असदुद्दीन ओवैसी (राजनेता)
असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) एक भारतीय राजनेता हैं. वह एक भारतीय राजनीतिक दल, अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष हैं (President of All India Majlis-e-Ittehadul Muslimeen). ओवैसी ने 1994 में चारमीनार निर्वाचन क्षेत्र (Charminar Constituency) से चुनाव लड़कर, आंध्र प्रदेश विधान सभा चुनाव से अपनी राजनीतिक शुरुआत की, साथ ही लोकसभा में हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र (Hyderabad Constituency) से चार बार सांसद भी चुने गए. ओवैसी ने 2019 में, एआईएमआईएम (AIMIM) के नेता के रूप में चौथा कार्यकाल जीता और 17वीं लोकसभा के लिए चुने गए.
असदुद्दीन ओवैसी का जन्म 13 मई 1969 को राजनेता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी और उनकी पत्नी नजमुन्निसा बेगम के घर हुआ था (Asaduddin Owaisi Parents). वह हैदराबाद के एक राजनीतिक परिवार से हैं और उनका एक छोटा भाई है जिसका नाम अकबरुद्दीन ओवैसी है (Asaduddin Owaisi Family) जो एक भारतीय राजनेता और एआईएमआईएम (AIMIM) के नेता भी हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद में उस्मानिया विश्वविद्यालय के निजाम कॉलेज (Nizam College Osmania University) से कला में ग्रेजुएट की डिग्री पूरी की. इसके बाद, उन्होंने लंदन के लिंकन्स इन से एलएलबी (LLB) की.
असदुद्दीन ओवैसी ने 11 दिसंबर 1996 को फरहीन ओवैसी से शादी की (Asaduddin Owaisi Wife). इनके छह बच्चे हैं, एक बेटा जिसका नाम सुल्तानुद्दीन ओवैसी है (Owaisi Son) और पांच बेटियां जिनके नाम खुदसिया ओवैसी, यास्मीन ओवैसी, अमीना ओवैसी, महीन ओवैसी और अतिका ओवैसी हैं (Owaisi Daughter).
ओवैसी राजनीति के अलावा हैदराबाद में स्थित ओवैसी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के चेयरमैन भी हैं (chairman of Owaisi Hospital and Research Centre Hyderabad). भारतीय संसद के 15वें सत्र में उनके प्रदर्शन के लिए उन्हें 2014 में संसद रत्न पुरस्कार (Gem of Parliamentarians) से सम्मानित किया गया. असदुद्दीन ओवैसी, दुनिया के 500 सबसे प्रभावशाली मुसलमानों में भी सूचीबद्ध हैं.
उनका ऑफिशियल ट्विटर हैंडल @asadowaisi है और फेसबुक पेज का नाम Asaduddin Owaisi है. इंस्टाग्राम पर वह asadowaisiofficial यूजरनेम से एक्टिव हैं.
सोशल मीडिया पर AIMIM नेता और हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो में ओवैसी किसी मंदिर में हनुमान जी की आरती करते हुए दिख रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो का आजतक की टीम ने फैक्ट चेक किया है.
मौलाना महमूद मदनी और उससे पहले मौलाना अरशद मदनी ने बयान देकर सियासी भूचाल ला दिया है. बिहार चुनाव के बाद मौलाना मदनी के बयान को असदुद्दीन ओवैसी के बढ़ते सियासी कद से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसे में मुस्लिम कयादत या फिर इमेज बिल्डिंग का सवाल है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वक्फ संपत्तियों को UMEED पोर्टल पर छह महीने के भीतर रजिस्टर करना अनिवार्य है और इस डेडलाइन को किसी भी सूरत में आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि डेडलाइन के बाद ट्रिब्यूनल के पास जाने का विकल्प उपलब्ध है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य याचिकाकर्ताओं ने डेडलाइन बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया.
ओवैसी ने पटना में बनी नई सरकार को बधाई देते हुए सीमांचल के लिए इंसाफ और विकास की मांग की जा रही है. सीमांचल में नदी कटाव, पलायन, रिश्वतखोरी जैसे गंभीर मुद्दे हैं जिन्हें सरकार की मदद से हल किया जाना चाहिए.
ओवैसी ने कहा कि बिहार चुनाव खत्म हो चुका है और अब समय काम करने का है. फिर भी अगर कोई विरोध करता है तो वह अमूर की जनता के लिए असहनीय होगा. जनता ऐसी हरकतों को सहन नहीं करेगी और विरोध करने वालों को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी.
ओवैसी ने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि बिहार की विधानसभा में हमारे पाँचों विधायक शेर की तरह काम करेंगे और सरकार से इस बात की मांग करेंगे कि उनकी विधानसभा में हो रही समस्याओं को क्यों नहीं सुधारा जा रहा. ये सभी विधायक काबिल हैं और नेक नियति से मेहनत करेंगे.
यह वीडियो सीमांचल के लिए निरंतर लड़ाई की प्रतिज्ञा पर केंद्रित . वक्ता कहते हैं कि अल्लाह की मदद से वे जिंदा रहने तक सीमांचल के लिए संघर्ष करेंगे। जो लोग उनसे सवाल करते हैं, उन्हें वे सलाह देते हैं कि चुनाव के बाद अपने चेहरे को आईने में देखें क्योंकि उनका चेहरा डरावना लग सकता है.
