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बांग्लादेश पर सर्वदलीय बैठक में AAP को न बुलाये जाने की वजह क्या संजय सिंह हैं?

संजय सिंह उलाहना देते फिर रहे हैं कि बांग्लादेश पर हुई सर्वदलीय बैठक में आम आदमी पार्टी को नहीं बुलाया गया, और इसके लिए भी AAP सांसद बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैसे ही भला बुरा कह रहे हैं, जैसे अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर - ताज्जुब है, इस मामले में AAP अकेली क्यों नजर आ रही है?

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संजय सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर आत्ममंथन की जरूरत है.
संजय सिंह को राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर आत्ममंथन की जरूरत है.

बांग्लादेश के तख्तापलट पर भी आम आदमी पार्टी सांसद संजय सिंह का राजनीतिक रवैया बिलकुल वैसा ही है, जैसा अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर या फिर चुनावों के दौरान देखने सुनने को मिलता रहा है. 

संजय सिंह ने सर्वदलीय बैठक में आम आदमी पार्टी को न बुलाये जाने को ओछी मानसिकता करार दिया है. जाहिर है, संजय सिंह के निशाने पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं. कई दिनों से चल रही हिंसा के बेकाबू हो जाने के चलते प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के एक दिन बाद 6 अगस्त, 2024 को संसद भवन में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी. 

बैठक के बाद एस. जयशंकर ने कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए बताया, आज संसद में एक सर्वदलीय बैठक में बांग्लादेश के हालिया घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी... इस दौरान जताये गये सर्वसम्मत समर्थन और तालमेल के लिए सभी दलों की सराहना करता हूं.

सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ साथ कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल भी पहुंचे थे. कांग्रेस के अलावा डीएमके नेता टीआर बालू, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्या, बीजेडी के सस्मित पात्रा, एनसीपी (शरद पवार) की सुप्रिया सुले और आरजेडी की तरफ से मीसा भारती जैसे नेता पहुंचे हुए थे. 

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देखें तो विपक्षी गठबंधन INDIA के नेताओं की खासी मौजूदगी थी, सिवा आम आदमी पार्टी के, लेकिन ये बात काफी हैरान करने वाली है कि आम आदमी पार्टी को सर्वदलीय बैठक में न बुलाये जाने की किसी को फिक्र नहीं है - क्योंकि संजय सिंह के अलावा किसी और पार्टी का कोई भी नेता ऐसी शिकायत नहीं कर रहा है?

AAP की शिकायत कितनी वाजिब है?

राज्यसभा सांसद संजय सिंह की सबसे बड़ी शिकायत है कि राष्ट्रीय राजनीतिक दल होने के बावजूद आम आदमी पार्टी को सर्वदलीय बैठक से दूर रखा गया. बात में दम तो है, क्योंकि बैठक में क्षेत्रीय दलों को भी बुलाया गया था. 

सोशल साइट X पर संजय सिंह ने लिखा है, 'राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला इस पर निर्भर नहीं करता कि प्रधानमंत्री किस से खुश है या नाराज है... इस महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक में 13 सांसदों वाली राष्ट्रीय पार्टी... आम आदमी पार्टी को न बुलाना सरकार की ओछी मानसिकता और अगंभीरता को दर्शाता है.' 

संजय सिंह का सीधा आरोप है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनको या अरविंद केजरीवाल को पसंद नहीं करते, और ऐसे में उनके शिकायत दर्ज कराने का हक भी है. संजय सिंह ने सर्वदलीय बैठक को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला होने की तरफ भी ध्यान दिलाने की कोशिश की है. 

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संजय सिंह के राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला उठाने से सोशल मीडिया पर उनकी ही एक पोस्ट बरबस ध्यान खींचती है. वो पोस्ट जो संजय सिंह ने 5 अगस्त को लिखी है, जब शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ कर जाना पड़ता है. 

एक्स पर ही संजय सिंह ने लिखा है, 'जो तानाशाही करेगा उसे देश छोड़कर भागना पड़ेगा.'

बेशक संजय सिंह ने किसी का नाम नहीं लिया है, लेकिन शेख हसीना के बहाने वो किसकी बात कर रहे हैं, आसानी से समझा जा सकता है. संजय सिंह अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह बताते रहे हैं. नाम न लिखकर तकनीकी तौर पर भले ही संजय सिंह जिरह होने पर संदेह का लाभ लेने की कोशिश करें, लेकिन तंज तो उनका देश के प्रधानमंत्री पर ही है. 

चुनावी रैलियों में या मिलते जुलते मौकों पर ऐसी बातें राजनीति में होती रहती हैं. संजय सिंह के नेता अरविंद केजरीवाल तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कायर और मनोरोगी तक बता चुके हैं. अरविंद केजरीवाल तो अपनी शुरुआती राजनीति के दौरान थोक भाव में नेताओं पर भ्रष्ट होने के आरोप भी लगाया करते थे, और बाद में कानूनी पचड़े में फंसे तो वैसे ही सबसे माफी भी मांग ली.

जिसे संजय सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बता रहे हैं, उसी मुद्दे पर देश के प्रधानमंत्री के बारे में रियल टाइम में बांग्लादेश की मिसाल देते हुए नसीहत देने की कोशिश कर रहे हैं, तो इसे आखिर कैसे समझा जाना चाहिये?

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एक ही बात को राजनीतिक बयान और राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले के तौर पर तो नहीं ही समझाया जा सकता. संजय सिंह को लगे हाथ ये भी साफ कर देना चाहिये कि जिस बात पर वो प्रधानमंत्री को मिसाल के साथ नसीहत दे सकते हैं, उसे वो राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला मानते हैं या प्योर पॉलिटिक्स?

अकेले क्यों पड़ गई आम आदमी पार्टी?

हैरानी तो इस बात पर हो रही है कि संजय सिंह के अलावा INDIA ब्लॉक के किसी भी नेता ने सर्वदलीय बैठक में आम आदमी पार्टी को न बुलाये जाने की शिकायत नहीं की है. न ही बैठक के दौरान न ही बैठक से बाहर आने के बाद ही. 

हाल ही की तो बात है, नीति आयोग की बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर चली आईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फौरन ही केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया था. उनके निशाने पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे. 

बांग्लादेश की घटना पर संजय सिंह को राहुल गांधी के व्यवहार पर भी ध्यान तो गया ही होगा. जहां तक प्रधानमंत्री मोदी पर हमले की बात है, राहुल गांधी तो अरविंद केजरीवाल से दो कदम आगे ही नजर आते हैं. खून की दलाली से लेकर पनौती तक न जाने ऐसे कितने ही शब्दों का इस्तेमाल वो प्रधानमंत्री मोदी के लिए कर चुके हैं - लेकिन क्या बांग्लादेश के मामले में राहुल गांधी को ऐसा वैसा कुछ कहते हुए संजय सिंह ने सुना है?

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बांग्लादेश में हुए ताजा बवाल के बाद राहुल गांधी ने तत्काल विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बाकायदा बात की थी. सर्वदलीय बैठक से पहले बताया गया था कि राहुल गांधी ने संसद भवन परिसर में विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, और उनसे बांग्लादेश संकट पर चर्चा की थी.

और यही वजह लगती है कि आम आदमी पार्टी संजय सिंह की एक सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से इस मुद्दे पर अकेली पड़ गई है. संजय सिंह को भी ये समझ में आ चुका होगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले वाकई गंभीर होते हैं, और दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं. 

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