कोरोना महामारी के बीच दो युवा नेता सोशल मीडिया पर चर्चाओं और विवादों में बने हुए हैं. ये दोनों ही युवा नेता कर्नाटक से आते हैं और अलग-अलग राष्टीय पार्टियों से हैं. यही नहीं वो अपनी-अपनी पार्टी के युवा ईकाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. पहला नाम युवक कांग्रेस (आईवाईसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी है, जो इन दिनों अपने सैकड़ों वॉलिटियर के साथ कोरोना मरीजों को राहत पहुंचाने में जुटे हैं. वहीं, दूसरा नाम बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्य का है. जिन्होंने कर्नाटक में कोरोना मरीज़ों को बेड दिलाने के एक कथित 'घोटाले' को सामने लाया है, लेकिन इस मामले ने सांप्रदायिक एंगल ले लिया है, क्योंकि इस मामले में मुस्लिम कर्मचारियों को आतंकवादी बताया गया था.
तेजस्वी सूर्या क्यों चर्चा में बने हुए हैं
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में कोविड मरीजों के राहत के लिए बनाए गए बेंगलुरु साउथ वॉर रूम में बेड बेचने के मामले को तेजस्वी सूर्या ने उजागर किया था. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने उन मरीजों से बात की है जिनके नाम पर बेड बुक थे लेकिन उसे पैसे लेकर किसी और को बेच दिया गया था. तेजस्वी सूर्या अपने विधायक चाचा रवि सुब्रमण्यम के साथ मंगलवार को कोविड सेंटर का दौरा करने पहुंचे थे, जहां उन्होंने वॉर रूम में काम कर रहे 206 लोगों में से सिर्फ 17 मुस्लिम कर्मचारियों की योग्यता पर सवाल उठाते हुए उन्हें आतंकवादी बताया था.
हालांकि, बीजेपी नेताओं के आरोपों पर वहीं, खड़े एक कर्मचारी ने जवाब दिया था कि आवेदन आमंत्रित किए जाने के बाद ही सभी की भर्ती की गई है. इसके बाद भी रवि सुब्रमण्यम ने कहा कि केवल यही लोग आवेदन भेजे थे? इसके वो सवाल करते हैं कि 'क्या तुम लोगों को मदरसे से नियुक्त करते हो या कॉर्पोरेशन से? हालांकि, बीजेपी नेताओं के सवाल उठाए जाने के बाद एजेंसी ने 17 मुस्लिम कर्मचारियों को जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया है. इसके बाद सूर्या की सोशल मीडिया पर आलोचना होने लगी कि वो बेड घोटाले में वॉर रूम में काम कर रहे लोगों का नाम लेकर इस मामले को 'सांप्रदायिक' बना रहे हैं.
तेजस्वी सूर्या का सियासी सफर
बता दें कि बेंगलुरु दक्षिण सीट से लोकसभा सांसद तेजस्वी सूर्या लोकसभा में सबसे कम उम्र के सांसद है. पेशे से तेजस्वी सूर्या एक वकील भी है. तेजस्वी सूर्या राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानि आरएसएस और एबीवीपी से निकले हैं और बहुत कम समय में ही राजनीति में अपनी खास पहचान बनाई है. तेजस्वी सूर्या युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय है. सोशल मीडिया का एक बड़ा वर्ग उन्हें पसंद करता है, लेकिन अक्सर अपने ट्वीट को लेकर विपक्ष के निशाने पर रहते हैं.
तेजस्वी सूर्या का जन्म 16 नवंबर 1990 को कर्नाटक के चिकमंगलूर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ. उनके पिता का नाम सूर्यनारायणा और माता का नाम रमा है. तेजस्वी सूर्या ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा श्री कुमारन चिल्ड्रन होम से पूरी की है. इसके बाद तेजस्वी सूर्या ने नेशनल कॉलेज, जयनगर से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है और अपनी वकालत की पढ़ाई बेंगलुरु के इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज से पूरी की. तेजस्वी सूर्या फिलहाल भारतीय जनता युवा मोर्चा हैं जबकि इससे पहले एबीवीपी अलग-अलग पदों पर रह चुके हैं. इसके अलावा तेजस्वी सूर्या Arise India एनजीओ बना रखा है, जो युवाओं को नेता बनने के लिए तैयार करता है.
