कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने कर्नाटक में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के लिए पार्टी आलाकमान को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा, 'इससे पहले कि पार्टी राज्य में सत्ता गंवा दे, उसे अनुशासन में रहना चाहिए.' मोइली ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, 'इसमें कोई शक नहीं कि यह राजनीतिक उथल-पुथल है और इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व जिम्मेदार है. उन्हें पता होना चाहिए कि इसे कैसे नियंत्रित किया जाए, लेकिन चीजें अलग दिशा में जा रही हैं, जो कर्नाटक में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगी.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुर्सी की इस खींचतान को नियंत्रित करने की आलाकमान की इच्छा तो प्रबल होनी ही चाहिए, लेकिन स्थिति अब ऐसी हो गई है कि इसका समाधान संभव नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं और शीर्ष नेतृत्व को इन घटनाक्रमों का पहले से ही अंदाजा लगा लेना चाहिए था. मोइली ने कहा, ‘इस तरह की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए थी और मुझे खेद है कि इस सत्ता संघर्ष के कारण कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी का माहौल खराब हो रहा है.’
वीरप्पा मोइली ने कहा कि विभिन्न समुदाय के नेता पार्टी पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया या उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार को शीर्ष पद के लिए समर्थन देने का दबाव बना रहे हैं. इससे गलत संदेश जा रहा है और अनुशासन समय की मांग है, अन्यथा कांग्रेस कर्नाटक को भाजपा के हाथों खो देगी. उन्होंने आगे कहा, 'कांग्रेस अध्यक्ष या आलाकमान को इन नेताओं को चुप रहने का निर्देश देना चाहिए. राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है, और हर समुदाय अपनी-अपनी रणनीति अपना रहा है. कुछ समुदाय तो यहां तक कह रहे हैं कि वे कांग्रेस को वोट नहीं देंगे.'
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कर्नाटक कांग्रेस में क्या हो रहा है?
कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर खींचतान बढ़ गई है. कांग्रेस ने 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराकर पूर्ण बहुमत हासिल की थी. पार्टी सूत्रों के मुताबिक सरकार गठन के वक्त तय हुआ था कि सिद्धारमैया और शिवकुमार ढाई-ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे. सिद्धारमैया का ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो गया है, जिसके बाद डीके शिवकुमार के समर्थक राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के लिए मुखर हो गए हैं.
हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने इस तरह के किसी समझौते से इनकार किया है, और सिद्धारमैया ने जोर देकर कहा है कि वह पूरे 5 वर्ष के लिए मुख्यमंत्री रहेंगे. सिद्धारमैया और शिवकुमार, दोनों ने आलाकमान से संभावित परिवर्तन को लेकर चल रहे असमंजस को दूर करने का अनुरोध किया है, क्योंकि शेष कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री कौन होगा, इस अनिश्चितता से पार्टी को नुकसान हो रहा है. इधर कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग समुदाय महासंघ (KSFBCC) ने कांग्रेस को चेतावनी दी है कि राज्य में सत्ता संघर्ष के मद्देनजर सिद्धारमैया को सीएम पद से हटाने की कोई भी कोशिश पार्टी पर भारी पड़ेगी.
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दूसरी ओर, कर्नाटक राज्य वोक्कालिगारा संघ ने कांग्रेस आलाकमान को चेतावनी दी है कि अगर डीके शिवकुमार के साथ अन्याय हुआ तो वोक्कालिगा समुदाय अगले चुनाव में पार्टी का समर्थन नहीं करेगा. इस बीच कांग्रेस आलाकमान ने राज्य के अपने दोनों शीर्ष नेताओं के बीच सुलह की कोशिशें तेज कर दी हैं. इसी क्रम में सिद्धारमैया ने कल शिवकुमार को सुबह नाश्ते पर आमंत्रित किया है. इधर बीजेपी पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है और कहा है कि जरूरत पड़ने पर वह कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पूरी तरह तैयार है.