राजस्थान
राजस्थान (Rajasthan), जिसे 'महाराजाओं की भूमि' (Land of Maharajas) के रूप में भी जाना जाता है. यह क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य है जो 3,42,239 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है (Area of Rajasthan). राजस्थान मे कुल 33 जिले हैं और इसकी राजधानी जयपुर है (Capital of Rajasthan). उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित, राजस्थान के उत्तर-पूर्व में पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा है. यह उत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान से घिरा है और पश्चिम में सिंध के साथ अपनी सीमा साझा करता है (Rajasthan Location).
राज्य का गठन 30 मार्च, 1949 को हुआ था और राज्य के लोगों के बलिदान और वीरता का जश्न मनाने के लिए इस दिन हर साल राजस्थान दिवस मनाया जाता है (Rajasthan Day).
राजस्थान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है और यह राजसी किलों, महलों और स्मारकों की भूमि है और यह दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है (Rajasthan Culture). राजस्थान के लोग मारवाड़ी बोलते हैं (Rajasthan Language).
यह राज्य घेवर, दाल बाटी चूरमा, चूरमा लड्डू, बालूशाही जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है (Rajasthan Food). राजस्थान की संस्कृति भाषा, लोक नृत्य और संगीत, कला, किलों और महलों और धार्मिक स्थलों से प्रभावित है. यह जिला देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है (Rajasthan Tourist Places).
अरावली पर्वत श्रृंखला, दिलवाड़ा मंदिर, हवा महल, उदयपुर महल, करणी माता मंदिर, रणथंभौर राष्ट्रीय अभ्यारण्य, सरिस्का टाइगर रिजर्व, जंतर मंतर, पिछोला झील और मेहरानगढ़ किला राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं. जयपुर, उदयपुर, अजमेर, जोधपुर, माउंट आबू, जैसलमेर, पुष्कर, बीकानेर और चित्तौड़गढ़ जैसे शहर राजस्थान के कुछ प्रसिद्ध शहर हैं (Rajasthan Tourist Cities).
राजस्थान भारत का सबसे शुष्क क्षेत्र है और विभिन्न जलवायु परिवर्तन के लिए प्रवण है. जबकि राज्य का दक्षिण-पश्चिमी भाग गीला है, राजस्थान का पश्चिमी भाग गर्म और बंजर है (Rajasthan Climate).
कृषि अर्थव्यवस्था के साथ, राज्य भारत के सबसे बड़े खनिज उत्पादक राज्यों में से एक है (Rajasthan Economy).
अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा को लेकर उठे विवाद पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने आजतक से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अवैध खनन रोकने और चार राज्यों में एकरूपता लाने के लिए जरूरी है.
अरावली की पहाड़ियों पर खड़ा अलवर का बाला किला सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि सदियों से चला आ रहा एक अनसुलझा रहस्य है. शांत दिखने वाला यह किला अपने भीतर ऐसे राज समेटे हुए है, जिनका सच आज तक सामने नहीं आ सका.
जालोर में चौधरी समाज के पंचों ने 24 गांवों की बहू बेटियों के स्मार्टफोन उपयोग पर रोक लगा दी है. महिलाओं को केवल कीपैड फोन इस्तेमाल करने का निर्देश दिया गया है. समाज का कहना है कि यह फैसला बच्चों में मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए लिया गया है.
राजस्थान के करौली जिले से एक बड़ी खबर आ रही है जहां एक तेज रफ्तार ब्रेजा कार अनियंत्रित होकर मंडरायल के मारकाकुआ के पास सड़क से नीचे खाई में गिर गई. हादसे के तुरंत बाद कार में आग लग गई, जिससे इलाके में अफरा तफरी मच गई. पुलिस और स्थानीय ग्रामीणों ने मिलकर कार में सवार दो घायल लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला और उन्हें मंडरायल अस्पताल में भर्ती कराया.
अरावली मॉनसूनी हवाओं और बादलों को रोककर ओरोग्राफिक बारिश कराती है. दिल्ली-NCR को धूल-आंधियों से बचाती है. चार राज्यों के 29 जिलों में फैली यह रेंज 5 करोड़ लोगों की जलवायु, पानी और जैव विविधता के लिए जरूरी है. 31 स्तनधारी, 300 पक्षी और 200+ पौधों की प्रजातियां यहां हैं. जानिए क्यों जरूरी है अरावली...
