन सुहाए. सुनी हनुमंत हृदय अति भाए.' इसकी शुरुआत ही मनभावन तरीके से हो रही है और मनभावन से ही उपसंहार है. ‘यथा निज भवन गवनेउ सिंधु श्री रघुपतिहि यह मन भायउ’ इससे सुंदर नाम पड़ा.
Ravi Pradosh Vrat 2025: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को सबसे अधिक शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
Nirjala Ekadashi 2025: ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस एक व्रत को करने से सालभर की सभी एकादशियों का पुण्य फल प्राप्त होता है. इस दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत रखने का विशेष नियम है, इसलिए इसे निर्जला कहा जाता है.
महाभारत के युद्ध में भी ऐसे कई उदाहरण और प्रसंग शामिल हैं. ऐसा ही एक प्रसंग द्रौपदी से जुड़ा है. युद्ध के दौरान एक दिन भीष्म पितामह ने अर्जुन को मारने और युधिष्ठिर को बन्दी बनाने की शपथ ले ली थी. इस प्रतिज्ञा की कोई काट नहीं थी, क्योंकि सभी जानते थे कि अगर पितामह भीष्म ने प्रतिज्ञा ली है तो वह जरूर पूरा करेंगे. इसकी वजह से पांडव शिविर में बहुत हलचल थी.
Bada Mangal 2025: आज ज्येष्ठ माह का तीसरा बड़ा मंगल है. मान्यता है कि इस दिन हनुमान अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. लेकिन, हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि बड़ा मंगल की शुरुआत कैसे हुई थी और इस दिन भंडारा क्यों करवाया जाता है. तो चलिए जानते हैं कि इसके पीछे की पौराणिक कथा.
Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई यानी आज रखा जा रहा है. इसके साथ ही वट सावित्री व्रत सत्यवान-सावित्री की कथा से जुड़ा हुआ है, जिसमें सावित्री ने अपनी चतुराई से यमराज को मात देकर सत्यवान के प्राण बचाए थे.
इंद्र की तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव महिष (भैंसा) के रूप में प्रकट हुए. उन्होंने इस रूप में इंद्र को परखना भी चाहा, इसलिए शिव ने इंद्र से एक खास प्रश्न पूछा, "के दारयामि?" जिसका अर्थ है 'जल में किसे डुबा दूं.' इस प्रश्न के ही अक्षरों से वह पहाड़ी स्थल केदार क्षेत्र कहलाया.