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क्‍या दिल्‍ली की 4 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार बदल सकती है AAP? फायदे का सौदा तो यही है

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने सत्ता बनाम विपक्ष के मुकाबले को BJP बनाम AAP में बदल दिया है. ऐसे में आम आदमी पार्टी के पास ये मौका तो है ही कि वो अपने सबसे ताकतवर चेहरों को दिल्ली के लोकसभा चुनाव में उतार दे. ये वो नेता हैं जो अलग अलग आरोपों के चलते जेल भेजा गया है.

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अरविंद केजरीवाल के पास बीजेपी को झटका देने का सर्वोत्तम मौका है, वो चाहें तो फटाफट फायदा उठा सकते हैं.
अरविंद केजरीवाल के पास बीजेपी को झटका देने का सर्वोत्तम मौका है, वो चाहें तो फटाफट फायदा उठा सकते हैं.

आम आदमी पार्टी दिल्ली की चार लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है - नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, पश्चिम दिल्ली और दक्षिण दिल्ली. चुनावी गठबंधन के चलते आप को तीन सीटें कांग्रेस के लिए छोड़नी पड़ी हैं - आम आदमी पार्टी ने अपने हिस्से की सभी चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा पहले ही कर डाली है.

नई दिल्ली लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी ने मालवीय नगर से विधायक सोमनाथ भारती को उम्मीदवार घोषित किया है. ऐसे ही पूर्वी दिल्ली से कोंडली विधायक कुलदीप कुमार, दक्षिण दिल्ली से तुगलकाबाद विधायक सहीराम और पश्चिम दिल्ली से कांग्रेस के नेता रहे महाबल मिश्रा को आम आदमी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है. 
 
ध्यान देने वाली बात है कि उम्मीदवारों की घोषणा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले ही कर दी गई थी. तब राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी जेल में हुआ करते थे. जेल से ही बाहर आकर संजय सिंह ने राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया था - और नतीजे घोषित होने के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शपथ भी दिलाई थी. 

अब दिल्ली के राजनीतिक हालात पूरी तरह बदल गये हैं. अव्वल तो हर गिरफ्तारी पर आप नेता लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच होने का दावा करने लगते थे, लेकिन अभी तो स्थिति ही करीब करीब वैसी ही बन गई है - लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी ने सत्‍ता बनाम विपक्ष के मुकाबले को BJP बनाम  AAP में बदल दिया है. 

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आम आदमी पार्टी  के लिए जब ये लड़ाई करो या मरो की होने जा रही है, तब दिल्‍ली की 4 सीटों पर उसके लिए चुनाव प्रतिष्‍ठा का प्रश्‍न बन गया है. ऐसे समय में AAP के पास मौका है कि वो अपने सबसे ताकतवर चेहरों को मैदान में उतार दे - अभी बहुत देर भी नहीं हुई है, आम आदमी पार्टी चाहे तो अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्‍येंद्र जैन को लोकसभा चुनाव में नये सिरे से उम्‍मीदवार घोषित कर सकती है.

ऐसा करना दिल्ली की सभी सात सीटें आम आदमी पार्टी के लिए जीत लेने की गारंटी तो नहीं है, लेकिन जेल से छूटते ही संजय सिंह ने जिस संघर्ष का कॉल दी है - बड़े चेहरों को लोकसभा चुनाव लड़ाने की आम आदमी पार्टी की रणनीति बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती है.

1. AAP नजीर लिख सकती है

बीजेपी ने तो अपने बड़े बड़े नेताओं को विधानसभा चुनाव के मैदान में ही उतार दिया था, और उसके बाद राज्यसभा के जरिये संसद पहुंचने वाले कई नेताओं को भी लोकसभा चुनाव का रास्ता दिखा दिया गया है, लेकिन कांग्रेस से ऐसी खबर आ चुकी है कि कांग्रेस नेतृत्व और उसके सलाहकारों की इच्छा और सलाह के बावजूद कई नेता लोकसभा चुनाव लड़ने में आनाकानी कर चुके हैं. 

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कांग्रेस में कई नेताओं ने चुनाव लड़ने से अनिच्छा के चलते ही भूपेश बघेल और केसी वेणुगोपाल को ऐसे नेताओं को लोकसभा चुनाव का टिकट दिया गया है, खास तौर पर नसीहत देने के मकसद से. कांग्रेस के ऐसे नेताओं को भले ही हार का डर सता रहा हो, लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए तो इसका मतलब भी अलग है. 

जब बड़ी बड़ी पार्टियों के नेता चुनाव लड़ने में आनाकानी कर रहे हैं तो आम आदमी पार्टी नजीर लिख सकती है.  

2. बीजेपी को कड़ी चुनौती मिलेगी

दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अपने तीन मौजूदा विधायकों को ही लोकसभा का टिकट दिया है. ऐसे में महाबल मिश्रा को छोड़ दें तो आम आदमी पार्टी के बाकी तीनों में से कोई भी उम्मीदवार लोकप्रिय नहीं है, जितनी की लोकसभा चुनाव के लिए जरूरी है. 

अगर आप के चारों नेता तैयार न हों, महाबल मिश्रा के साथ तीन बड़े नेता तो चुनाव लड़ ही सकते हैं. हो सकता है सत्येंद्र जैन के लिए सेहत ठीक न होने की वजह से कोई दिक्कत हो, लेकिन अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह और मनीष सिसोदिया तो गुरिल्ला युद्ध ही कर रहे हैं. 

सेहत तो अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह की भी पूरी तरह दुरूस्त नहीं है. आप नेता आतिशी का दावा है कि गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल का वजन घट गया है, और संजय सिंह को भी अस्पताल से तिहाड़ जेल जाते वक्त व्हील चेयर पर देखा गया था - लेकिन जेल से निकलने के बाद संजय सिंह ने जो प्रदर्शन किया, उससे तो यही लगता है कि वो उतने ही फिट हैं जितना किसी नेता को होना चाहिये. 

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अब अगर ये नेता दिल्‍ली की लोकसभा सीटों पर ताल ठोकते हैं, तो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं, क्योंकि ये सभी आम आदमी पार्टी के परखे हुए नेता हैं - और बीजेपी से दो-दो हाथ करने में इनका कोई सानी नहीं है.

3. दिल्लीवालों की सहानुभूति भी मिलेगी

अरविंद केजरीवाल और उनके साथी नेताओं पर उनके राजनीतिक विरोधी विक्टिम कार्ड खेलने के आरोप लगाते रहे हैं. देखें तो कल तक कांग्रेस नेता भी आप नेताओं के बारे में ऐसी ही राय जाहिर करते थे - लेकिन अब अगर गिरफ्तार कर जेल भेज दिये गये नेता और जमानत पर छूटे संजय सिंह जैसे नेता दिल्ली के लोगों के बीच जाकर खुद को पीड़ित और सत्ताधारी बीजेपी के राजनीतिक बदले की कार्रवाई के शिकार बताते हैं, तो लोग पहले के मुकाबले अब आसानी से यकीन कर लेंगे.

जाहिर है, जेल में बंद नेता अगर चुनाव मैदान में होते हैं तो लोगों की सहानुभूति का प्रत्‍यक्ष लाभ भी मिलेगा - और इसी बहाने दिल्ली के लोगों की ये राय भी सामने आ जाएगी कि वे आम आदमी पार्टी के नेताओं के बीजेपी नेतृत्व  पर लगाये गये आरोपों को किस नजर से देखते हैं. 

4. आप को नया नेता मिल ही गया है

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अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद से जिस तरह सुनीता केजरीवाल का कद बढ़ा है, ये तो माना ही जा सकता है कि आम आदमी पार्टी को अब एक नया नेता मिल गया है. और जेल से छूटने के बाद संजय सिंह ने घर पहुंच कर सुनीता केजरीवाल का पैर छूकर इस धारणा को सत्यापित भी कर दिया है. 

और इस तरह वो सवाल भी खत्म हो गया है कि अरविंद अगर लोकसभा चुनाव जीत जाते हैं तो दिल्‍ली सीएम की कुर्सी संभालने के लिए उनकीा पत्नी सुनीता केजरीवाल तो हैं ही.

5. AAP के पास चैलेंजर नंबर 1 बनने का मौका है

अरविंद केजरीवाल तो वैसे भी 2014 में तब बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. मान लेते हैं कि जीत का मार्जिन ज्यादा था, लेकिन अरविंद केजरीवाल को भी कोई कम वोट नहीं मिले थे - हालात ने अरविंद केजरीवाल को एक बार फिर वैसा ही मौका मुहैया कराया है. चाहें तो फटाफट फायदा उठा सकते हैं. 

लब्बोलुआब तो यही है कि AAP दिल्‍ली में हारे या जीते, वो 2024 के चुनाव में विपक्ष की सबसे जुझारू पार्टी बनकर तो उभरेगी ही!

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