राजस्थान 8वीं और 5वीं बोर्ड परीक्षा का टाइम टेबल जारी कर दिया गया है. इस बार बोर्ड परीक्षाएं 19 और 20 फरवरी से शुरू होंगी. अप्रैल में नए सत्र की पढ़ाई शुरू कर दी जाएगी.
जालोर जिले की सुंधा माता पट्टी में चौधरी समाज के पंचों ने 24 से अधिक गांवों की बहु-बेटियों और छात्राओं के स्मार्टफोन उपयोग पर बैन लगाने का फैसला किया है. समाज का तर्क है कि यह कदम मोबाइल की लत रोकने के लिए है, जबकि सरकारें महिलाओं को डिजिटल सशक्तीकरण की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं.
राजस्थान के जालोर जिले में सुंधा माता पट्टी के चौधरी (पटेल) समाज के पंच पटेलों द्वारा जारी एक कथित तुगलकी फरमान ने सामाजिक और राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है. 21 दिसंबर को आयोजित समाज की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सुंधा माता पट्टी के 24 से अधिक गांवों की बहू-बेटियां स्मार्टफोन का उपयोग नहीं करेंगी. इस फैसले का असर जालोर जिले के भीनमाल और रानीवाड़ा विधानसभा क्षेत्रों के कई गांवों पर पड़ेगा, जहां महिलाओं, स्कूली छात्राओं और कॉलेज में पढ़ने वाली युवतियों के स्मार्टफोन उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है. समाज के इस फैसले को लेकर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें महिलाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाएं चला रही हैं, वहीं दूसरी ओर समाज के स्तर पर महिलाओं की तकनीक तक पहुंच सीमित करने का प्रयास किया जा रहा है. हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने लखपति दीदी योजना के तहत हजारों महिलाओं को टैबलेट वितरित किए थे और प्रदेश की महिलाओं से आगे बढ़कर राज्य का भविष्य बदलने का आह्वान किया था. सुंधा माता पट्टी चौधरी समाज के अध्यक्ष सुजानाराम चौधरी ने बताया कि समाज की बैठक में कई लोगों के सुझावों के बाद यह निर्णय लिया गया कि बहु-बेटियां स्मार्टफोन की जगह की-पैड मोबाइल का उपयोग करेंगी. इस फैसले की घोषणा समाज के पंच हिम्मताराम ने की. इस तुगलकी फरमान को लेकर जब चौधरी समाज के पंचों से सम्पर्क किया गया तो वे कैमरे के सामने ना आने की शर्त पर बोले कि समाज में पढ़ने वाले छोटे बच्चों के द्वारा मोबाइल उपयोग करने की लत छुड़ाने के लिए यह फैसला लिया गया है. इस पूरे मामले पर जालोर के पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र इंदोलिया ने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी फैसले की जानकारी नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी महिला की ओर से शिकायत आती है तो पुलिस नियमानुसार कार्रवाई करेगी.
राजस्थान के करौली में एक कार खाई में गिर गई है. खाई में गिरते ही कार में आग लग गई. ग्रामीणों ने कार में सवार घायलों को सुरक्षित बाहर निकाला. जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने अरावली पर सुप्रीम कोर्ट फैसले पर सफाई देते हुए कहा कि अफवाहें गलत हैं. 100 मीटर ऊंचाई वाली पहाड़ियां और ढलान संरक्षित रहेंगी. NCR में खनन पूरी तरह बंद है. सिर्फ 0.19% क्षेत्र में सीमित खनन संभव है. अरावली में 20 अभयारण्य और 4 टाइगर रिजर्व सुरक्षित है. सरकार ग्रीन अरावली के लिए प्रतिबद्ध है.
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा मंजूर की है. आसपास की जमीन से 100 मीटर ऊंची पहाड़ी ही अरावली मानी जाएगी. यह फॉर्मूला राजस्थान में 2003 से लागू है, जो अमेरिकी विशेषज्ञ रिचर्ड मर्फी के सिद्धांत पर आधारित है. पर्यावरणविदों का डर है कि इससे छोटी पहाड़ियां संरक्षण से बाहर हो जाएंगी और खनन बढ़ेगा. #SaveAravalli मुहिम तेज हो गई है.
