असली जादू सिर्फ गाने में नहीं, उसके बनने की कहानी में छिपा होता है. हर गाने की अपनी एक आत्मा होती है — कुछ सुरों में ढली, कुछ शब्दों में पिघली, और कुछ एहसासों में बसी हुई. लेकिन हम अक्सर सिर्फ उसका नतीजा सुनते हैं, उस सफर को नहीं जानते जिससे गुजरकर वह गाना हमारे दिलों तक पहुंचता है. इसी अनकही यात्रा को सामने लाने का प्रयास है हमारा यह कॉलम.
इस कॉलम में हम उन तमाम कहानियों को उजागर करेंगे, जो किसी गीत के बनने की नींव बनीं. यहां बात होगी उन संगीतकारों की जिनके सुरों ने जादू रचा, उन गीतकारों की जिनके शब्दों ने भावनाओं को आकार दिया, और उन गायकों की जिनकी आवाज़ ने गानों को अमर बना दिया. चाहे वह पुराने दौर का सदाबहार गीत हो या आज का ट्रेंडिंग नंबर — हर गाना अपने पीछे एक दुनिया छिपाए बैठा है.
अजय देवगन की फिल्म 'दे दे प्यार दे 2' में गाना आया है 'झूम शराबी'. इस गाने में आइकॉनिक कव्वाली 'झूम बराबर झूम शराबी' को रीक्रिएट किया गया है, जिसे अजीज नाजां ने गाया था. लोगों को लगता है कि अजीज तो पक्के शराबी रहे होंगे. मगर अब उनकी पत्नी ने AajTak.in को उनकी पूरी कहानी बताई है.
गुलजार ने जो गाने लिखे हैं, उनमें 'ठोक दे किल्ली' बहुत अलग किस्म का गाना लगता है. अभिषेक बच्चन की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक 'रावण' का ये गाना कैसे लिखा गया, इसकी कहानी बहुत दिलचस्प है. क्या आप जानते हैं कि इस गाने की इंस्पिरेशन, नवजोत सिंह सिद्धू की एक फेमस लाइन थी?
'यूं ही चला चल राही' उन हिंदी गानों में से एक है, जो किसी ट्रिप के लिए परफेक्ट माने जाते हैं. कमाल ये रहा कि अंतरिक्ष के लिए चले शुभांशु शुक्ला भी यही गाना सुन रहे थे. मगर क्या आप जानते हैं कि ये गाना असल में शाहरुख नहीं, बल्कि आमिर खान की फिल्म के लिए कंपोज किया गया था?
गुलजार के लिखे आइटम नंबर्स की बात शुरू होते ही लोगों को झट से 'बंटी और बबली' (2005) फिल्म का 'कजरारे' याद आ जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि ये शब्द 'कजरारे' जिसे बोलते ही ऐश्वर्या राय याद आ जाती हैं, वो असल में गुलजार साहब के लिखे हुए नहीं हैं?
अगर समीर का बस चलता तो वो कभी हिमेश के साथ काम ही नहीं करते और बॉलीवुड म्यूजिक फैन्स को 'तेरे नाम' जैसा आइकॉनिक म्यूजिक एल्बम कभी नहीं मिलता. शुक्र है कि सलमान की फिल्म डायरेक्ट कर रहे सतीश कौशिक ने समीर को इमोशनली ब्लैकमेल करके उन्हें हिमेश के साथ काम करने के लिए मना लिया. आइए बताते हैं पूरा किस्सा...
फिल्मी तड़क-भड़क से दूर, रियल सी लगने वाली कहानियों में फारूक और दीप्ति एक अलग 'रियलिस्टिक' रोमांस का चेहरा थे. और इन दोनों के ऑनस्क्रीन रोमांस का जादू दिखाने वाला एक बहुत खूबसूरत और पॉपुलर गीत है- 'तुमको देखा तो ये खयाल आया, जिंदगी धूप तुम घना साया.' जितना ये गीत यादगार है, इसके बनने की कहानी उतनी ही मजेदार है.
