कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि उनका हाल का बयान "शब्द की ताकत ही दुनिया की ताकत है" असल में संविधान दिवस के मौके पर दिया गया था. लोग इसे कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं को कोई इशारा समझ रहे थे, लेकिन इसमें कोई राजनीतिक मतलब नहीं था. उन्होंने मुंबई में एक परिवार के समारोह में हिस्सा लिया था और वहां पत्रकारों से बात की.
उन्होंने साफ कहा कि मुंबई में कोई राजनीतिक बैठक नहीं हुई. "कोई मीटिंग नहीं थी. मैं सिर्फ परिवार के काम से आया था और अब वापस जा रहा हूं. अगर कोई मीटिंग होती तो बेंगलुरु या दिल्ली में होती, मुंबई में नहीं," उन्होंने बताया.
अपने बयान को समझाते हुए बोले कि जनता के सामने जो कुछ कहते हैं, उसके साथ जिम्मेदारी आती है. "मैंने कल संविधान दिवस पर ये बात कही थी. जज क्या कहते हैं, नेता क्या बोलते हैं, कोई भी क्या कहे - सबका वजन होता है."
वहां मौजूद वकीलों से कहा था कि बोलते समय जो संदेश देते हो, वो महत्वपूर्ण होना चाहिए. हमारा हर शब्द हमारा वादा होता है और उसकी कीमत होती है. इसलिए कहा - "शब्द की ताकत ही दुनिया की ताकत है". चाहे जज हों, नेता हों, मीडिया वाले हों या रिपोर्टर - जहां भी बोलें, क्या बोलें, सब मायने रखता है.
राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खड़गे से मुख्यमंत्री पद के बारे में बात हुई क्या, इस सवाल पर उन्होंने कहा, "नहीं. वो मेरे नेता हैं. मुझे किसी चीज की जल्दी नहीं है."
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दरार फिर उभरी, सरकार बीच में पहुंची
ये सफाई तब आई जब कांग्रेस में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच कथित सत्ता बंटवारे की अफवाहें फिर से जोर पकड़ रही हैं. सिद्धारमैया ने इसे बार-बार खारिज किया है. उसी दिन सिद्धारमैया ने एक पोस्ट में शिवकुमार के शब्दों का जवाब देते हुए कहा, "शब्द तब ताकत बनता है जब वो लोगों के लिए दुनिया बेहतर करे."
सीएम ने पोस्ट से संदेश तेज किया
शिवकुमार ने पहले भी बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में यही बात कही थी. लोग इसे मई 2023 के उस समझौते की याद दिलाने का इशारा मान रहे थे, जब लंबी आंतरिक लड़ाई के बाद सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री चुना गया.
जवाब में सिद्धारमैया ने अपनी वर्तमान और पुरानी सरकार के काम गिनाए. बोले कि कांग्रेस को मिला जनादेश पूरे पांच साल का है. "कांग्रेस पार्टी, जिसमें मैं भी हूं, लोगों के लिए दया, लगन और हिम्मत से काम कर रही है. कर्नाटक को दिया हमारा वचन कोई नारा नहीं, ये हमारी दुनिया है."
मंत्री दो गुटों में बंटे
गुरुवार को दो गुटों के बीच फूट और साफ हो गई. सिद्धारमैया के करीबी गृह मंत्री जी परमेश्वरा ने कहा कि अगर पार्टी हाईकमान कहे तो शिवकुमार को मुख्यमंत्री मान लेंगे. तुरंत बाद दूसरे मंत्री जामीर अहमद खान ने सिद्धारमैया का पूरा साथ दिया. बोले कि वो ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे. इससे पहले से गरम राजनीतिक जंग में नया मोड़ आ गया.