जयपुर में कारों में वीआईपी नंबरों के जुनून नई ऊंचाइयों तक पहुंच गया है. RTO में हुए हालिया ई-ऑक्शन में 'RJ60 CM 0001' नंबर ने इतिहास रच दिया. यह नंबर 31 लाख रुपये में बिका और यह अब तक का राजस्थान का सबसे महंगा रजिस्ट्रेशन नंबर बन गया.
यह नंबर किसी रईस घराने ने नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स ने खरीदा जिसने कभी अपनी जिंदगी की शुरुआत एक ढाबे में वेटर के रूप में की थी. जयपुर के बिजनेसमैन राहुल तनेजा ने. उन्होंने यह नंबर अपने बेटे के जन्मदिन पर गिफ्ट की गई लग्जरी कार के लिए खरीदा है.
बेटे से किया वादा और उसे निभाया
राहुल तनेजा के मुताबिक, 'नंबर 1' उनके लिए सिर्फ एक अंक नहीं, बल्कि उनकी सोच और सफर का प्रतीक है. उन्होंने बताया, जब मेरे बेटे रेहान की उम्र 11 साल थी, तब मैंने उससे वादा किया था कि जब वो 18 का होगा, मैं उसे उसकी मनपसंद कार दूंगा, जिसका नंबर '1' होगा. आज जब वो वादा निभाने का वक्त आया, तो मैं खुद को बेहद खुशकिस्मत मानता हूं. राहुल कहते हैं, ज़िंदगी में कुछ भी निश्चित नहीं होता. कल क्या होगा, कोई नहीं जानता. इसलिए जब तक जिंदा हूं, अपने बच्चों की खुशियों में मुस्कान जोड़ना ही मेरी सबसे बड़ी कामयाबी है.
नंबर वन रहो, हर मायने में
पापा से 18वें जन्मदिन पर लग्जरी कार और वीआईपी नंबर ‘RJ60 CM 0001’ गिफ्ट मिलने पर रेहान तनेजा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने कहा, ये सिर्फ गाड़ी का नंबर नहीं, एक मैसेज है कि ज़िंदगी में हमेशा नंबर वन बनने की कोशिश करनी चाहिए. पापा ने मुझे सिर्फ कार नहीं दी, बल्कि मेहनत और जिद से सपनों को सच करने का सबक दिया है.
राजस्थान में तोड़ा रिकॉर्ड
जयपुर RTO-1 में आयोजित इस ई-ऑक्शन की शुरुआत 15 अक्टूबर को हुई थी और यह 31 अक्टूबर तक चली. इस नीलामी में कुल 12 आवेदकों ने हिस्सा लिया, लेकिन अंत में राहुल तनेजा की बोली 31 लाख रुपये पर जाकर थम गई. यह पहला मौका है जब किसी वीआईपी नंबर ने राजस्थान में 30 लाख का आंकड़ा पार किया है. ‘RJ60 CM 0001’ सीरीज़ का यह नंबर Champion (CM) कैटेगरी में आता है, जो आमतौर पर लग्जरी कारों और हाई-एंड SUV मालिकों के बीच बेहद लोकप्रिय है.
वेटर से लेकर करोड़ों के बिजनेसमैन तक का सफर
राहुल तनेजा की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. एक वक्त था जब वे जयपुर के एक छोटे से ढाबे में वेटर का काम करते थे. उस वक्त उनकी जेब में बस कुछ रुपए होते थे और सपनों में सफलता की चिंगारी. दो साल तक ढाबे में काम करने के बाद, उन्होंने दिवाली पर पटाखे, होली में रंग, मकर संक्रांति पर पतंगें, राखी पर राखियां, गर्मियों में कॉमिक्स बेचने जैसे कई छोटे काम किए. राहुल खुद कहते हैं कि मेरे पास पैसा नहीं था, पर मेहनत की भूख थी. जो भी काम मिला, मैंने पूरे मन से किया. बाद में उन्होंने अखबार बांटने से लेकर जयपुर के दुर्गापुरा रेलवे स्टेशन पर ऑटो रिक्शा चलाने तक हर वो काम किया जिससे घर का खर्च चल सके.
