
अपने रूटीन किरदारों से बहुत अलग रोल में दिख रहे अक्षय कुमार. अंदर से घबराई-बाहर से मजबूत बनती कॉप के रोल में प्रीति जिंटा. और आज तक लोगों की नींद उड़ा रहे भयानक विलेन के रोल में आशुतोष राणा की फिल्म 'संघर्ष' (1999) 90s के दौर की यादगार फिल्मों में से एक है. तनुजा चंद्रा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को लोग उस दौर की ट्रेंड से बिल्कुल हटकर बनी थ्रिलर की तरह याद रखते हैं. इस फिल्म की एंडिंग और खासकर आशुतोष के किरदार ने कितने ही लोगों हमेशा के लिए डराकर रख दिया था.
'संघर्ष' को धीरे-धीरे एक कल्ट का दर्जा तो मिला ही, मगर वक्त के साथ फिल्म का एक गाना भी हमेशा के लिए आइकॉनिक बन गया. 'मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो' शब्दों से शुरू होने वाला ये गाना सोनू निगम की आवाज में था. इसे कंपोज किया था 90s की यादगार कंपोजर जोड़ी जतिन-ललित ने और लिरिक्स लिखे थे समीर ने. अगर आप के खून में 90s के दौर का नॉस्टैल्जिया रत्ती भर भी है तो आपको इस गाने की पॉपुलैरिटी का पूरा अंदाजा होगा. लेकिन ये बात आपको हैरान कर देगी कि ऐसा आइकॉनिक गाना लिखने वाले समीर, बाद में खुद भूल गए थे कि उन्होंने ही ये गाना लिखा है.

इस गाने के चक्कर में प्रोड्यूसर मुकेश भट्ट को जावेद अख्तर से उनके ट्रेडमार्क स्टाइल में ऐसा ताना मिला था कि शायद ही वो कभी भूलें! आइए बताते हैं इस गाने से जुड़े कुछ मजेदार किस्से, लेकिन उससे पहले 'संघर्ष' के प्रोड्यूसर मुकेश भट्ट के बारे में एक बात समझ लेना बहुत जरूरी है- पैसे निकालने के मामले में उनकी मुट्ठी बहुत टाइट है! शायद यही वजह है कि वो 'आशिकी', 'सड़क' और 'गुलाम' जैसी फिल्में बना पाए जिन्होंने अपने बजट से कई गुना ज्यादा कमाई की.
पैसे के मामले में ऐसे हैं मुकेश भट्ट
पॉपुलर फिल्ममेकर अनुराग कश्यप अपने कई इंटरव्यूज में एक किस्सा सुना चुके हैं कि कैसे उन्हें फिल्म लिखने का पहला मौका डायरेक्टर महेश भट्ट ने दिया था. लेकिन उनके भाई, प्रोड्यूसर मुकेश भट्ट पैसे खर्च करने के मामले में बहुत पत्थर दिल थे और फिल्म पर काम शुरू करने के बावजूद अनुराग की जेब खाली ही थी.
अनुराग बताते हैं कि एक दिन उन्हें गुस्सा आ गया और वो महेश भट्ट से जाकर बोले 'आपके ऑफिस में काम करने से अच्छा मैं कारपेंटर बन जाऊंगा.' महेश के भाई मुकेश भी वहीं पर थे तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. लेकिन जब अनुराग जाने लगे तो महेश भट्ट उनके पीछे-पीछे नीचे आकर बोले, 'कभी मत बदलना' और उनके हाथ पर 10 हजार रुपये रख दिए. उस समय ये रकम बहुत बड़ी होती थी.
मुकेश भट्ट से पैसे निकलवाने को लेकर एक अवॉर्ड शो में उनपर एक जोक भी किया गया था. ये जोक कुछ इस तरह था-'2013 में आई 'आशिकी 2' ने 100 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस किया था. 2030 में जब 'आशिकी 3' 1000 करोड़ का बिजनेस करेगी, मुकेश जी तब भी इसका बजट केवल 16 करोड़ ही रखेंगे!'

