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सीएम नीतीश कुमार के निकलते ही BPSC की इंजीनियरिंग छात्राएं चिल्लाने लगीं, कहा-“सर, मेरी बात सुन लीजिए”

पटना में BPSC इंजीनियरिंग अभ्यर्थियों ने 133 नंबर के वेटेज विवाद पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी. छात्राओं की नारेबाजी और हताशा उनकी नाराजगी साफ दिखा रही थी.

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शनिवार को पटना के तारामंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई कार्यक्रमों में शामिल हुए और नए प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया. ( Photo: India Today)
शनिवार को पटना के तारामंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई कार्यक्रमों में शामिल हुए और नए प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया. ( Photo: India Today)

पटना के तारामंडल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई कार्यक्रमों में शामिल हुए और नए प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया. जैसे ही उनका काफिला बाहर निकला, हाथ में कागज लिए कुछ छात्राएं जोर-जोर से चिल्लाने लगीं – “सर, मेरी बात सुन लीजिए.” ये छात्राएं बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की इंजीनियरिंग परीक्षा की अभ्यर्थी थीं. उनका कहना था कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर चुके उम्मीदवारों को 133 नंबर का अतिरिक्त फायदा दिया जा रहा है, जिसकी वजह से उनकी नौकरी पर असर पड़ रहा है.

सीएम ने नए प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन
सीएम नीतीश कुमार ने बस हाथ हिलाकर आगे बढ़ गए और छात्राओं से मुलाकात नहीं हुई. छात्राएं नारेबाजी करती रहीं और अपनी समस्या बताने की कोशिश करती रहीं. ये नजारा छात्राओं की नाराजगी और उनकी बेबसी दिखाता है, क्योंकि वे सीधे मुख्यमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचाना चाहती थीं, लेकिन मौका नहीं मिल पाया. पटना के तारामंडल में शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई कार्यक्रमों में शामिल हुए और नए प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी किया. लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री का काफिला तारामंडल से बाहर निकला, अचानक हाथ में कागज़ लिए कुछ छात्राएं जोर-जोर से चिल्लाने लगीं – “सर, सर, मेरी बात सुन लीजिए”.

छात्रों ने अपनी समस्या बताने की कोशिश की
ये सभी छात्राएं बिहार लोक सेवा आयोग की इंजीनियरिंग परीक्षा की अभ्यर्थी थीं. इनका आरोप है कि कांट्रैक्ट पर काम कर चुके लोगों को 133 अंकों का अतिरिक्त वेटेज दिया जा रहा है, जिसकी वजह से उनकी नियुक्ति रुक गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने काफिले से हाथ हिलाया और आगे बढ़ गए, लेकिन छात्राओं की मुलाकात उनसे नहीं हो सकी.  छात्राएं लगातार नारेबाजी करती रहीं और अपनी समस्या बताने की कोशिश करती रहीं. यह नजारा साफ तौर पर छात्राओं की नाराजगी और हताशा को दिखाता है, जो सीधे मुख्यमंत्री से अपनी आवाज़ उठाना चाहती थीं, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिल पाया.

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