कल रात यानी कि सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कई ऐसी बातें की जो सीधे सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप को जरूर चुभी होंगी. पर मंगलवार की सुबह जो खबर मिल रही है निसंदेह ये ट्रंप को पसंद नहीं आने वाला है. दिन रात टैरिफ बढ़ाने की बात करने वाले ट्रंप को अमेरिका से भारत आने वाली कई वस्तुओं पर भारत का टैरिफ बढ़ाने का आइडिया निश्चित तौर पर पसंद नहीं आएगा.
दरअसल भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को एक नोटिस के माध्यम से सूचित किया है कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका (US) से आयातित एल्यूमिनियम, स्टील और इनके डेरिवेटिव उत्पादों पर रियायतों को निलंबित करने का प्रस्ताव रखता है. इसका मतलब है कि भारत इन उत्पादों पर आयात शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने की योजना बना रहा है. यह कदम भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव को दर्शाता है और जो वैश्विक व्यापार नियमों के तहत उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है. हालांकि ये फैसले रातों-रात तो नहीं होंगे पर ट्रंप को नाराज करने के लिए काफी हैं. सोमवार को राष्ट्र के नाम संबोधन वाली मोदी की स्पीच भी उन्हें जरूर देखने को मिल गई होगी. सवाल ये उठता है कि क्या मोदी ये सब जानबूझकर कर रहे हैं? क्या वो ट्रंप को कोई संदेश देना चाहते हैं?
ट्रंप ने कैसे भारत और पाकिस्तान को एक तराजू पर तौला
जिन लोगों ने भी सोमवार शाम 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र के नाम संदेश देते हुए सुना होगा उन्हें एक बात जरूर समझ में आ गई होगी कल PM अलग अंदाज में थे. मोदी कल अपने भाषण में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान ही नहीं दुनिया के ताकतवर देशों को भी संदेश दे रहे थे. 10 मई को सीजफायर के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने जिस तरह भारत और पाकिस्तान को एक तराजू पर तौलने की कोशिश की थी वो शायद पीएम मोदी को रास नहीं आया है. ट्रंप ने न केवल भारत और पाक बल्कि मोदी और शहबाज शरीफ को भी बराबर आंकने की गलती की. ट्रंप ने जनता से तीसरी बार चुनकर पीएम बने इतने बड़े देश के नेता की तुलना शहबाज जैसे इंसान से की जो देश की ही पहली पसंद है और न ही अपनी पार्टी का. पाक सेना की कठपुतली नेता की तुलना एक जनता से चुनकर आए प्रतिनिधि से करने की जुर्रत बताता है कि ट्रंप या तो नादान हैं या जानबूझकर टीज करने वाली हरकत कर रहे हैं. पर भारतीय प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों जिस तरह उनके साथ व्यवहार किया उसे जैसे को तैसा कहना न्यायोचित कहा जाएगा. राष्ट्र के नाम संदेश में पीएम मोदी ने डोनॉल्ड ट्रंप का नाम तक नहीं लिया. जबकि पाकिस्तानी पीएम शहबाज ने सीजफायर कराने के लिए ट्रंप की भूरि भूरि प्रशंसा की थी. इतना ही नहीं पीएम मोदी ने बिना ट्रंप का नाम लिए कई ऐसी बातें कीं जो सीधे सीधे अमेरिका को नागवार गुजरी होंगी. ये सब तो था ही आज मंगलवार को एक और खबर आई जिसमें भारत अमेरिका से आने वाली वस्तुओं पर टैरिफ बढाने का फैसला करने जा रहा है. जाहिर है ट्रंप और मोदी में तलवारें ठन सकती हैं.
ट्रंप की भारत-पाक के बीच चौधरी बनने की कोशिश
दरअसल पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप दोनों ने कई मौकों पर खुद को एक दूसरे को दोस्त बताते रहे हैं. पर भारत-पाकिस्तान युद्धविराम (10 मई 2025) की घोषणा के बाद अपने बयानों में भारत और पाकिस्तान को समान स्तर पर रखने की कोशिश की. जिसे कई भारतीय विश्लेषकों और राजनेताओं ने आपत्तिजनक माना.
डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई 2025 को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा करते हुए निम्नलिखित पोस्ट किया.
संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति जताई है. दोनों देशों को सामान्य ज्ञान और महान बुद्धिमत्ता का उपयोग करने के लिए बधाई. इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!
इसके बाद, 11 मई 2025 को ट्रंप ने एक और पोस्ट में दोनों देशों की तारीफ करते हुए कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की.
