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वीर सावरकर अवॉर्ड ठुकराकर शशि थरूर कहना क्या चाहते हैं?

वीर सावरकर पुरस्कार लेने से इनकार कर शशि थरूर ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को अपना संदेश दे दिया है. आयोजकों का दावा और तात्कालिक परिस्थितियां अपनी जगह हैं, लेकिन शशि थरूर का स्टैंड ही उनका राजनीतिक बयान है, और उनका पक्ष भी वही माना जाएगा.

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वीर सावरकर पुरस्कार ठुकराकर शशि थरूर ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को अपना संदेश दे दिया है. (Photo: PTI)
वीर सावरकर पुरस्कार ठुकराकर शशि थरूर ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों को अपना संदेश दे दिया है. (Photo: PTI)

शशि थरूर को अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में तो जगह मिलती ही है, विवादों में भी अक्सर रहते हैं. शशि थरूर की मुश्किल ये है कि उनके बयान, उनकी विचारधारा से अक्सर मेल नहीं खाते. विचारधारा से आशय यहां उनके कांग्रेसी होने से है.

लेकिन, वो एक ताजातरीन अग्नि परीक्षा में पास होते देखे गए हैं. केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर को वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवार्ड 2025 के लिए नॉमिनेट किया गया था. ये अवार्ड एक एनजीओ HRDS इंडिया यानी मानव संसाधन विकास सोसाइटी की तरफ से दिया जाता है - लेकिन शशि थरूर ने ये पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था. 

शशि थरूर का कहना है कि अवार्ड के लिए उनका नाम बगैर उनकी सहमति लिए घोषित कर दिया गया. बोले, मेरी सहमति के बिना नाम घोषित करना गलत है. हालांकि, अवार्ड का आयोजन करने संस्था एचआरडीएस इंडिया का दावा है कि शशि थरूर को पहले ही जानकारी दी गई थी, और वो राजनीतिक दबाव में पीछे हटे हैं.

शशि थरूर बिल्कुल वैसे ही कांग्रेस नेताओं के निशाने पर रहते हैं, जैसे राहुल गांधी जब तब सावरकर के नाम पर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को टार्गेट करते रहते हैं. आयोजकों का दावा अपनी जगह है, लेकिन शशि थरूर को भी अपना फैसला लेने का पूरा हक है, और अगर कोई फैसला लिया है, तो उसमें सुधार करने का भी. 

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ऑपरेशन सिंदूर के बाद से शशि थरूर को कांग्रेस से दूर, और बीजेपी के करीब देखा जा रहा है - लेकिन, वो खुद ही ये भी साफ कर चुके हैं कि वो कहीं नहीं जा रहे हैं, और कांग्रेस को भी बता चुके हैं कि उनके पास और भी काम हैं.

वीर सावरकर अवॉर्ड पर शशि थरूर

'वीर सावरकर पुरस्कार' के लिए नॉमिनेट किए जाने को लेकर शशि थरूर का कहना था कि उनको ये बात मीडिया के माध्यम से मालूम हुई है. मीडिया के सवाल पूछने पर शशि थरूर ने अपनी प्रतिक्रिया तो दी ही, सोशल मीडिया साइट X एक बयान जारी करके भी अपना पक्ष रखा है.

शशि थरूर ने लिखा है, मुझे मीडिया रिपोर्ट से ही पता चला है कि वीर सावरकर अवार्ड के लिए मेरा नाम घोषित किया गया है, जिसे दिल्ली में आज दिया जाना है. कल ही मुझे इसके बारे में मालूम हुआ, जब मैं केरल में हो रहे स्थानीय निकाय चुनाव में वोट देने गया था. तिरुवनंतपुरम में मीडिया से बातचीत के दौरान मैंने साफ कर दिया था कि न तो मुझे इस अवार्ड के बारे में कोई जानकारी थी, और न ही मैंने इसे स्वीकार किया है. आयोजकों की ओर से बिना मेरी सहमति के मेरा नाम घोषित करना गैर–जिम्मेदाराना है. इसके बावजूद, दिल्ली में भी कुछ मीडिया संस्थान ये सवाल दोहरा रहे हैं. मैं बयान इसलिए जारी कर रहा हू्ं ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके. 

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शशि थरूर लिखते हैं, पुरस्कार की प्रकृति, उसे देने वाले संगठन या किसी अन्य संदर्भ के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध न होने की स्थिति में, कार्यक्रम में शामिल होने या पुरस्कार स्वीकार करने का सवाल ही नहीं उठता.

शशि थरूर की बातों को एचआरडीएस इंडिया के सचिव अजी कृष्णन गलत बता रहे हैं. शशि थरूर के बयान के बाद अजी कृष्णन ने मीडिया से बातचीत में दावा किया है कि कांग्रेस सांसद को ये जानकारी काफी पहले ही दे दी गई थी. अजी कृष्णन का कहना है कि एचआरडीएस इंडिया के प्रतिनिधियों और अवार्ड जूरी के अध्यक्ष ने आमंत्रित करने के लिए शशि थरूर के आवास पर उनसे मुलाकात की थी. अजी कृष्णन का ये भी दावा है कि कांग्रेस सांसद ने उन लोगों के नाम भी मांगे थे जिनको ये पुरस्कार दिया जाना था. अजी कृष्णन का दावा है, 'हमने उनको सूची दे दी थी... उन्होंने अभी तक हमें सूचित नहीं किया है कि वे कार्यक्रम में नहीं आएंगे... शायद वो डरे हुए हैं, क्योंकि कांग्रेस ने इसे मुद्दा बना दिया है.'