मॉडलिंग से इवेंट मैनेजमेंट तक
किस्मत ने उन्हें एक और मोड़ दिया जब उन्होंने स्थानीय फैशन शो में मॉडलिंग शुरू की. इसी दौरान उन्हें इवेंट मैनेजमेंट का आइडिया आया. साल 2000 में उन्होंने अपनी खुद की कंपनी शुरू की, और यहीं से उनकी जिंदगी ने करवट बदली. मेहनत, संघर्ष और ईमानदारी ने उन्हें राजस्थान के सबसे सफल बिजनेसमैन में शामिल कर दिया. आज राहुल तनेजा राजस्थान में VIP नंबरों के शौकीन और सफल उद्यमी के तौर पर जाने जाते हैं. उनके पास पहले से भी कई 'नंबर वन' वाली गाड़ियां हैं. पर यह नया नंबर उनके लिए सबसे खास है.
'नंबर वन' के पीछे की सोच
राहुल कहते हैं, मेरे लिए ‘1’ सिर्फ अंक नहीं, प्रतीक है आत्मविश्वास का. जब आप नंबर वन बनने का लक्ष्य रखते हैं, तो आप खुद को सीमाओं से ऊपर उठाते हैं. मैंने जिंदगी में सीखा है कि हालात चाहे जैसे हों, कभी झुकना नहीं, कभी रुकना नहीं. उनका कहना है कि ‘नंबर 1’ उनके सफर की कहानी भी है ढाबे की मेज़ से लेकर लग्जरी कार के स्टीयरिंग तक का सफर.
जयपुर में VIP नंबरों का बढ़ता क्रेज
राजस्थान, खासतौर पर जयपुर में अब VIP नंबरों की नीलामी एक नया ट्रेंड बन गया है. पिछले कुछ वर्षों में ‘0001’, ‘0007’, ‘9999’, ‘1111’ जैसे नंबर्स पर लाखों की बोलियां लग चुकी हैं. लेकिन इस बार राहुल तनेजा ने जो रिकॉर्ड बनाया है, उसने बाकियों को भी चौंका दिया है. आरटीओ अधिकारियों का कहना है कि बढ़ती लग्जरी कारों की बिक्री के साथ प्रीमियम नंबरों की मांग में तेजी आई है. इन नंबरों को अब स्टेटस सिंबल के तौर पर देखा जा रहा है.
सफलता की मिसाल
राहुल तनेजा की कहानी सिर्फ एक अमीर व्यक्ति के शौक की नहीं, बल्कि उस इंसान की है जिसने गरीबी को चुनौती दी, मेहनत से पहचान बनाई और अपनी सोच से यह साबित किया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो ज़िंदगी की कोई मंजिल दूर नहीं. उनके बेटे रेहान कहते हैं, पापा ने कभी हमें पैसों की अहमियत नहीं, बल्कि मेहनत का मतलब समझाया. आज ये कार मेरे लिए सिर्फ गिफ्ट नहीं, उनकी मेहनत की मिसाल है.
आज भी जमीन से जुड़े हैं राहुल
सफलता के बावजूद राहुल आज भी जमीन से जुड़े हैं. वे कहते हैं, मैं वही लड़का हूं जिसने कभी ढाबे में झूठे बर्तन उठाए थे. फर्क बस इतना है कि अब मैं अपने हाथों से किसी की मदद उठाता हूं. उनका मानना है कि ‘नंबर वन’ बनना मंज़िल नहीं, जिम्मेदारी है. यही वजह है कि वे अपनी कमाई का एक हिस्सा हर साल समाजसेवा और गरीब बच्चों की शिक्षा में लगाते हैं.