अरावली को बचाने के नाम पर लागू 100 मीटर का फॉर्मूला राजस्थान में उसके विनाश की वजह बन गया है. एफएसआई की रिपोर्ट और ग्राउंड जांच में सामने आया कि इसी नियम की आड़ में बड़े पैमाने पर खनन हुआ. कई जगह पहाड़ पूरी तरह गायब हो चुके हैं.
अरावली पर्वत तब बने थे जब गंगा नहीं थी. हिमालय नहीं था. महाद्वीप जुड़ रहे थे. जीवन की उत्पत्ति की शुरुआत हो रही थी. 250 करोड़ साल पुरानी इन पर्वतमालाओं की हाइट छोटी करने की बात कही जा रही है. ये तो ऐसा ही है जैसे इस दुनिया से छोटी ऊंचाई वाले जीवों को खत्म करने की बात कह दी जाए. जानिए इस फोल्डेड माउंटेन रेंज की कहानी...
बाड़मेर में कॉलेज की फीस बढ़ाने के खिलाफ छात्राओं ने जोरदार विरोध किया. सेमेस्टर परीक्षा शुल्क को तीन गुना बढ़ाए जाने के फैसले के खिलाफ छात्राओं ने अपनी आवाज बुलंद की. विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्राओं ने कलेक्टर टीना डाबी को रीलस्टार कह दिया, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया. पुलिस ने छात्राओं को थाने भी ले जाकर हिरासत में रखा, हालांकि कलेक्टर ने कमेंट को लेकर हिरासत में रखने का खंडन किया है. छात्राओं का कहना है कि धरना समाप्त होने के बाद उन्हें पुलिस ने उठाकर थाने ले गया.
अरावली बचाओ आंदोलन अब और तेज हो गया है. आज जयपुर में कांग्रेस ने बड़ा प्रदर्शन किया जबकि उदयपुर में भी इस आंदोलन को लेकर खास तौर पर प्रदर्शन देखने को मिला है, सोशल मीडिया पर चल रहे अरावली संरक्षण अभियान अब सड़कों पर भी जोर पकड़ रहा है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि अरावली को लेकर भ्रम फैलایا जा रहा है और पर्वत माला की सुरक्षा करना हमारा दायित्व है.
नया साल आते ही घूमने की प्लानिंग शुरू हो जाती है, लेकिन सवाल यही रहता है कि किस महीने कहां जाना सही रहेगा. भारत में मौसम हर कुछ किलोमीटर पर बदल जाता है और गलत वक्त पर की गई ट्रिप पूरा मजा खराब कर सकती है. जानिए मौसम के हिसाब से अगले छह महीनों के लिए उन जगहों के बारे में, जहां सही समय पर जाकर आप सफर का पूरा आनंद उठा सकते हैं.
देश के कई इलाकों में बढ़ती ठंड के साथ लोगों को घने कोहरे का सामना भी करना पड़ रहा है.
टीकाराम जूली का कहना है कि अरावली राजस्थान की जीवनधारा है जो रेगिस्तान को रोकने का काम करती है और वर्षा के पानी को जमीन के अंदर रिचार्ज करती है. यह लू से बचाव भी करती है और वैज्ञानिकों ने माना है कि बिना अरावली के दिल्ली समेत कई इलाके रेगिस्तान बन सकते थे. लेकिन केंद्र सरकार ने कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को माइन्स के लिए खोलने की सिफारिश की है जो उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए हो रही है.
अरावली पर एक युवक का कहना है कि हवा में लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच हम खुद ही उसे जहर बनाते रहे और दोष मौसम पर ड़ालते रहे. अरावली पहाड़ियों की रक्षा की जरूरत है क्योंकि उनकी कटाई से वातावरण पर बुरा असर पड़ता है. सरकार ऊंची इमारतों और संरचनाओं पर नियंत्रण लगाने की बात करती है, लेकिन अभी तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
अरावली भूजल को रिचार्ज करती है, जंगलों और वन्यजीवों को आश्रय देती है और करोड़ों लोगों को सांस लेने लायक हवा उपलब्ध कराती है. आज यही अरावली एक बार फिर सियासत, कानून और पर्यावरण के टकराव का केंद्र बन गई है. सोशल मीडिया से लेकर सड़कों पर हंगामा मचा हुआ है.
अरावली की पहाड़ियों में छिपी कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां ठंडी हवा, इतिहास और प्रकृति एक साथ सांस लेते हैं. अरावली सिर्फ पहाड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की पहचान है. आखिर कौन-सी हैं ये जादुई जगहें और क्या है उनकी खास बात