साल 2001 में 'कभी खुशी कभी गम' जैसी फिल्म बनाना बहुत बड़ी बात थी. इसमें रायचंद परिवार की कहानी को दिखाया गया था. इस फैमिली ड्रामा मूवी में अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, शाहरुख खान, काजोल, ऋतिक रोशन और करीना कपूर ने काम किया था. 'कभी खुशी कभी गम' जिसे K3G भी कहा जाता है, अपने वक्त की सबसे महंगी भारतीय फिल्मों में से एक थी. अब इसके बारे में फिल्ममेकर निखिल आडवाणी ने बात की है.
'कभी खुशी कभी गम', करण जौहर के निर्देशन बनने वाली दूसरी फिल्म थी. उनकी पहली फिल्म 'कुछ कुछ होता है' बड़ी हिट साबित हुई थी. निखिल आडवाणी ने K3G में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया था. इस फिल्म को बड़े स्केल पर बनाया गया था. इंडस्ट्री के सबसे बड़े चेहरों को इस फिल्म में लिया गया था. इसका मतलब था कि फिल्म का बजट भी हाई जाने वाला था. अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में निखिल आडवाणी ने बताया कि कैसे यश जौहर ने फिल्म के लिए पैसे जमा किए थे.
बजट से ज्यादा हुआ था फिल्म पर खर्च
फिल्म कम्पैनियन से बातचीत में निखिल आडवाणी ने कहा कि जब यश जौहर को पहली बार फिल्म का बजट प्रपोजल दिया गया था, तो उन्होंने चुपचाप उसे अपने पास रख लिया था. मेकर्स ने फिल्म का बजट 24.5 करोड़ रुपये प्रपोज किया था. ये आर्ट डायरेक्शन के 3 करोड़ मिलाकर था. निखिल बोले, 'जिस कागज पर हमने बजट लिखा था, उन्होंने उसे लिया, मोड़ा और अपनी जेब में रख लिया. उन्होंने कहा, 'ठीक है, जाओ और फिल्म बनाओ.' 2000 के वक्त में ये बड़ा नंबर था. शूट के पहले दिन हम बोले चूड़ियां गाना शूट कर रहे थे. सेट पर 200 डांसर, 300 जूनियर आर्टिस्ट और फिल्म की पूरी कास्ट मौजूद थी.'
उन्होंने आगे बताया, 'हमने फिल्मिस्तान स्टूडियो लिया था, जिसमें 10 फ्लोर थीं. और उन दसों को हमने लिया हुआ था. तो फिल्मिस्तान धर्मा स्टूडियो बन गया था, जिसमें एक फ्लोर पर यश जौहर का ऑफिस था. दूसरी पर एचओडी का ऑफिस था, एक पर सिर्फ खाना खाने के लिए रूम था. हमने मेकअप रूम्स को पेंट कर दिया था. हमने बाथरूम को दोबारा बनाया था. प्लंबिंग का काम दोबारा करवाया था. एमएफ हुसैन के प्रिंटस लगे, फ्रिज, टीवी, केबल, सबकुछ. वहां एक लेटर पैड हुआ करता था (जिसपर लिखा होता था) जया बच्चन की डेस्क से). करण की तरफ से रोज एक नोट आता था जिसपर लिखा होता था कि वो उस दिन क्या महसूस कर रहे हैं. शूट के पहले दिन करण बेहोश हो गए थे.'
निखिल आडवाणी ने बताया कि एक दिन यश जौहर उन्हें सेट के बाहर मिले थे. उन्होंने निखिल से पूछा था कि क्या उन्हें याद है कि उन्होंने फिल्म का बजट क्या बताया था. निखिल बोले, 'मैंने कहा- यश जी अभी बहुत स्ट्रेस है, मुझे सेट पर बहुत सारी चीजें चेक करनी हैं, मुझे नहीं पता. तो उन्होंने वही कागज का टुकड़ा निकाला, उसे खोला और कहा- आर्ट बजट 3 करोड़ रुपये था पूरी फिल्म के लिए, तुमने एक सेट पर ही 3.6 करोड़ रुपये लगा दिए हैं. उन्होंने उस कागज के टुकड़े को फाड़ा और कहा- जाओ और जाकर ये फिल्म बनाओ. फिल्म का फाइनल बजट 54.5 करोड़ रुपये रहा था.'
यश जौहर के पास नहीं थे पैसे
निखिल ने बताया कि फिल्म को बनाना मुश्किल रहा लेकिन इसके प्रोडक्शन के कॉस्ट का असर इसकी रिलीज पर भी पड़ा था. उन्होंने बताया कि यश जौहर अपनी फिल्म को एक बड़े स्टूडियो को बेच रहे थे, लेकिन ये डील बीच में ही टूट गई थी. ऐसे में यश बिना पैसों के रह गए थे. निखिल आडवाणी ने कहा, 'फिल्म जिस तरह बिकी थी वो अलग ही कहानी है. मैं यश जी के करीब था तो मैंने सीखा कि एक प्रोड्यूसर कैसे सोचता है. हम एक बहुत बड़े स्टूडियो के साथ डील साइन करने वाले थे, लेकिन वो नहीं हो पाया. वो अपने एक करीबी शख्स के पास गए और कहा- मेरे पास कोई पैसे नहीं हैं. मैंने बहुत पैसे खर्च कर दिए हैं और मुझे ये चाहिए.' लेकिन उस शख्स ने कहा, 'नहीं, मैं बस इतना ही दे सकता हूं.'
फिल्ममेकर ने आगे बताया, 'तो यश जी ने अपनी फिल्म को खुद डिस्ट्रीब्यूट किया था. ये साढ़े 17 परसेंट रिफंडेबल कमीशन पर डिस्ट्रीब्यूट हुई थी. धर्मा प्रोडक्शन - कुछ कुछ होता है, कभी खुशी कभी गम और कल हो न हो जैसी फिल्मों के कंधों पर खड़ा हुआ है.'