AIMIM ने बिहार में पांच सीटें जीती हैं. अमौर में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी नीतीश सरकार को एक शर्त पर समर्थन देने को तैयार है. उन्होंने कहा कि सीमांचल दशकों से उपेक्षा का शिकार रहा है और अब यह स्थिति बदलनी चाहिए.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी बिहार में नीतीश कुमार सरकार को समर्थन देने को तैयार है, लेकिन इसके लिए एक शर्त है कि सीमांचल क्षेत्र को उसके हक का न्याय मिले.
तेलंगाना के जुबली हिल्स उपचुनाव में AIMIM का सपोर्ट लेने में कामयाब रही कांग्रेस ने जीत का स्वाद चखा है. इस सीट पर कांग्रेस के नवीन यादव ने BRS के हैट्रिक को खत्म करते हुए लंबे समय बाद कांग्रेस का खाता खोला है. यही वही सीट है जहां से पिछली बार अजहरुद्दीन चुनाव लड़े थे.
लोकसभा चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी को मिली शिकस्त से ऐसा लग रहा था कि मुसलमानों के वोट एकतरफा महागठबंधन को जाएंगे. पर ऐसा क्यों नहीं हुआ, यह इंडिया गठबंधन के दलों को सोचने और समझने की जरूरत है ?
बिहार चुनाव में NDA ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 202 सीटें जीतकर भारी बहुमत हासिल किया है. मोदी और नीतीश की जोड़ी ने विपक्ष को पटखनी दी और बिहार की जनता ने विकास को जनादेश दिया. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने शानदार रणनीति और प्रचार के दम पर चुनाव में जीत सुनिश्चित की. एआईएमआईएम ने सीमांचल में अपनी पकड़ बनाए रखी है.
AIMIM इस बार बिहार में सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायकों विधानसभा भेज रही है. ऐसा तब हुआ है जब कांग्रेस और RJD ओवैसी की पार्टी को बीजेपी की B टीम बता रहे थे. लेकिन सीमांचल के मतदाताओं ने इन आलोचनाओं की परवाह न करते हुए AIMIM को वोट देने का रिस्क उठाया. क्योंकि ओवैसी उनकी आकांक्षाओं पर सटीक उतर रहे हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुस्लिम प्रतिनिधित्व ऐतिहासिक रूप से घट गया. इस बार केवल 11 मुस्लिम विधायक चुनकर आए, जबकि 2020 में यह संख्या 19 थी. AIMIM ने सीमांचल में पिछली सभी सीटें फिर जीत लीं और कई अन्य क्षेत्रों में महागठबंधन का वोट बांटा.
बीजेपी ने बिहार विधानसभा में तगड़ा प्रदर्शन किया है. लेकिन कुछ ऐसी सीटें थी जहां BJP के खिलाफ ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बढ़िया प्रदर्शन किया और बीजेपी उम्मीदवारों को धूल चटाई है. बीजेपी को कुछ ऐसी सीटें भी गंवानी पड़ी है जहां 2020 में उसे जीत मिली थी.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सीमांचल क्षेत्र की पांच सीटों पर AIMIM ने अपनी मजबूत उपस्थिति को जारी रखा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बहादुरगंज, कोचा धामन, अमौर और बाबसी जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर जनता ने AIMIM को दोबारा जीत दी है. अमौर सीट पर पार्टी के एकमात्र विधायक अख्तरुल इमान ने सफलता पाई जो जनता के भरोसे और पार्टी संगठन की कड़ी मेहनत का परिणाम है.
बिहार चुनाव के नतीजों में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है, वहीं तेजस्वी यादव का महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. एनडीए की इस भारी सियासी लहर के बीच ओवैसी सीमांचल में अपना किला बचाने और पांच सीटों पर दोबारा कब्जा जमाने में सफल रहे. AIMIM ने उन सीटों को भी फिर जीत लिया, जहां 2020 में विजय हासिल करने के बाद उसके विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे.
ओवैसी ने सवाल किया कि 75 सालों में कांग्रेस, राजद, नीतीश कुमार और बीजेपी ने सीमांचल के लिए क्या किया? उन्होंने सीमांचल को भारत का सबसे पिछड़ा इलाका बताया, जहां इन्फेंट मोर्टेलिटी रेट अधिक है और 92% मुस्लिम बच्चे 12वीं पास नहीं कर पाते.
बिहार का सीमांचल इलाके मुस्लिम सियासत का केंद्र माना जाता है. इस इलाके में 24 विधानसभा सीटें आती है, जहां आरजेडी नेता तेजस्वी यादव से लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ-साथ AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की साख दांव पर लगी थी. देखिए कहां कौन जीता.
बिहार में 18 फीसदी के करीब मुस्लिम आबादी है. 2020 में 19 मुस्लिम विधायक जीतकर आए थे, लेकिन इस बार सभी की निगाहें लगी हुई थीं कि पिछली बार से ज्यादा मुस्लिम जीतेंगे या फिर घट जाएगी संख्या. मुस्लिम वोटों को साधने के लिए महागठबंधन और एनडीए दोनों ने दांव चले थे. देखिए कहां कौन जीता.
बिहार चुनाव में एआईएमआईएम को पांच सीटों पर जीत मिली है. जोकीहाट, बहादुरगंज, कोचाधामन, अमौर, बायसी में ओवैसी की पार्टी को जीत मिली. गौरतलब है कि यह पार्टी सीमांचल क्षेत्र में खास प्रभाव रखती है जहां मुस्लिम आबादी अधिक है. AIMIM ने इस चुनाव में 243 में से 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. उसे कुल 5 सीटों पर जीत मिली.