Black Thread on feet: भारत में परंपराएं और मान्यताएं जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हैं. इन्हीं में एक प्रचलन है पैरों में काला धागा पहनने का. माना जाता है कि ज्योतिष और परंपराओं के अनुसार यह काला धागा नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है और सुरक्षा कवच की तरह काम करता है.
मणिकर्णिका घाट पर चिता की राख में 94 लिखने की परंपरा का असली रहस्य क्या है? हिंदू अंतिम संस्कार, मोक्ष और 94 संख्या का आध्यात्मिक महत्व जानें.
Antim Sanskar: 94 अंक लिखने की यह परंपरा केवल एक संख्या लिख देने भर की नहीं, बल्कि काशी की उस गहरी आध्यात्मिक सोच का संकेत है, जिसमें जीवन, कर्म और मोक्ष तीनों एक सूत्र में बंधे माने जाते हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे का आध्यात्मिक महत्व.
साहित्य के महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2025' के तीसरे और अंतिम दिन आयोजित सत्रों में से एक सत्र था- आओ बदलें अपना जीवन.. मन, आत्मा और मोक्ष की बातें. जिसमें खासतौर पर आमंत्रित रहीं- साध्वी भगवती सरस्वती (आध्यात्मिक गुरु, बेस्ट सेलिंग लेखिका, स्टैनफोर्ड साइकोलॉजिस्ट, दिव्य शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष और इंटरनेशनल डायरेक्टर, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश). इस दौरान उनसे हुईं क्या कुछ दिलचस्प बातें, जानने के लिए देखें इस पूरे सेशन का ये वीडियो.
मार्गशीर्ष मास को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है और इस महीने में उनकी पूजा, दामोदर सूत्र का पाठ और गऊ सेवा करने का विशेष महत्व है. पुराणों की कथा के अनुसार राजा दिलीप, जो निसंतान थे, महर्षि वशिष्ठ के आश्रम गए और उनकी सलाह पर गऊ सेवा की.
Hindu Wedding Rituals: गृहप्रवेश के समय दुल्हन का चावल से भरा कलश गिराना केवल एक पारंपरिक रस्म नहीं, बल्कि उसे गृहलक्ष्मी का रूप माना जाता है. इस दौरान वह सिर्फ नए घर में नहीं आती है बल्कि पूरे परिवार के जीवन में सौभाग्य, अन्न और संपन्नता लेकर प्रवेश करती है.
Kaal Bhairav Jayanti 2025: काल भैरव केवल शिव का उग्र रूप नहीं, बल्कि समय से परे जाने की चेतना हैं. वे उस रहस्यमय शक्ति का प्रतीक हैं जो जीवन और मृत्यु के चक्र को तोड़ देती है. विज्ञान जिस स्पेस-टाइम के रहस्य को अब खोज रहा है, वही तो योगिक परंपरा में सदियों से काल के रूप में पूजित है, जहां समय रुक जाता है, वहीं भैरव प्रकट होते हैं.
Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जीवन में हर इंसान संघर्ष से भागता है. लेकिन, जीवन में कर्म करने से कभी भागना नहीं चाहिए क्योंकि कर्तव्य का पालन ही सच्चा धर्म है. यानी जो कार्य हमें मिला है, उसे हमें ईमानदारी और श्रद्धा से पूरा करना चाहिए.
मार्गशीर्ष मास का आरंभ कार्तिक पूर्णिमा के बाद होता है और इसे भगवान श्रीकृष्ण और विष्णु का स्वरूप माना जाता है. इस मास में ज्ञान, भक्ति, दान-पुण्य और साधना का विशेष महत्व है. शास्त्रों के अनुसार, इस मास में किए गए जप, तप और दान का फल अन्य महीनों की तुलना में कई गुना अधिक होता है.
Guru Nanak Jayanti 2025: सिख धर्म में गुरु नानक देव की जयंती का बहुत ही विशेष महत्व है. हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाती है.
Dev Diwali 2025: देव दिवाली का पर्व काशी और वाराणसी जैसे गंगा घाटों पर बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. वहीं, इस पर्व संबंध भगवान शिव और त्रिपुरासुर राक्षस के युद्ध से भी संबंधित माना जाता है. तो चलिए जानते हैं कि इस त्योहार की पौराणिक कथा.
शुक्राचार्य, जिन्हें असुरों के गुरु के रूप में जाना जाता है, की एक आंख टूटने की पौराणिक कथा प्रसिद्ध है. भगवान विष्णु के वामन अवतार के समय हुई इस घटना में शुक्राचार्य ने राजा बलि को तीन कदम भूमि दान देने से रोकने की कोशिश की थी.
Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि गर्म पानी से नहाना गलत नहीं, लेकिन वह शरीर आलसी और अस्वस्थ बनाता है. इसी तरह व्यक्ति भी जीवन में सुख-सुविधाओं का सहारा लेकर अंदरूनी रूप से कमजोर हो जाता है.
Bhai Dooj 2025: भाई दूज के साथ ही पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का समापन होता है. भाई दूज का पर्व बहन और भाई के प्रति विश्वास और प्रेम का होता है. हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है.
Dhanteras 2025: इस बार 18 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. पंचांग के मुताबिक, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता कि एक बार भगवान गणेश ने कुबेर देवता का घमंड तोड़ा था. चलिए जानते हैं कि इससे जुड़ी कथा के बारे में.
Diwali 2025: दिवाली के पूजन में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को एक साथ पूजा जाता है, जिसके पीछे पौराणिक महत्व भी छुपा हुआ है. तो चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण.
धनतेरस केवल संपत्ति खरीदने का त्योहार नहीं है. यह धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है. शास्त्रों में इसके धार्मिक व आध्यात्मिक मायने बताए गए हैं. इस दिन विशेष पूजा और उपाय करने से सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली आती है,
Ahoi Ashtami 2025: अहोई अष्टमी के दिन संतान के कल्याण के लिए पति-पत्नी दोनों को मिलकर अहोई माता को सफेद फूल अर्पित करने चाहिए और शाम को तारे या चांद को देखकर अर्घ्य देकर पूजा अर्चना करनी चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से अहोई माता प्रसन्न होती हैं.
'अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय' में सदियों पुराने शिव मंदिरों के रहस्य से पर्दा उठाया गया, जो केदारनाथ से लेकर रामेश्वरम तक एक ही सीधी रेखा में स्थित हैं. आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत के अनुसार, 'यह अध्ययन इस बात का एक सम्मोहक उदाहरण है कि कैसे प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं.'
Karwa Chauth 2025: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है. माना जाता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक रखने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है.
शुक्राचार्य, महर्षि भृगु के पुत्र और असुरों के गुरु, भगवान शिव से जुड़ी एक अनोखी कथा के कारण प्रसिद्ध हैं. देवी भागवत पुराण में वर्णित युद्ध में असुरों की रक्षा के लिए उनकी तपस्या और भगवान शिव द्वारा संजीवनी विद्या प्रदान की गई.