'संघर्ष' के गाने के लिए जावेद अख्तर ने मुकेश भट्ट पर मारा डायलॉग
'संघर्ष' की कहानी महेश भट्ट ने लिखी थी और मुकेश भट्ट उनके साथ, अपनी कंपनी विशेष फिल्म्स के बैनर तले अक्षय और प्रीति की फिल्म प्रोड्यूस कर रहे थे. 'आशिकी' के गानों पर महेश भट्ट, समीर के साथ कोलेबोरेट कर चुके थे और अपनी फिल्मों में उनसे ही गीत लिखवाना चाहते थे. 'संघर्ष' में उन्होंने जतिन-ललित को म्यूजिक कंपोज करने का काम सौंपा था, जो पहली बार समीर के साथ काम कर रहे थे. लेकिन ये जुगलबंदी रंग दिखाने लगी और जतिन-ललित की एक बहुत प्यारी धुन पर सजाते हुए समीर ने बोल लिखे- 'मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो, कहो ना कहो मुझे सबकुछ पता है.'
बोल सिंपल थे मगर धुन के साथ परफेक्ट थे इसलिए सभी को पसंद आने लगे. 'लिरिक्स बाय समीर' किताब में इस गाने का किस्सा कहते हुए समीर बताते हैं कि मुकेश भट्ट ने भी गाने की तारीफ की लेकिन थोड़े उदास से नजर आने लगे. जब समीर ने पूछा, 'सर आपको गाना नहीं पसंद आया क्या?' तो मुकेश ने कहा कि गाना तो बहुत अच्छा है मगर 'ये इंडस्ट्री एक डूबता हुआ जहाज है.' ये कहते हुए मुकेश इंडस्ट्री की बुरी हालत बताने लगे कि कैसे प्रोड्यूसर्स के लिए फिल्म पर लगाई रकम निकाल पाना मुश्किल होता जा रहा है. संयोग से तभी जावेद अख्तर वहां आ गए.
इसके बाद भी मुकेश ने 'इंडस्ट्री का बुरा हाल' वाला राग जारी रखा. जावेद पहले तो चुपचाप सुनते रहे, फिर अचानक समीर की तरफ देखकर अपने ट्रेडमार्क अंदाज में बोले- 'समीर जी, आपको पता है, जब मैं अपनी मां की कोख में था तब मुझे अक्सर मुकेश जी की आवाज सुनाई देती थी, यही बात कहते हुए कि इंडस्ट्री का सबसे बुरा दौर आ गया है और फिल्में बनाना मुश्किल हो गया है! लेकिन मैं जहां जाता हूं, मुझे हर जगह खुशहाली दिखती है. सभी के पास काम है. सब अपने करियर से बहुत संतुष्ट हैं. प्रोड्यूसर एक के बाद एक फिल्में बना रहे हैं. मुझे लगता है कि ये एक्टर्स का बेस्ट दौर है. मुझे पूरा यकीन है कि ये हमारी फिल्म इंडस्ट्री के लिए बूम का दौर है.'

जावेद ने मुकेश की बात को सिरे से नकार दिया था. सब लोग एकदम चुप हो चुके थे. अगले ही पल जावेद साहब ने समीर की तरफ देखकर अपनी बात की पंचलाइन डिलीवर करते हुए कहा, 'समीर मेरे भाई, मुकेश जी तुम्हारे बेहतरीन काम की पूरी पेमेंट नहीं देना चाहते, इसलिए वो ये कहते हुए आपको डराना चाह रहे हैं कि इंडस्ट्री एक डूबता जहाज है! तुम उनसे बड़ी रकम मांगना क्योंकि वो आजकल बहुत पैसा बना रहे हैं.' ये सुनकर सब हंसने लगे. समीर ने बताया कि ये बात मुकेश भट्ट को पसंद नहीं आई लेकिन आज भी जब वो उनके छोटे भाई महेश भट्ट से मिलते हैं, तो इस किस्से को याद करके दोनों बहुत हंसते हैं.
अपना ही गाना भूल गए थे समीर
इस गाने की कहानी में ही समीर ने बताया कि एक बार वो एक लंबे सफर पर थे और कार में रेडियो पर उन्हें एक बहुत मीठी धुन सुनाई दी. उनकी एक्साइटमेंट देखकर ड्राईवर ने भी वॉल्यूम बढ़ा दी. गाना सुनने के बाद समीर ने कंपोजर जतिन पंडित (जतिन-ललित वाले) को फोन लगाकर पूछा, 'भाई जतिन मुझे बताना कि ये गाना 'मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो' किसने लिखा है?'
जतिन ये सवाल सुनकर हंसने लगे और उन्हें लगा कि समीर मजाक कर रहे हैं. लेकिन जब उन्होंने फाइनली समीर को याद दिलाया कि गाना उन्हीं का लिखा हुआ है तो वो सरप्राइज रह गए. जतिन ने बात खत्म करते हुए हंसकर कहा, 'सर मेरी सलाह है कि आप थोड़ा कम काम किया करें. आप ज्यादा काम करेंगे तो खुद का काम ही भूल जाएंगे!'
हालांकि, समीर ने शायद जतिन की बात को बिल्कुल भी सीरियसली नहीं लिया. इसीलिए उनके नाम इस दुनिया में सबसे ज्यादा गाने लिखने वाले गीतकार का गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. 2015 तक समीर कुल 3524 गाने लिख चुके थे. इस बात को अब एक दशक बीत चुका है और समीर के गानों की लिस्ट कहीं ज्यादा लंबी हो चुकी है.'