अजी कृष्णन की बातों से मालूम होता है कि शशि थरूर की तरफ से कोई सूचना नहीं मिली. अगर ऐसा है, तो कंफर्म कैसे हुआ कि शशि थरूर ने अवार्ड स्वीकार कर लिया है? 

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यदि शशि थरूर से सलाह करके अवार्ड दिया जाता तो क्‍या वे ले लेते?

10 दिसंबर को दिल्ली में ‘वीर सावरकर इंटरनेशनल इम्पैक्ट अवार्ड 2025’ समारोह हुआ. मुख्य अतिथि के रूप में जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा शामिल हुए, और विनायक दामोदर सावरकर को क्रांतिकारी और दूरदर्शी व्यक्तित्व बताया. एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में मनोज सिन्हा ने कहा, उनकी राष्ट्र निष्ठा आज भी लोगों को प्रेरित करती है.

1. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हाल के दौरे के वक्त भी शशि थरूर चर्चा में थे. चर्चा में होने की वजह भी खास थी. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि लोकसभा में विपक्ष का नेता होने के बाद भी राहुल गांधी की पुतिन से मुलाकात नहीं कराई गई. और, ऐन उसी वक्त शशि थरूर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरह से पुतिन को दिए गए भोज में बुलाया गया. शशि थरूर डिनर में शामिल भी हुए. 

मीडिया के सवालों पर शशि थरूर ने कहा था कि राहुल गांधी होते तो अच्छा रहता, और खुद के बारे में बताया कि उनको संसद की विदेश मामलों की समिति का चेयरमैन होने के नाते डिनर में बुलाया गया था. कांग्रेस के नाराज होने की वजह भी थी, क्योंकि डिनर के लिए न तो राहुल गांधी को बुलाया गया था, न ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को. 

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2. ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भी ऐसा ही हुआ था. केंद्र सरकार की तरफ से विदेश भेजे जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में शशि थरूर को पहले ही शामिल कर लिया गया, लेकिन कांग्रेस की तरफ से बताए गए नेताओं को बाद में शामिल किया गया. हाल फिलहाल ऐसे कई मसले रहे, जिन पर शशि थरूर को बीजेपी सरकार को सपोर्ट करते देखा गया. केरल यात्रा के दौरान जब शशि थरूर प्रधानमंत्री के साथ मंच पर थे, तो नरेंद्र मोदी ने कटाक्ष भी किया था कि ये देखकर बहुतों को नींद उड़ जाएगी. 

3. 2009 से तिरुवनंतपुरम से लगातार कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 2024 का लोकसभा चुनाव में केरल बीजेपी के अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर को हराया था. फिर भी शशि थरूर शुरू से ही, कांग्रेस में ही, अपने राजनीतिक विरोधियों के निशाने पर रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनके काम को देखते हुए यूपीए की सरकार में शशि थरूर को विदेश राज्य मंत्री भी बनाया गया था, लेकिन उनके एक बयान पर विवाद के बाद इस्तीफा भी ले लिया गया था. 

अपनी राय और बयानों के कारण शशि थरूर को न सोनिया गांधी पसंद करती हैं, न ही राहुल गांधी. क्योंकि शशि थरूर कांग्रेस के G-23 नेताओं के साथ रहे हैं, और वो राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निजी हमलों के विरोधी रहे हैं. शशि थरूर की राय में मोदी की आलोचना उनकी सरकार की नीतियों के लिए चाहे जितनी भी हो, होनी चाहिए. लेकिन, निजी हमले नहीं होने चाहिए. 

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4. शशि थरूर तो 2014 के आम चुनाव में खुद भी निजी हमला झेल चुके हैं. चुनाव कैंपेन के दौरान तब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे मोदी ने एक बार कहा था, 'पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड...' लेकिन वही शशि थरूर कई बार प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ कर चुके हैं. और मोदी के मुंह से अपनी तारीफ भी सुन चुके हैं. विदेश नीति के मामलों में भरी संसद में भी.  

5. एक पॉडकास्ट में शशि थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व को खरी खोटी भी सुनाई थी. बोले, उनके पास और भी काम हैं. एक तरीके से शशि थरूर कांग्रेस नेतृत्व को जता देना चाहते थे कि पार्टी में बने रहना उनकी कोई मजबूरी नहीं है. शशि थरूर की इस बात को ऐसे समझा गया, जैसे कांग्रेस छोड़कर उनके पास बीजेपी में जाने का भी विकल्प खुला हुआ है. बाद में शशि थरूर ने स्पष्ट किया था कि और भी काम से उनका आशय, राजनीति से इतर काम से था.

शशि थरूर ये भी बता चुके हैं कि संयुक्त राष्ट्र का काम छोड़कर भारत लौटने के बाद उनके पास कांग्रेस के अलावा भी शामिल होने का विकल्प खुला था. मतलब, बीजेपी और लेफ्ट से समझा जा सकता है. लेकिन, शशि थरूर कह चुके हैं, कांग्रेस में इसलिए शामिल हुए क्योंकि उस विचारधारा से इत्तफाक रखते हैं - और वीर सावरकर अवार्ड ठुकरा कर शशि थरूर ने साबित किया है कि वो अपनी बात पर कायम हैं.

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