मुझे गर्व है कि संयुक्त राज्य अमेरिका इस ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण निर्णय तक पहुंचने में आपकी मदद कर सका. हालांकि इस पर चर्चा नहीं हुई, मैं इन दोनों महान राष्ट्रों के साथ व्यापार को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं. इसके अतिरिक्त, मैं आप दोनों के साथ मिलकर यह देखूंगा कि क्या कश्मीर के संबंध में कोई समाधान निकाला जा सकता है. भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को शानदार काम के लिए भगवान का आशीर्वाद!.
पर भारत ने ट्रंप के मध्यस्थता दावे को खारिज कर दिया. विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने कहा कि युद्धविराम दोनों देशों के डीजीएमओ (सैन्य संचालन महानिदेशकों) के बीच सीधी बातचीत से हुआ, और इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था. भारत ने ट्रंप के कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश को भी अस्वीकार किया, यह दोहराते हुए कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है.ट्रंप की हजार साल पुराना विवाद वाली टिप्पणी को भी गलत माना गया, क्योंकि कश्मीर विवाद 1947 से शुरू हुआ था.
राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम ने कैसे अमेरिका को आड़े हाथों लिया
पीएम ने राष्टॅ के नाम संबोधन में डोनॉल्ड ट्रंप का नाम तो नहीं लिया पर अपरोक्ष रूप से उन्होंने अमेरिकी राष्ट्पति को भी संदेश दे दिया कि आतंकवाद पर वो किसी की नहीं सुनने वाले हैं. राष्ट्र के नाम संदेश में मोदी ने साफ कहा कि अब पाकिस्तान से सिर्फ टेरर और पीओके पर बात होगी. दरअसल ट्रंप बिना मांगे कश्मीर में मध्यस्थता का प्रस्ताव दे रहे थे उन्हें मोदी ने बता दिया कि वो कश्मीर पर बात ही नहीं करने वाले हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान आतंक की फैक्ट्री है जहां से पूरी दुनिया को टेररिस्ट सप्लाई होते रहे हैं. उन्होंने अमेरिका में 9/11 और ब्रिटेन में ट्यूब में हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं में भी आतंकियों की सप्लाई पाकिस्तान से ही हुई थी. उन्होंने इन घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारत किसी भी कीमत पर आतंक को बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर स्थगित नही्ं हुआ है , भारत की सेनाएं चौकन्नी हैं. उनके कहने का आशय यही था कि जरूरत होने पर भारत फिर से वही एक्शन दुहराएगा.
ट्रंप ने यह भी कहा था वह दोनों देशों के बीच ट्रेड करेंगे.पीएम मोदी ने जिस तरह की आज बातें की हैं उनका साफ इशारा था कि अगर दुनिया में कोई पाकिस्तान और उसके आतंकवाद के मामले में चौधरी बनने की सोच रहा है तो वो मुगालते में न रहे. पीएम मोदी ने जिस तरह भारत में स्वदेशी हथियारों की तारीफ की और बताया कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हाथ लगी सफलता के पीछे अमेरिका से खरीदे गए हथियारों से मिली सफलता नहीं है बल्कि यह भारतीय सफलता है.
भारत का अमेरिका से आयातित होने वाले सामान पर टैरिफ बढाने की योजना
भारत ने यह कदम संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्कों के जवाब में उठाया है. विशेष रूप से, अमेरिका ने 2018 में भारत और अन्य देशों से आयातित स्टील पर 25% और एल्यूमिनियम पर 10% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया था, जिसे उसने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर उचित ठहराया था. भारत ने इसे WTO नियमों का उल्लंघन माना और जवाबी कार्रवाई के रूप में अपने टैरिफ बढ़ाने का फैसला किया.
भारत ने अभी तक टैरिफ की सटीक दरों का खुलासा नहीं किया है, लेकिन यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ये टैरिफ अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों के बराबर या उससे अधिक हो सकते हैं. इसका उद्देश्य अमेरिकी आयात को महंगा करना और भारतीय घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना है.
जाहिर है कि यह कदम भारत और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक विवादों का हिस्सा है. अमेरिका ने न केवल स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ लगाया, बल्कि भारत को सामान्यीकृत प्रणाली रियायत (GSP) से भी बाहर कर दिया, जिसके तहत भारतीय निर्यात को अमेरिकी बाजार में कम शुल्क पर प्रवेश मिलता था. जवाब में, भारत ने पहले भी कुछ अमेरिकी उत्पादों, जैसे बादाम, अखरोट, और मोटरसाइकिल, पर टैरिफ बढ़ाया था.