'नजर के सामने' से लेकर 'तू मेरी जिंदगी है' और 'दिल का आलम' तक, 'आशिकी' का कोई भी गाना ऐसा नहीं था जो जनता को जुबानी याद न हो. मगर ये जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि असल में ये गाने फिल्म के लिए नहीं लिखे गए थे बल्कि इन गानों के लिए ये फिल्म लिखी गई थी.
क्या आप जानते हैं कि 'अगर मैं कहूं' गाने का एक कनेक्शन इंटरनेशनल म्यूजिक के उस आइकॉन से है जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने पॉपुलैरिटी के लिए शैतान से अपनी आत्मा का सौदा किया था? है न हैरान करने वाली बात... आपको ये मजेदार किस्सा बताते हैं
'संघर्ष' तो कल्ट बनी ही, फिल्म का एक गाना भी हमेशा के लिए आइकॉनिक बन गया. 'मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो' शब्दों से शुरू होने वाला ये गाना सोनू निगम की आवाज में था. इसे कंपोज किया था 90s की यादगार कंपोजर जोड़ी जतिन-ललित ने और लिरिक्स लिखे थे समीर ने.
अब लोग ग्रोक जैसे AI से भी अपनी धुन पर गाने यानी अपनी मर्जी का जवाब देने का दबाव बनाने लगे हैं. AI से अपनी धुन पर गाना गवाने की इस जिद के बीच क्या आपने सोचा है कि असल में किसी कंप्यूटर ने पहली बार गाना कब गाया था और वो गाना क्या था? आइए बताते हैं...
आदर्श गौरव और शनाया कपूर की नई फिल्म 'तू या मैं' का अनाउंसमेंट वीडियो बहुत दमदार है. लेकिन लोगों का ध्यान एक गाने पर अटक कर रह गया है, जो इस वीडियो के बैकग्राउंड में बज रहा है. ये गाना जितना दिलचस्प है, इसकी महिमा भी उतनी ही मजेदार है. आइए बताते हैं...
हनी सिंह के गाने 'मेनिएक' के काफी पहले से भोजपुरी, हिंदी गानों में उतरती रही है. बॉलीवुड की कई फिल्मों में भी किरदार भोजपुरी में बोलते और गाने गाते नजर आए हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी फिल्मों के गानों में भोजपुरी पहली बार कब इस्तेमाल हुई थी?
सोहम शाह की फिल्म 'क्रेजी' में 'सत्या' (1998) के आइकॉनिक गाने 'गोली मार भेजे में' को रीमिक्स किया गया है. जनता को ये गाना पसंद नहीं आ रहा. लेकिन ऑरिजिनल गाना खुद जितना मजेदार था, इसके बनने की कहानी भी उतनी ही मजेदार है. आइए बताते हैं 'गोली मार भेजे में' की बिहाइंड द सीन कहानी...
सीटीबाजों को हिंदी फिल्मों ने कई ऐसे गाने दिए हैं जिनमें सीटी की बड़ी प्यारी धुन सुनाई देती है. इन धुनों को लोग अक्सर रूटीन कामों के दौरान दोहराते रहते हैं. मगर क्या आपने कभी सोचा है कि वो पहला हिंदी गाना कौन सा था जिसमें होठों की घुमाने से बने इस नेचुरल म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट की धुन इस्तेमाल हुई थी?
क्या आप जानते हैं कि पैसे के महत्व का गुणगान करते 'सबसे बड़ा रुपैया' गाने का अमेरिका के ऐतिहासिक स्टॉक मार्किट क्रैश से भी कनेक्शन है? इस गाने में आपने रुपये की महिमा तो खूब सुनी होगी, लेकिन इस गाने की महिमा भी अपने आप में बहुत दिलचस्प है. चलिए बताते हैं...