क्यों चर्चा में है श्रीनिवास बी वी
वहीं, कोरोना महामारी के दौरान अपनी अलग पहचान बनाने वाले बी वी श्रीनिवास भी कर्नाटक से हैं और वो यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. कोरोना संकट में श्रीनिवास 1000 वॉलंटिरयर के साथ हजारों लोगों की जान बचा चुके हैं. ट्विटर पर कोई भी कहीं भी किसी भी प्रकार की मदद मांग रहा है तो श्रीनिवास आगे बढ़कर मदद करते दिख रहे हैं. वो कहीं दवा पहुंचाते नजर आ रहे हैं तो कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर लिए हुए दिखते हैं. इतना ही नहीं लोगों को प्लाज्म के लिए मदद को पूरी करने की कोशिश करते दिखते हैं तो साथ ही सड़क पर लोगों को खाना भी बांटते दिख रहे हैं.
श्रीनिवास का सियासी सफर
भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास अपने काम करने के अंदाज और हर जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाते नजर आ रहे हैं. कर्नाटक के शिमोगा जिले के भद्रावती में बालिजा समुदाय (ओबीसी) के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे श्रीनिवास का राजनीति से दूर दूर तक कोई नाता नहीं था. उनके परिवार में कभी कोई राजनीति में नहीं रहा. इसके बावजूद उन्होंने कदम रखा और आज राहुल गांधी के करीबी नेताओं में गिना जाता है.
क्रिकेट के शौक में श्रीनिवास अपनी स्नातक की बढ़ाई पूरी नहीं कर सके. हालांकि, क्रिकेट में अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद उन्होंने राजनीति का रुख किया. नेशनल कॉलेज, बासवनागुडी में पढ़ाई के दौरान एनएसयूआई सदस्य के तौर पर उनका राजनीतिक सफर शुरू किया. इसके बाद अपने मुखर विचारों और स्पष्ट राजनीतिक सोच के दम पर ब्लाक स्तर से जिला स्तर और फिर अब राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय युवा कांग्रेस का मजबूत चेहरा बनकर उभरे हैं. उन्होंने जमीनी स्तर के एक जुझारू कार्यकर्ता के तौर पर अपनी पहचान बनाई. यूथ कांग्रेस के तमाम पदों पर रहते हुए साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद श्रीनिवास यूथ कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष बने और साल 2020 में उन्हें पूर्णकालिक अध्यक्ष की जिम्मेदारी पार्टी ने सौंप दी.
कोरोना काल में मिली श्रीनिवास को पहचान
यूथ कांग्रेस की कमान संभालते हुए श्रीनिवास ने केंद्र सरकार के खिलाफ कई मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन और सड़कों पर संघर्ष करते नजर आए. हालांकि, मीडिया की नजरों में साल 2020 में जब राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगने के बाद उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों और दूसरे जरूरतमंदों मदद करते दिखे. वहीं, इस साल कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद श्रीनिवास कई जरूतमंदों के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं. श्रीनिवास कोरोना मरीजों के लिए प्लाज्मा और ऑक्सीजन का प्रबंध करने से लेकर लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने और जरूरतमंदों के लिए खाने का इंतजाम करने तक, ये सभी काम युवा कांग्रेस इन दिनों उनकी अगुवाई में कर रही है. कोरोना महामारी में श्रीनिवास ने न्यूजीलैंड दूतावास और फीलीपींस दूतावास में भी ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया था, जिसके लिए न्यूजीलैंड ने उनका धन्यवाद किया था.