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इंतजार खत्म! आ गई जनगणना और कास्ट सेंसस की तारीख, 1 मार्च 2027 तक आएंगे आंकड़े

इस बड़े फैसले की पृष्ठभूमि में अप्रैल में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से की गई घोषणा थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (Cabinet Committee on Political Affairs) ने आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने की स्वीकृति दे दी है.

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देश में जनगणना कराने की तारीख की घोषणा हो गई है (फाइल फोटो)
देश में जनगणना कराने की तारीख की घोषणा हो गई है (फाइल फोटो)

देश की लंबे समय से लंबित जनगणना और जातिगत गणना की प्रक्रिया अब तय हो गई है. सूत्रों के मुताबिक, 16 जून 2025 को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत अधिसूचना जारी होते ही यह प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हो जाएगी. इसके बाद जनगणना से जुड़ी विभिन्न एजेंसियां सक्रिय हो जाएंगी. पहले चरण में स्टाफ की नियुक्ति, प्रशिक्षण, जनगणना फॉर्मेट तैयार करना और फील्ड वर्क की योजना बनाई जाएगी. खास बात यह है कि इस बार जनगणना और जातिगत जनगणना एक साथ की जाएगी.

प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी. पहला चरण 1 फरवरी 2027 तक पूरा किया जाएगा, जबकि दूसरा और अंतिम चरण फरवरी 2027 के अंत तक संपन्न होगा. 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि को संदर्भ तिथि माना जाएगा, यानी उस समय देश की जनसंख्या और सामाजिक स्थिति का जो भी आंकड़ा होगा, वही रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा. इस दिन के बाद से आंकड़े सार्वजनिक रूप से सामने आने लगेंगे. यह ऐतिहासिक कदम देश की सामाजिक संरचना को बेहतर ढंग से समझने और नीतिगत फैसलों के लिए मजबूत आधार प्रदान करेगा.

वहीं हिमालयी और विशेष भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड में यह जनगणना प्रक्रिया अन्य राज्यों से पहले, अक्टूबर 2026 तक पूरी कर ली जाएगी. वहां मौसम की कठिनाइयों और दुर्गम क्षेत्रों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.

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जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के तहत, 1 मार्च 2027 को जनगणना की संदर्भ तिथि घोषित की जाएगी और संबंधित अधिसूचना 16 जून 2025 को राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी. इसके बाद जनगणना की आधिकारिक तैयारियां प्रारंभ हो जाएंगी.

कैबिनेट समिति ने दी जातिगत गणना को मंजूरी

बता दें कि इस बड़े फैसले की पृष्ठभूमि में अप्रैल में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से की गई घोषणा थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति (Cabinet Committee on Political Affairs) ने आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने की स्वीकृति दे दी है.

उन्होंने कहा था, “कैबिनेट समिति ने आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है. यह फैसला सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण तथा समग्र राष्ट्रीय प्रगति की दिशा में एक अहम कदम है.” उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जनगणना पारदर्शी तरीके से कराई जाएगी.

जातिगत जनगणना की पुरानी मांग

देशभर में जातिगत गणना की मांग काफी समय से उठती रही है. कांग्रेस, INDIA गठबंधन और विभिन्न क्षेत्रीय दलों ने बार-बार इसकी आवश्यकता को रेखांकित किया है. हाल ही में कांग्रेस शासित कर्नाटक सरकार ने राज्य स्तरीय जातिगत सर्वे कराया था, जिसे लेकर कुछ प्रमुख समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायत ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि इस सर्वे में उनके साथ न्याय नहीं हुआ.

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कोविड-19 के कारण टली थी जनगणना

गौरतलब है कि भारत में यह जनगणना मूल रूप से अप्रैल 2020 में आयोजित की जानी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था. अगर इसे तय समय पर किया गया होता, तो अंतिम रिपोर्ट 2021 तक सामने आ जाती.

आगामी जनगणना से क्या हैं अपेक्षाएं?

जनगणना 2027 सिर्फ जनसंख्या की गणना भर नहीं होगी, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है. वंचित वर्गों की सही पहचान और उनके लिए योजनाओं की बेहतर दिशा तय हो सकेगी. आरक्षण व्यवस्था और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर तथ्यात्मक और अद्यतन आंकड़े उपलब्ध होंगे. नीतियों और योजनाओं का पुनर्गठन संभव होगा जो समावेशी विकास की दिशा में उपयोगी हो सकता है.

2011 में आखिरी बार हुई थी जनगणना

भारत में पिछली जनगणना वर्ष 2011 में की गई थी, जो दो चरणों में पूरी हुई थी. पहला चरण मकान सूचीकरण (HLO) और दूसरा चरण जनगणना (PE). 2021 में अगली जनगणना प्रस्तावित थी, जिसकी सभी तैयारियां भी पूरी हो गई थीं, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा. यदि यह जनगणना समय पर होती, तो 2021 तक इसकी अंतिम रिपोर्ट सामने आ चुकी होती.

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