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'चीन से भी बातचीत करें...', PAK प्रायोजित आतंकवाद पर ओवैसी की पड़ोसी देशों को साथ लाने की अपील

ओवैसी ने केंद्र सरकार और कूटनीतिज्ञों से अपील की कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी संगठन घोषित कराने के लिए सक्रिय प्रयास करें. उन्होंने कहा कि हमारे अमेरिका से अच्छे संबंध हैं, लेकिन मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि हम TRF को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में शामिल नहीं करवा पाए. यह बहुत चिंताजनक है.

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AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी

AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की कूटनीतिक चुनौतियों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि तुर्की, अज़रबैजान और चीन जैसे देशों ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया, जबकि अमेरिका जैसे भारत के करीबी सहयोगी देशों ने चुप्पी साध रखी.

इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में ओवैसी ने केंद्र सरकार और कूटनीतिज्ञों से अपील की कि पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवादी संगठन घोषित कराने के लिए सक्रिय प्रयास करें. उन्होंने कहा कि हमारे अमेरिका से अच्छे संबंध हैं, लेकिन मुझे यह देखकर हैरानी हुई कि हम TRF को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में शामिल नहीं करवा पाए. यह बहुत चिंताजनक है.

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमारी सरकार और राजनयिक काफी सक्षम हैं और उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संयुक्त राज्य अमेरिका टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) घोषित करे.

ओवैसी ने कहा कि केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन और उसकी ट्रेज़री को भी TRF को आतंकी संगठन घोषित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सिर्फ पश्चिमी देशों से नहीं, चीन जैसे पड़ोसी देश से भी संवाद जरूरी है. हमें चीन को यह समझाना होगा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरे एशियाई क्षेत्र के लिए खतरा है. हमें अपने सभी पड़ोसियों को साथ जोड़ना होगा.

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'हम जीवंत लोकतंत्र हैं, मतभेद के बावजूद एकजुट'

देश के भीतर विपक्ष और सरकार के बीच मतभेदों को लेकर ओवैसी ने कहा कि इससे भारत की वैश्विक स्थिति कमजोर नहीं होती. पाकिस्तान जैसे देशों में राजनीतिक असहमति बर्दाश्त नहीं होती, लेकिन भारत एक जीवंत लोकतंत्र है. यहां मतभेदों के बावजूद सभी दल आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं. विपक्ष के सांसद भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल हो रहे हैं, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है.

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