scorecardresearch
 

JNU, DU, जामिया... तुर्किए के खिलाफ सब एक, खत्म किए कई MOU, अब कोई लेना देना नहीं

India Turkey Relation: अब भारत में तुर्किए और उसके सामानों का बायकॉट शुरू हो गया है. भारत के कई शिक्षण संस्थानों ने भी तुर्किए के साथ रिश्ते खत्म कर दिए हैं.

Advertisement
X
भारत के कई शिक्षण संस्थानों ने खुद को तुर्किए से अलग कर लिया है.
भारत के कई शिक्षण संस्थानों ने खुद को तुर्किए से अलग कर लिया है.

अब भारत ने पाकिस्तान के बाद उसके मददगारों पर एक्शन लेना शुरू कर दिया है. इसी क्रम में अब तुर्किए के खिलाफ पूरा देश खड़ा हो गया है. कारोबारियों ने सामानों को बॉयकॉट कर दिया है और लोगों ने तुर्किए जाने से तौबा कर लिया है. इसके साथ ही बड़े शिक्षा संस्थानों ने भी एक झटके में तुर्किए से सारे रिश्ते-नाते खत्म कर लिए हैं. देश के टॉप शिक्षा संस्थानों में शुमार जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी जैसे कई संस्थानों ने तुर्किए से रिश्ते खत्म कर लिए हैं. 

अब शिक्षा को लेकर तुर्किए से कोई आदान-प्रदान नहीं होगा. ऐसे में जानते हैं कि देश के शिक्षण संस्थान किस तरह तुर्किए का विरोध कर रहे हैं और किन फैसलों के जरिए तुर्किए से खुद को अलग कर रहे हैं.

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय

जेएनयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं के चलते तुर्की के इनोनू (Inonu) विश्वविद्यालय के साथ अपने अकादमिक सहयोग को स्थगित कर दिया है.यह फैसला दोनों संस्थानों के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MoU) की दोबारा समीक्षा के बाद लिया गया. जेएनयू के कुलपति शांतिश्री धुलिपुरी पंडित ने कहा कि 'हमने इनोनू विश्वविद्यालय के साथ अपने समझौते को तोड़ दिया है, समझौते के लिए छह महीने पहले नोटिस देना जरूरी है, जिसकी शुरुआत हो चुकी है. ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर हम अपने सशस्त्र बलों के साथ खड़े हैं.'

जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी

Advertisement

वहीं, जामिया ने भी तुर्किए के शिक्षण संस्थानों से हर सहयोग स्थगित कर दिया है. जामिया मिलिया इस्लामिया की ओर से जारी की गई जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए जामिया ने तुर्की गणराज्य की सरकार से संबंधित सभी संस्थान से किए गए एमओयू को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है. जामिया का कहना है कि हमने तुर्की के सभी एजुकेशनल संस्थान के साथ अपने सभी सहयोग को अगली सूचना तक रद्द कर दिया है. जामिया सरकार और देश के साथ खड़ा है. 

दिल्ली यूनिवर्सिटी

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने भी कड़ा एक्शन लेते हुए तुर्किए के शिक्षण संस्थानों के साथ सभी Mou की समीक्षा की है. बताया जा रहा है कि एक बार समीक्षा होने के बाद डीयू की ओर से कोई फैसला लिया जाएगा. 

कानपुर यूनिवर्सिटी

भारत में तुर्की के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच कानपुर विश्वविद्यालय ने भी तुर्की के इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ साइन किया गया एमओयू रद्द कर दिया है. दरअसल, सीएसजेएमयू के कुलपति विनय पाठक ने इस्तांबुल विश्वविद्यालय को पत्र लिखा है. इस लेटर में लिखा गया है कि यह फैसला तुर्की की ओर से एक ऐसे राष्ट्र के समर्थन के बाद लिया गया है, जो भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए खुले तौर पर शत्रुतापूर्ण है. हमारा विश्वास है कि पाकिस्तान के रणनीतिक सहयोगी के साथ सीधे या मौन रूप से जुड़े किसी संस्थान को विश्वसनीय अकादमिक सहयोगी के रूप में नहीं माना जा सकता है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement